हरियाणा में भले ही विधानसभा की 90 सीट हों और इस लिहाज़ से ये छोटा प्रदेश माना जाता हो, लेकिन ऐतिहासिक रूप से हरियाणा का राजनीतिक प्रभाव, विधानसभा सीटों की संख्या से कहीं ज्यादा रहा है। हरियाणा के सियासी घराने और उनकी ‘हनक’ हमेशा चर्चा का विषय रही है और एक वक्त तो ये माना जाने लगा कि हरियाणा और हरियाणा के लोग ऐसी राजनीति के आदी हो चुके हैं।
लेकिन 13 मार्च 2024 को भाजपा ने एक बड़ा प्रयोग किया और नायब सिंह सैनी ने राज्य के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में हरियाणा की बागडोर संभाल ली। साधारण पृष्ठभूमि और विनम्र-मृदुल छवि के सैनी को मुख्यमंत्री बनाना भाजपा के लिए बड़ा दाँव था। स्लॉग ओवर्स में सियासी पिच पर बैटिंग करने उतरे नायब सैनी को ऐसे समय हरियाणा की कमान मिली थी, जहां न तो उनके पास समय था और न ही कार्यकर्ताओं में मनोबल। प्रदेश में एंटीएन्कंबेंसी चरम पर थी और विपक्ष तो क्या सियासी पंडित (सर्वे-सर्वेक्षण) भी बीजेपी को रेस से बाहर मान रहे थे। ये डेथ ओवर का मुकाबला था और नायब सैनी के पास आखिरी गेंद में छक्का मारने के सिवा कोई विकल्प नहीं था।
लेकिन छह महीने के भीतर ही तस्वीर बदली और अक्टूबर 2024 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को लगातार तीसरी बार प्रचंड जीत प्राप्त हुई। जहां बीजेपी के लिए 20 सीटें भी मुश्किल मानी जा रही थीं, वहीं पार्टी ने 48 सीट जीत, एक नया रिकॉर्ड रच दिया।
सारे सर्वे-सर्वेक्षणों को फेल कर मिली इस जीत से हर कोई हैरान था। भाजपा के लिए हरियाणा की जीत अश्वमेध यज्ञ का वो घोड़ा साबित हुई, जिसकी लगाम थामे हुए भाजपा ने पहले महाराष्ट्र को फ़तह किया और फिर दिल्ली की सत्ता में कई दशकों बाद वापसी की।
यकीनन, इतने कम समय में जनता का भरोसा जीतना नायब सैनी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी और इसीलिए पार्टी नेतृत्व ने भी उनपर भरोसा जताया और उन्हें दोबारा प्रदेश की कमान सौंपी गई।
हरियाणा की ‘हनक’ वाली राजनीति को जन साधारण की राजनीति में बदला
इसी 16 अक्टूबर को नायब सैनी बतौर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल का एक साल पूरा कर लेंगे और सियासी पंडितों की नज़र में उनका सबसे बड़ा अचीवमेंट ये यही रहा, उन्होंने हरियाणा की ख़ास, और हनक वाली पॉलिटिक्स को जन साधारण की पॉलिटिक्स बना दिया। उनका विनम्र स्वभाव और सियासी संवेदनशीलता ही उनकी सबसे बड़ी ताक़त है, जिसे उन्होने पहले दिन से बनाए रखा है।
जनता से सीधा संवाद है सबसे बड़ी ताक़त
नायब सैनी जनता से सीधे संवाद में निपुण हैं। अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों की तरह वो दफ्तरों और सचिवालयों तक नहीं सिमटे रहते, वो गांवों और कस्बों में जाकर लोगों से सीधे तौर पर मिलते हैं और ज़रूरत पड़े तो चौपालों में भी बैठकें कर समस्याएं सुनने से पीछे नहीं हटते हैं। यही नहीं उन्होने DC और SSP स्तर के अधिकारियों को भी हर महीने किसी न किसी गाँव में रात्रि प्रवास करने के निर्देश दिए हैं। ज़ाहिर है उनके इस कदम से जनता और सरकार के बीच दूरियां घटी हैं, और लोग ख़ुद को सरकार के अधिक क़रीब पा रहे हैं। वो आसानी से सीएम आवास में एंट्री पा सकते हैं, जबकि पहले नेताओं के भारी भरकम प्रोटोकॉल के चलते ऐसा मुमकिन नहीं था।
