प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब एनडीटीवी वर्ल्ड समिट 2025 के मंच पर खड़े हुए, तो उनके शब्दों में केवल अर्थव्यवस्था का बयान नहीं था, बल्कि उस आत्मविश्वासी राष्ट्र की गूंज थी जो अब ठहरने, झुकने या रुकने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि हम न रुकेंगे, न थमेंगे। यह सिर्फ़ एक वाक्य नहीं, बल्कि आधुनिक भारत की नई परिभाषा है। वह भारत, जो कभी विश्व राजनीति का दर्शक हुआ करता था, अब निर्णायक भूमिका में है। पीएम मोदी के भाषण में जो लय थी, वह किसी राजनीतिक भाषण की नहीं बल्कि राष्ट्र के पुनर्जागरण की घोषणा थी।
आज से एक दशक पहले का भारत याद कीजिए। नीतिगत पंगुता का दौर था, भ्रष्टाचार के काले बादल छाए हुए थे, महंगाई आम आदमी को निगल रही थी, और देश की आत्मा थकान से भरी हुई थी। लोग कहते थे कि भारत तो ऐसे ही चलेगा, धीरे, बोझिल और भ्रमित। लेकिन 2014 के बाद सब कुछ बदल गया। नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली तो उन्होंने केवल नीतियां नहीं बदलीं, उन्होंने भारत का आत्मविश्वास लौटा दिया। उन्होंने इस देश को यह एहसास दिलाया कि यह राष्ट्र अब किसी भी क्षेत्र में ‘औसत’ रहने के लिए नहीं बना है।
उन्होंने सही कहा कि आज भारत उन “फ्रैजाइल फाइव” देशों में नहीं है, जिन्हें दुनिया कभी कमज़ोर अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी में रखती थी। आज यह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। यह उपलब्धि केवल आर्थिक नहीं, बल्कि मानसिक विजय है। बीते तीन वर्षों में भारत की औसत ग्रोथ दर 7.8 फीसदी रही है और महंगाई दर 2 फीसदी से भी नीचे। यह वो दौर है जब पश्चिमी अर्थव्यवस्थाएं मंदी से जूझ रही हैं, लेकिन भारत अपनी ही रफ़्तार से आगे बढ़ रहा है। यही है वह “Unstoppable Bharat”, जिसकी चर्चा मोदी ने मंच से की।
पीएम मोदी ने गर्व से बताया कि आज भारत का कृषि निर्यात साढ़े चार लाख करोड़ रुपये को पार कर चुका है। यह वही भारत है जो कभी ‘खाद्यान्न आयातक’ था, और आज ‘अन्नदाता से निर्यातक’ बन चुका है। आत्मनिर्भरता का यह रूप केवल अर्थव्यवस्था में नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में झलकता है। चाहे इलेक्ट्रॉनिक्स हो या ऑटोमोबाइल, मोबाइल निर्माण हो या फार्मा हर क्षेत्र में निवेश की बयार है। गूगल जैसी कंपनियां भारत के एआई सेक्टर में 15 बिलियन डॉलर का निवेश कर रही हैं। यह उस भरोसे का प्रतीक है जो दुनिया को अब भारत पर है, एक ऐसा देश जो न केवल तेज़ी से बढ़ रहा है, बल्कि भरोसेमंद भी है।
लेकिन पीएम मोदी के भाषण का सबसे सशक्त हिस्सा था, राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दे पर उनका दोटूक संदेश। उन्होंने कहा कि अब भारत आतंकी हमलों के बाद चुप नहीं बैठता।” यह नया भारत है, जो न केवल जवाब देता है, बल्कि जवाबी कार्रवाई में उदाहरण पेश करता है। सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों ने पाकिस्तान और उसके प्रायोजित आतंकवाद को यह समझा दिया है कि भारत अब पुराना नहीं रहा। यह भारत अब शांति की भी रक्षा करता है और आक्रामकता की भी भाषा जानता है। मोदी के शब्दों में वही आत्मसम्मान झलकता है जो कभी चाणक्य के काल में था, जो अपनी सीमाओं की रक्षा नहीं कर सकता, उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है।
