एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) और क्रिकेट डिप्लोमेसी का खेल अक्सर मैदान से बाहर भी लड़ा जाता है। पाकिस्तान के अंतरिम गृहमंत्री और वर्तमान एसीसी अध्यक्ष मोहसिन नकवी ने हाल ही में भारत को लेकर दिए अपने आपत्तिजनक बयान पर माफी मांग ली है। उनकी यह माफी की अपील केवल व्यक्तिगत पराजय नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती ताक़त और विश्व क्रिकेट में उसकी केंद्रीय भूमिका का प्रमाण भी है।
दरअसल, मोहसिन नकवी ने एशिया कप ट्रॉफी को लेकर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा था कि भारत चाहे तो आकर ट्रॉफी ले जाए। उनका यह बयान न केवल क्रिकेट की भावना का अपमान था, बल्कि पाकिस्तान की पुरानी आदत-भारत के प्रति कड़वाहट और हिकारत का प्रदर्शन भी था। लेकिन जैसे ही यह बयान मीडिया और सोशल मीडिया पर उछला, भारत में उनके खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा। क्रिकेट प्रेमियों से लेकर विश्लेषकों तक ने इसे पाकिस्तान की नकारात्मक सोच और जलन का प्रमाण बताया।
भारत का नैरेटिव यहां पर पूरी तरह साफ है, खेल तो खेल है। लेकिन, पाकिस्तान अपनी आदत से मजबूर है, हर मंच पर अपनी राजनीति और जहरीली भाषा घुसा देता है। ध्यान रहे कि यह वही पाकिस्तान है जो अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए भारत पर हमेशा आरोप लगाता रहता है। लेकिन, इस बार मामला उल्टा पड़ गया। पाकिस्तान पर इस मामले में दबाव और आलोचना इतनी तीव्र हुई कि खुद नकवी को झुककर भारत से माफी मांगनी पड़ी।
पाकिस्तान की मनोवैज्ञानिक पराजय
ध्यान रहे यह माफी केवल शब्दों में नहीं है, बल्कि उनका यह बयान पाकिस्तान के मनोविज्ञान की पराजय भी है। बता दें कि वह पाकिस्तान जो कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का बड़ा ठिकाना था, आज भारत के इशारे पर अपनी नीतियां बदलने को मजबूर हो चुका है। बीसीसीआई की ताक़त और भारतीय क्रिकेट की विशालता के सामने पाकिस्तान की औकात अब जगजाहिर हो चुकी है।
ध्यान रहे, भारत का क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं, बल्कि सॉफ्ट पावर का सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है। आईपीएल दुनिया की सबसे महंगी लीग है। भारतीय बाजार क्रिकेट की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और यही कारण है कि आज आईसीसी से लेकर एसीसी तक के लिए भारत की बात को नकार पाना असंभव है। नकवी की माफी इसका ही परिणाम है। इसी कारण पाकिस्तान चाहे-अनचाहे सिर झुकाने पर मजबूर हो रहा है।
दरअसल, भारत का नैरेटिव अब केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रहा। यह खेल, अर्थव्यवस्था, कूटनीति और वैश्विक मंचों पर भी अपनी बुलंदी दर्ज करा चुका है। पाकिस्तान को यह समझ लेना चाहिए कि भारत के खिलाफ जहर उगलकर वह न तो अपनी छवि सुधार सकता है और न ही अपने क्रिकेट को बचा सकता है। उसे सही रास्ते पर आना ही होगा और यही आज की सच्चाई है।
दरअसल, नकवी का बयान और फिर उनकी माफी, एक प्रतीक है घमंड का पतन और शक्ति के आगे समर्पण का। एक सच्चाई और भी है कि भारत अब केवल क्रिकेट नहीं खेलता, बल्कि क्रिकेट की शर्तें तय करता है। यही सच्चाई पाकिस्तान के लिए सबसे कड़वी है।