सियासी संवेदनशीलता से युवाओं की नब्ज पकड़ी
हरियाणा युवा प्रदेश है और नायब सैनी प्रदेश के युवाओं की नब्ज पकड़ने में भी कामयाब रहे। सबसे बड़ी बात यह रही कि उन्होंने शपथ लेने से पहले ही युवाओं को सरकारी नौकरियाँ दिलायीं। इससे ये संदेश गया कि आम नेताओं की तरह कि वो सिर्फ चुनावों के लिए वादे नहीं करते, बल्कि किये हुए वादे निभाने के लिए भी उतने ही समर्पित हैं।
इसकी एक झलक CET परीक्षा के दौरान भी देखने को मिली, जब पहली बार परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र तक पहुँचाने के लिए विशेष बसें चलाई गईं। यही नहीं कई मामलों में तो पुलिस ख़ुद अपनी गाड़ियों से छात्रों को परीक्षा केंद्र तक छोड़ती नज़र आई, ताकि वो समय पर पहुँच सके और उनकी परीक्षा न छूटे। व्यवस्था से कहीं ज्यादा ये एक संवेदनशील नेतृत्व का प्रतीक थी, जिसने युवाओं के साथ उन्हें सीधे तौर पर कनेक्ट किया है।
वादे-घोषणाएं पूरे करने की प्रतिबद्धता दिखाई
सरकार ने अपने पहले साल में कई योजनाएं लागू कीं, जिसमें महिलाओं-युवाओं और गरीबों के साथ किए उनके वादे भी शामिल हैं।
जैसे – महिलाओं के लिए : लाडो लक्ष्मी योजना के तहत ₹2100 की मासिक सहायता शुरू की गई
गरीब परिवारों के लिए ₹500 में गैस सिलेंडर, 30 गज प्लॉट और आवास निर्माण के लिए ₹2.5 लाख की मदद
स्वास्थ्य क्षेत्र में : जिला अस्पतालों में डायलिसिस और पूरी तरह मुफ्त इलाज की सुविधा लागू की गई
खेल क्षेत्र में : 1,489 खेल नर्सरियां स्थापित हुईं, जिससे लगभग 37 हज़ार खिलाड़ियों को लाभ हुआ
तो वहीं नरवाना में 206 करोड़ की विकास योजनाएं और सरस्वती अभयारण्य का विस्तार किया जा रहा है
जबकि हिसार में प्रदेश का पहला एयरपोर्ट भी बन कर शुरू हो चुका है
चुनौतियों से कैसे निपटेंगे नायब सैनी ?
ज़ाहिर है उनकी सरकार के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। ‘पॉवर पॉलिटिक्स’ की आदी रही ब्यूरोक्रेसी को नियंत्रित करना और सभी सियासी धड़ों के बीच संतुलन साधना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। इसके अलावा वो किसानों की आय बढ़ाने और संतुलित विकास के वादों को कैसे पूरा करते हैं- ये देखना भी महत्वपूर्ण रहेगा।
हालांकि उन्हें जानने वाले बताते हैं कि वो विनम्र मुस्कान के साथ बिना शोर-शराबे के बड़े फैसले लेने में भी माहिर हैं। अपनी सहजता और सरलता से लोगों का ‘दिल’ जीत लेने की कला ही उनकी सबसे बड़ी ताक़त है और अगर वो इसे बनाए रखते हैं तो यकीनन ‘परिवारों’, ‘घरानों’ और ‘दिग्गजों’ की बपौती माने जाने वाले हरियाणा में अपनी अलग और बड़ी लकीर खींच सकेंगे।