भारत की हवाई श्रेष्ठता और आत्मनिर्भर रक्षा रणनीति हमेशा से वैश्विक स्तर पर उसकी ताकत और प्रभाव का प्रतीक रही है। स्वदेशी तकनीकी विकास की दिशा में यह देश कई दशकों से लगातार प्रयासरत है और तेजस Mk1A की हालिया उन्नति इस दिशा में एक निर्णायक कदम के रूप में सामने आई है। भारतीय वायु सेना (IAF) के हल्के लड़ाकू विमान तेजस Mk1A में DRDO द्वारा विकसित ‘स्वयं‑रक्षा कवच’ (Swayam Raksha Kavach) का फ्लाइट‑ट्रायल शुरू होना न केवल तकनीकी प्रगति का प्रतीक है, बल्कि यह एक व्यापक रणनीतिक और सामरिक दृष्टिकोण का हिस्सा भी है। यह कदम दर्शाता है कि भारत अपने मौजूदा प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से सीमित समय में हवाई श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए कैसे आधुनिक तकनीकों का प्रयोग कर रहा है।
तेजस Mk1A, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने विकसित किया है, भारत के हल्के लड़ाकू विमान कार्यक्रम का प्रमुख स्तंभ है। इस विमान को हल्के वजन, बहु-उपयोगी हथियार प्रणालियों और आधुनिक एवियोनिक्स के साथ डिजाइन किया गया है। पहले से ही तेजस अपने परफॉर्मेंस, चपलता और संचालन क्षमता के कारण भारतीय वायु सेना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके उन्नत एवियोनिक्स सिस्टम और मौजूदा हथियारों की बदौलत यह विमान न केवल हवाई युद्ध में सक्रिय है, बल्कि सीमाओं की निगरानी और सीमांत सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।
जानें, क्या किया जा रहा विकास
‘स्वयं‑रक्षा कवच’ का महत्व इसी संदर्भ में और अधिक बढ़ जाता है। यह प्रणाली तेजस Mk1A को इलेक्ट्रॉनिक और रडार आधारित खतरों से बचाने के लिए विकसित की गई है। इसमें रडार‑वॉर्निंग रिसीवर (RWR), एडवांस सेल्फ‑प्रोटेक्शन जैमर (ASPJ) और डिजिटल रेडियो‑फ्रिक्वेंसी मेमोरी तकनीक जैसी उच्च-स्तरीय क्षमताएं शामिल हैं। RWR विरोधी रडार की गतिविधियों का पता लगाकर पायलट को तत्काल चेतावनी देता है, जबकि ASPJ दुश्मन रडार को भ्रमित करने वाले नकली सिग्नल भेजकर विमान को ट्रैक करने और मिसाइल लॉक करने में बाधा डालता है। इन प्रणालियों के संयोजन से तेजस Mk1A अपनी रडार‑प्रोफ़ाइल को घटाकर आधुनिक युद्ध परिस्थितियों में रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की चुनौती को पार कर सकता है।
यह कदम विशेष रूप से महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) का उत्पादन और परिचालन अभी करीब एक दशक दूर है। AMCA भारत का पहला स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी स्टील्थ विमान होगा, जो मूल रूप से स्टील्थ डिज़ाइन, रेडियो और इंफ्रारेड सिग्नेचर कम करने की तकनीक और अत्याधुनिक हथियारों के लिए तैयार किया गया है। लेकिन तेजस Mk1A में ‘स्वयं‑रक्षा कवच’ जोड़कर भारतीय रक्षा विज्ञान ने यह सुनिश्चित किया है कि मौजूदा हल्के लड़ाकू विमानों में ही स्टील्थ जैसी क्षमता शामिल हो, ताकि वर्तमान और निकट भविष्य के हवाई युद्धों में भारतीय वायु सेना की तत्परता सुनिश्चित हो सके।
तकनीकी दृष्टि से ‘स्वयं‑रक्षा कवच’ केवल एक जैमर या चेतावनी प्रणाली नहीं है। यह एक पूर्ण इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्लेटफ़ॉर्म के रूप में काम करता है। डिजिटल रेडियो‑फ्रिक्वेंसी मेमोरी तकनीक का उपयोग करके यह विमान विरोधी रडार की गतिविधियों को न केवल ट्रैक करता है, बल्कि उसे भ्रमित भी करता है। इसके माध्यम से तेजस Mk1A दुश्मन के लक्ष्यीकरण और मिसाइल लॉक को चकमा देकर अपनी स्थिति सुरक्षित रख सकता है। यह विशेषकर उन परिस्थितियों में महत्वपूर्ण है, जहां हवा में तेजस और विरोधी विमानों के बीच तेजी से बदलाव वाले मुकाबले होते हैं।
पायलट सुरक्षा के संदर्भ में यह प्रणाली और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। तेजस Mk1A पहले से ही हल्का, फुर्तीला और आधुनिक एवियोनिक्स से लैस है, लेकिन ‘स्वयं‑रक्षा कवच’ के साथ यह पायलटों को संभावित खतरे से बचाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक और रडार‑आधारित जोखिमों का सामना करने में सक्षम बन जाता है। इससे न केवल युद्ध के दौरान उनकी प्रतिक्रिया समय बेहतर होता है, बल्कि उनकी जीवित रहने की संभावना भी बढ़ जाती है। आधुनिक हवाई युद्ध में पायलट की सुरक्षा, विमान की गति और लचीलापन ही निर्णायक कारक होते हैं, और इस प्रणाली ने इन्हें महत्वपूर्ण रूप से सशक्त किया है।
