भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि हमेशा से रीढ़ की हड्डी रही है। आज भी देश की आधी से अधिक आबादी कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों पर निर्भर करती है। लेकिन बदलते वैश्विक बाजार, तकनीकी चुनौतियाँ और प्रतिस्पर्धा ने यह साफ कर दिया है कि केवल पारंपरिक खेती और निर्यात से भारत विश्व में अपनी छाप नहीं छोड़ सकता। इसी कड़ी में सरकार ने एक महत्वाकांक्षी कदम उठाया है-‘भारती’ इनिशिएटिव (BHARATI), जिसका पूरा नाम है Bharat Hub for Agritech, Resilience, Advancement and Incubation for Trade & Export Enablement।
इसका उद्देश्य साफ है-2030 तक भारत के कृषि निर्यात को 50 अरब डॉलर तक पहुंचाना, इनोवेशन को बढ़ावा देना और कृषि को आत्मनिर्भर व वैश्विक प्रतिस्पर्धी बनाना।
भारती इनिशिएटिव क्यों है महत्वपूर्ण?
कृषि निर्यात की वर्तमान स्थिति
भारत का कृषि निर्यात पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ा है, लेकिन वैश्विक बाजार में हमारी हिस्सेदारी अभी भी सीमित है। प्रमुख कृषि निर्यातक देशों जैसे अमेरिका, ब्राजील, नीदरलैंड और चीन की तुलना में भारत की स्थिति कमजोर मानी जाती है। ऐसे में यदि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है तो कृषि क्षेत्र को न केवल आत्मनिर्भर बल्कि निर्यात-उन्मुख भी बनाना होगा।
स्टार्टअप्स की भूमिका
दुनिया भर में खाद्य और कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप्स ने क्रांति ला दी है। एग्री-टेक, फूड-प्रोसेसिंग और स्मार्ट सप्लाई चेन से जुड़े इनोवेशन ने न केवल उत्पादन बढ़ाया है, बल्कि वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा भी आसान बनाई है। भारत का युवा वर्ग इस क्षेत्र में तेजी से आगे आ रहा है, लेकिन उन्हें संस्थागत समर्थन और वैश्विक एक्सपोजर की कमी रही है। ‘भारती’ इस कमी को दूर करेगा।
2030 का लक्ष्य
सरकार का लक्ष्य 2030 तक 50 अरब डॉलर का निर्यात है। यह केवल एक आर्थिक आंकड़ा नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक छवि को नया आयाम देने वाला लक्ष्य है। इससे किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को भी बल मिलेगा।
‘भारती’ इनिशिएटिव की प्रमुख विशेषताएं
100 स्टार्टअप्स का पायलट बैच
सितंबर 2025 से शुरू होने वाले पहले चरण में 100 स्टार्टअप्स को चुना जाएगा। इनमें एग्री-फूड प्रोड्यूसर, टेक्नोलॉजी-आधारित सर्विस प्रोवाइडर्स और इनोवेटर्स शामिल होंगे।
उच्च-मूल्य वाले कृषि उत्पादों पर फोकस
जीआई टैग वाले उत्पाद (जैसे बनारसी पान, नागपुर संतरा, दार्जिलिंग चाय)
ऑर्गेनिक फूड
सुपरफूड्स (क्विनोआ, बाजरा, मोरिंगा आदि)
पशुधन और डेयरी उत्पाद
आयुष और हर्बल उत्पाद
नवीनतम तकनीक का उपयोग
AI आधारित गुणवत्ता नियंत्रण – जिससे उत्पाद की अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार क्वालिटी तय होगी।
ब्लॉकचेन-सक्षम ट्रेसेबिलिटी – उपभोक्ताओं को यह पता होगा कि उत्पाद कहां से आया और किस प्रक्रिया से गुजरा।
IoT आधारित कोल्ड चेन – निर्यात के दौरान खराब होने वाले उत्पादों को सुरक्षित रखने की सुविधा।