प्रधानमंत्री ने जब कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा तो उनके शब्दों में तंज से अधिक तर्क था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के “सरकारीकरण” ने बैंकों में एनपीए का पहाड़ खड़ा कर दिया था, जबकि बीजेपी के “लोकतंत्रीकरण” ने उन्हें रिकॉर्ड मुनाफ़े में पहुंचा दिया है। यह फर्क केवल आर्थिक नीतियों का नहीं, बल्कि शासन दर्शन का है। कांग्रेस का मॉडल सत्ता-केंद्रित था, जबकि मोदी का मॉडल जन-केंद्रित है। उन्होंने बैंकों को जनता के करीब लाया, उन्हें आत्मनिर्भरता की रीढ़ बनाया। लाखों महिलाओं के स्वयं सहायता समूह, छोटे व्यापारियों को बिना गारंटी के लोन और किसानों के खातों में सीधे पैसे — यह सब उस सोच की परिणति है जिसने व्यवस्था को जनसरोकार से जोड़ा।
एक और प्रतीकात्मक बात उन्होंने कही कि 2014 से पहले कांग्रेस सरकार पेट्रोल-डीजल की सब्सिडी बचाने के लिए रात में पेट्रोल पंप बंद करने की सोच रही थी, जबकि आज भारत 24 घंटे ऊर्जा की दिशा में अग्रसर है। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और अल्टरनेटिव एनर्जी पर जिस स्तर का निवेश हो रहा है, वह बताता है कि भारत अब भविष्य की इंजीनियरिंग खुद कर रहा है। इसी का प्रमाण है कि आज भारत उन पांच देशों में शामिल है, जिनके पास खुद की 4G स्टैक तकनीक है, वह भी ‘मेड इन इंडिया’। यह आत्मनिर्भर भारत का असली स्वरूप है, जो तकनीकी रूप से स्वदेशी और वैश्विक दृष्टि से अग्रणी है।
मोदी ने अपने भाषण में यह भी स्पष्ट किया कि उनकी सरकार की प्राथमिकता गरीबों, वंचितों और पिछड़ों के प्रति है। उनका यह कथन कि “हम पिछड़ों को प्राथमिकता देते हैं” महज़ चुनावी वाक्य नहीं था, बल्कि नीति की दिशा का संकेत था। जन धन योजना, उज्ज्वला, आयुष्मान भारत, पीएम आवास योजना, मुफ्त राशन ये सब मिलकर उस भारत का निर्माण कर रहे हैं, जहां समाज का सबसे निचला तबका भी विकास की धारा में शामिल है। यही “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” की सच्ची परिभाषा है।
पीएम मोदी का पूरा संबोधन एक व्यापक संदेश देता है कि भारत अब विश्व के केंद्र में है। G7 देशों के साथ व्यापार 60 फीसदी से अधिक बढ़ चुका है, यूरोपीय देश 100 बिलियन डॉलर निवेश का वादा कर चुके हैं, और भारत को आज विश्व “Reliable Partner” के रूप में देख रहा है। जिस देश को कभी विकासशील कहा जाता था, वही आज विकसित देशों की दिशा तय कर रहा है।
पीएम मोदी का संदेश साफ है कि भारत अब किसी और की राह नहीं देखता, भारत खुद राह बनाता है। यह वह समय है जब विश्व को भारत की गति, नीति और नीयत तीनों पर भरोसा है। यह वह युग है जहाँ “मोदी है तो मिजाज की बात करता है” कोई राजनीतिक पंक्ति नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मनोबल का सार है।
एनडीटीवी वर्ल्ड समिट का वह मंच भारत के उदय का प्रतीक बन गया, जहां पीएम मोदी ने कहा कि “हम न रुकेंगे, न धीमे होंगे।” यह वाक्य भारत की आत्मा का घोष बन चुका है। एक ऐसा भारत जो न झुकेगा, न टूटेगा, न थकेगा। क्योंकि अब यह भारत किसी से पीछे रहने के लिए नहीं बना है। यह भारत आगे बढ़ने, नेतृत्व करने और इतिहास लिखने के लिए बना है।