भारत के लिए यह कदम आत्मनिर्भरता की दिशा में भी बड़ा संकेत है। HAL और DRDO के सहयोग से विकसित यह प्रणाली दिखाती है कि भारतीय रक्षा उद्योग अब केवल उपकरण बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें स्वदेशी तकनीकी नवाचार और सॉफ्टवेयर-ड्रिवन इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली का समावेश भी हो रहा है। यह दर्शाता है कि भारत न केवल हथियार उत्पादन में आत्मनिर्भर बन रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर तकनीकी रूप से भी प्रतिस्पर्धी बन रहा है।
वैश्विक संदर्भ में, तेजस Mk1A में ‘स्वयं‑रक्षा कवच’ का महत्व कम नहीं है। एशिया‑प्रशांत क्षेत्र में हवाई श्रेष्ठता और हवाई सुरक्षा को लेकर देशों के बीच प्रतिस्पर्धा तीव्र है। पाकिस्तान और चीन जैसी पड़ोसी शक्तियों की बढ़ती क्षमताओं के बीच, तेजस Mk1A का आधुनिकीकृत संस्करण भारतीय वायु सेना के लिए रणनीतिक लाभ प्रदान करेगा। यह कदम सीमाओं की सुरक्षा को मज़बूत करेगा और भारतीय हवाई श्रेष्ठता बनाए रखने में मददगार साबित होगा।
आर्थिक दृष्टि से भी यह कदम महत्वपूर्ण है। AMCA जैसे पांचवीं पीढ़ी स्टील्थ विमान के निर्माण में भारी निवेश और समय लगेगा, लेकिन तेजस Mk1A में ‘स्वयं‑रक्षा कवच’ जोड़कर भारत ने सीमित संसाधनों में ही प्रभावशाली समाधान तैयार कर लिया है। इससे लागत, समय और परिचालन तत्परता में संतुलन बना रहता है। HAL के साथ हाल ही में हुए सौदे के अनुसार, भारतीय वायु सेना के लिए 97 Tejas Mk1A विमान खरीदे जाएंगे, जिनमें एकल-सीट और दो-सीट मॉडल शामिल हैं। यह न केवल परिचालन क्षमता बढ़ाएगा, बल्कि पायलट प्रशिक्षण और युद्ध तैयारी में भी मददगार साबित होगा।
भारतीय रक्षा नीति में रणनीतिक संदेश
तेजस Mk1A का यह उन्नयन केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारतीय रक्षा रणनीति में एक सांकेतिक संदेश भी है। यह संदेश देता है कि भारत सीमित समय और संसाधनों में अपनी मौजूदा क्षमताओं का अधिकतम लाभ उठाने में सक्षम है। इस विमान के माध्यम से भारत यह भी दिखा रहा है कि वह आधुनिक हवाई युद्ध के लिए तैयार है और सीमाओं पर हवाई श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए सतत प्रयासरत है।
आगे देखते हुए, यह संभावना है कि तेजस Mk1A में किए गए ये उन्नयन अगले दशक में भारतीय वायु सेना की रणनीति में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। यह कदम भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता, तकनीकी प्रवीणता और आधुनिक युद्ध क्षमता का प्रतीक बनकर उभरा है। यह न केवल विमान के प्रदर्शन को बढ़ाता है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को भी सुदृढ़ करता है।
तेजस Mk1A में ‘स्वयं‑रक्षा कवच’ के जुड़ने से अब यह हल्का लड़ाकू विमान न केवल अपने मौजूदा कार्यों के लिए सक्षम है, बल्कि यह आधुनिक हवाई युद्ध में स्टील्थ और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता के साथ एक प्रभावशाली प्लेटफ़ॉर्म बन गया है। यह कदम भारतीय रक्षा उद्योग की शक्ति, रणनीतिक दृष्टिकोण और हवाई श्रेष्ठता बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत अब केवल हथियार बनाने वाला देश नहीं रह गया है, बल्कि वह उन्नत तकनीकी नवाचार और आधुनिक युद्ध प्रणाली में सक्षम राष्ट्र के रूप में विश्व मानचित्र पर अपनी पहचान बना रहा है।
इस पूरी प्रक्रिया में यह भी स्पष्ट हो जाता है कि भारत ने अपने हल्के लड़ाकू विमान को ही स्टील्थ क्षमता के साथ आधुनिक युद्ध की दिशा में ले जाने का प्रयास किया है। यह तकनीकी नवाचार न केवल विमान की युद्धक क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भारतीय रक्षा उद्योग और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की ताकत को भी प्रदर्शित करता है। तेजस Mk1A अब आधुनिक युद्ध की बदलती चुनौतियों के लिए तैयार है और यह भारत की हवाई श्रेष्ठता और आत्मनिर्भर रक्षा नीति का प्रतीक बन गया है।


