एग्री-फिनटेक सॉल्यूशंस – किसानों और स्टार्टअप्स के लिए वित्तीय समाधान।
सपोर्टिव इकोसिस्टम का निर्माण
एपीडा (APEDA) की देखरेख में स्टार्टअप्स को उत्पाद विकास, निर्यात तैयारी, नियामक अनुपालन और वैश्विक बाजारों तक पहुँच के लिए प्रशिक्षण और मार्गदर्शन दिया जाएगा।
भारती इनिशिएटिव से मिलने वाले फायदे
1. किसानों की आय में वृद्धि
भारती इनिशिएटिव सीधे-सीधे किसानों को वैश्विक बाजारों से जोड़ेगा। अब किसान केवल मंडी तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उनका उत्पाद यूरोप, अमेरिका, मध्य-पूर्व और एशिया के अन्य हिस्सों तक पहुँच सकेगा। इससे उनकी आय में कई गुना बढ़ोतरी होगी।
2. भारत के कृषि ब्रांड की वैश्विक पहचान
आज दुनिया भारतीय मसालों, चाय और कॉफी को पहचानती है। लेकिन अब समय है कि भारतीय सुपरफूड्स, ऑर्गेनिक फूड और आयुष उत्पाद भी विश्व स्तर पर ब्रांड बनें। भारती से यह पहचान और मजबूत होगी।
3. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन
कृषि और फूड प्रोसेसिंग से जुड़े स्टार्टअप्स ग्रामीण युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार देंगे। यह रोजगार खेती से जुड़े होंगे, इसलिए पलायन की समस्या भी घटेगी।
4. खाद्य सुरक्षा और अपव्यय में कमी
AI और IoT आधारित तकनीकों के इस्तेमाल से फसल और उत्पाद की गुणवत्ता बेहतर होगी, साथ ही कोल्ड चेन तकनीक से भंडारण और परिवहन के दौरान होने वाला नुकसान घटेगा। इससे खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होगी।
5. ग्लोबल वैल्यू चेन में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी
अभी तक भारत मुख्यतः कच्चा माल या सीमित प्रोसेस्ड उत्पाद ही निर्यात करता है। भारती इनिशिएटिव उच्च मूल्य संवर्धन वाले उत्पादों के निर्यात को बढ़ाएगा। इससे भारत ग्लोबल वैल्यू चेन में बड़ा खिलाड़ी बन सकता है।
6. स्थायी और टिकाऊ कृषि
भारती का जोर सस्टेनेबिलिटी पर है। पैकेजिंग, उत्पादन और सप्लाई चेन को पर्यावरण-अनुकूल बनाया जाएगा। इससे भारत ‘ग्रीन एग्रीकल्चर’ का ग्लोबल हब बन सकता है।
कृषि निर्यात से जुड़े मौजूदा चुनौतियां और भारती का समाधान
गुणवत्ता नियंत्रण की समस्या → AI आधारित सिस्टम से हल।
अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन कठिन → विशेष प्रशिक्षण और नियामक सपोर्ट से आसान।
लॉजिस्टिक्स और कोल्ड चेन की कमी → IoT सक्षम सप्लाई चेन समाधान।
वित्तीय बाधाएं → एग्री-फिनटेक स्टार्टअप्स और बैकवर्ड इंटीग्रेशन से सुधार।
वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा → ब्रांड इंडिया और उच्च-मूल्य वाले उत्पादों पर फोकस।
‘भारती’ इनिशिएटिव केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि भारत के कृषि क्षेत्र में गेम चेंजर साबित हो सकता है। यह किसानों, स्टार्टअप्स, टेक्नोलॉजी इनोवेटर्स और निर्यातकों को एक प्लेटफॉर्म पर लाकर उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगा। यदि यह योजना सफलतापूर्वक लागू होती है, तो भारत न केवल 50 अरब डॉलर के कृषि निर्यात का लक्ष्य हासिल करेगा, बल्कि वैश्विक खाद्य और कृषि आपूर्ति श्रृंखला में अपनी एक मजबूत पहचान भी बनाएगा।