पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा में मंगलवार दोपहर एक भयंकर आतंकवादी हमले ने पूरे शहर को दहलाकर रख दिया। फ्रंटियर कॉन्स्टैबुलरी (एफसी) मुख्यालय के पास ज़रगुन रोड पर हुए विस्फोट में कम से कम 19 लोग मारे गए और 32 अन्य गंभीर रूप से घायल हुए। स्थानीय मीडिया और पुलिस अधिकारियों की रिपोर्टों के अनुसार, धमाके के तुरंत बाद इलाके में गोलीबारी भी हुई, जिससे नागरिकों में भारी भय और दहशत फैल गई।
विस्फोट इतना प्रचंड था कि मॉडेल टाउन और आसपास के क्षेत्रों में इसकी गूंज सुनी गई। पास के घरों और इमारतों की खिड़कियां टूट गईं और इलाके में अफरातफरी मच गई। सैकड़ों लोग अपने घरों से बाहर निकल आए और स्थानीय पुलिस तथा रेस्क्यू टीमें घटनास्थल पर पहुंच गईं।
सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि एक विस्फोटक से भरे वाहन ने ज़रगुन रोड पर मोड़ लेते ही धमाका किया। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, वाहन में बैठे चार हमलावर पहले बाहर निकले और सुरक्षा बलों के साथ अंधाधुंध गोलीबारी की। इसके बाद वाहन को विस्फोटक से उड़ा दिया गया।
बलूचिस्तान की स्वास्थ्य मंत्री का बयान
बलूचिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री बख़्त मुहम्मद काकर ने बताया कि विस्फोट में पांच लोग मौके पर ही मारे गए, जबकि अन्य गंभीर रूप से घायल होकर अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ गए। घायलों और मृतकों को सिविल हॉस्पिटल क्वेटा, बीएमसी हॉस्पिटल और ट्रॉमा सेंटर में ले जाया गया, जहां आपातकालीन सेवाएं शुरू कर दी गईं। डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स को तैनात किया गया, ताकि गंभीर रूप से घायल लोगों को तत्काल उपचार मिल सके।
यह हमला बलूचिस्तान में सक्रिय अलगाववादी और आतंकवादी तत्वों की ओर से किया गया माना जा रहा है। बलूचिस्तान, जो पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है और जिसकी राजधानी क्वेटा है, लंबे समय से अलगाववादी हिंसा और आतंकवादी हमलों का केन्द्र रहा है। यहां के प्रतिबंधित संगठन जैसे बलूच लिबरेशन आर्मी अक्सर सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं और अपने स्वतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए आतंक फैलाते हैं।
विशेष सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने कहा कि इस हमले की योजना पहले से तैयार थी। आतंकियों ने सुरक्षा बलों को भ्रमित करने के लिए गोलीबारी की और फिर वाहन विस्फोट के माध्यम से अधिकतम नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया। इस हमले से यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान में सुरक्षा की स्थिति कितनी अस्थिर है और स्थानीय आबादी लगातार आतंक के खतरे में है।
यहां बता दें कि क्वेटा में यह हमला केवल बलूचिस्तान तक सीमित नहीं है, यह पूरे पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चेतावनी है। एफसी और अन्य सुरक्षा बल लगातार आतंकियों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं, लेकिन राज्य की खामियों और प्रशिक्षित आतंकवादी नेटवर्क की वजह से ऐसे हमले संभव हो पाते हैं।
भारत के दृष्टिकोण से, यह हमला पाकिस्तान में स्थिरता की कमी और राज्य द्वारा अपने नागरिकों की सुरक्षा में असफलता को उजागर करता है। जबकि पाकिस्तान बार-बार भारत पर आतंकवाद का आरोप लगाता है, उसके अपने प्रांत में सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर है कि सैन्य और पुलिस मुख्यालय तक निशाना बन सकते हैं। इस तथ्य को देखकर यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान आतंकवाद को रोकने की क्षमता में असमर्थ है और अलगाववादी तथा चरमपंथी तत्व उसकी राज्य मशीनरी की कमजोरी का फायदा उठाते हैं।
बलूचिस्तान में लगातार होने वाले आतंकवादी हमले भारत के लिए भी चिंता का विषय हैं। क्वेटा और आसपास के क्षेत्र से निकलने वाले आतंकवादी नेटवर्क कभी-कभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गतिविधियों में लिप्त रहते हैं और इनका असर पड़ोसी देशों की सुरक्षा पर पड़ सकता है। भारत के लिए यह आवश्यक है कि वह पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता और आतंकवाद के पैटर्न को समझे और सीमा सुरक्षा को और मजबूत करे।
इस हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान सरकार ने क्षेत्र को घेर लिया और व्यापक जांच शुरू कर दी। लेकिन पिछले अनुभव यह बताते हैं कि ऐसे हमलों के पीछे आतंकी नेटवर्क गहरी जड़ें जमा चुके हैं और राज्य की कार्रवाई अक्सर सिर्फ तात्कालिक राहत तक सीमित रहती है।
क्वेटा विस्फोट ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि पाकिस्तान में सुरक्षा संकट गहरा है। एफसी मुख्यालय पर हमला यह साबित करता है कि आतंकवादी संगठन उच्च स्तरीय योजना और प्रशिक्षण के साथ काम कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और पुलिस बल केवल आपातकालीन प्रतिक्रिया में सक्षम हैं, जबकि आतंकवादी गतिविधियों को रोकने में वे अक्सर असफल साबित होते हैं।
अंतरराष्ट्रीय दृष्टि से भी यह हमला चिंता का विषय है। बलूचिस्तान के अलगाववादी संगठन अक्सर सीमा पार से मदद प्राप्त करते हैं और इनका नेटवर्क वैश्विक स्तर पर भी सक्रिय है। यह स्पष्ट करता है कि पाकिस्तान में आतंकवाद केवल स्थानीय समस्या नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक जाल का हिस्सा है, जिसमें राज्य की अनिच्छा या अक्षमता इसे बढ़ावा देती है।
कुल मिलाकर, क्वेटा एफसी मुख्यालय पर यह हमला केवल बलूचिस्तान का आतंकवादी मामला नहीं है, बल्कि पाकिस्तान की राज्य सुरक्षा, आतंकवाद प्रबंधन और अंतरराष्ट्रीय छवि की गंभीर परीक्षा है। भारत और अन्य पड़ोसी देशों के लिए यह चेतावनी है कि पड़ोसी देश की सुरक्षा में कमजोरियां सीधे क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को प्रभावित कर सकती हैं।