इन दिनों पूरी दुनिया अस्थिरता के दौर से गुजर रही है। जगह-जगह युवाओं का आक्रोश सड़कों पर दिख रहा है और सत्ता के खिलाफ उनका विद्रोह हुक्मरानों की नींद उड़ा रहा है। नेपाल में हाल ही में भड़के भीषण बवाल और हंगामे के बाद सरकार बदलनी पड़ी। इसी तरह बांग्लादेश और केन्या में भी जनता की नाराज़गी ने सत्ता की नींव हिला दी थी। और अब आग की यही लपटें अफ्रीका को अपनी चपेट में ले रहीं हैं। अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित द्वीपीय देश मेडागास्कर इन दिनों उग्र प्रदर्शनों की चपेट में है। बिजली-पानी की किल्लत, महंगाई और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी ने लोगों को गुस्से से भर दिया। राजधानी अंटानानारिवो समेत कई हिस्सों में जेन-ज़ी युवाओं और छात्रों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किए। शुरुआत में यह आंदोलन शांतिपूर्ण था, लेकिन जल्द ही हालात हिंसक हो गए। दबाव इतना बढ़ गया कि राष्ट्रपति एंड्री राजोइलिना को सोमवार को सरकार भंग करने का ऐलान करना पड़ा।
22 लोगों की मौत
मेडागास्कर में सरकार विरोधी प्रदर्शनों ने पिछले हफ्ते अचानक उग्र रूप ले लिया। इन प्रदर्शनों की जड़ में वही समस्याएं हैं, जो आम आदमी की ज़िंदगी से सीधे जुड़ी हैं महंगाई, बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी और शासन की नाकामी। युवाओं के नेतृत्व में शुरू हुआ यह आंदोलन जल्द ही हिंसा में बदल गया और हालात नेपाल के हालिया प्रदर्शनों की याद दिलाने लगे।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार इन जेन-ज़ी युवाओं के प्रदर्शनों में अब तक कम से कम 22 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और 100 से अधिक घायल हुए हैं। यह अशांति हाल के वर्षों में मेडागास्कर के सामने आई सबसे बड़ी चुनौती मानी जा रही है। घटनाक्रम की शुरुआत बीते सोमवार को तब हुई जब अंटानानारिवो के मुख्य विश्वविद्यालय परिसर में भारी भीड़ इकट्ठी हुई। सैकड़ों छात्र-युवा हाथों में तख्तियां लिए और राष्ट्रगान गाते हुए सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए सरकारी इमारतों की ओर बढ़ने लगे।
पुलिस ने भीड़ को काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और रबर की गोलियां चलाईं, लेकिन इससे हालात और बिगड़ते चले गए। देखते ही देखते राजधानी, जिसकी आबादी महज़ 14 लाख है, हिंसा और अफरातफरी की चपेट में आ गई। सुपरमार्केट, दुकानों और बैंकों में लूटपाट हुई, तो दूसरी ओर कई राजनेताओं के घरों को भी भीड़ ने निशाना बनाया।
राष्ट्रपति एंड्री राजोइलिना का ऐलान
सोमवार को राष्ट्रपति एंड्री राजोइलिना ने राष्ट्र के नाम संबोधन में सरकार भंग करने का ऐलान कर दिया। यह कदम राजधानी अंटानानारिवो और अन्य हिस्सों में बिजली-पानी की किल्लत, महंगाई और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी को लेकर भड़के प्रदर्शनों के बाद उठाना पड़ा।
इन प्रदर्शनों की कमान खासतौर पर जेन-ज़ी युवाओं और छात्रों के हाथ में थी। शुरुआत में शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुआ आंदोलन जल्द ही हिंसक हो गया और सरकार के लिए नियंत्रण से बाहर की स्थिति पैदा कर दी। अपने टेलीविजन संबोधन में राष्ट्रपति राजोइलिना ने जनता के आक्रोश को स्वीकार करते हुए साफ कहा कि उनकी सरकार कई मोर्चों पर विफल रही है। उन्होंने जनता से माफी मांगी और वादा किया कि अशांति में नुकसान झेलने वाले व्यवसायों की सहायता के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। साथ ही उन्होंने युवाओं के साथ संवाद कर समस्याओं का समाधान निकालने की प्रतिबद्धता भी जताई।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह विद्रोह किसी एक घटना का नतीजा नहीं, बल्कि वर्षों से चल रही आर्थिक तंगी और बदहाल जीवन परिस्थितियों से उपजे गहरे असंतोष का विस्फोट है। मेडागास्कर, जो अफ्रीका के दक्षिण-पूर्वी तट से दूर स्थित एक द्वीपीय राष्ट्र है, आज क्षेत्र के सबसे गरीब देशों में गिना जाता है। विश्व बैंक के आँकड़े बताते हैं कि 2022 में यहां की तीन करोड़ आबादी में से लगभग 75 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे थे। बढ़ती महंगाई और रोज़मर्रा की ज़रूरतों की भारी किल्लत ने हालात और बदतर कर दिए हैं।