Animesh Pandey

Animesh Pandey

Lead Editor, TFI Media
Vidyarthi of History, Cinema Buff,
Akhand Bharat Parmo Dharma

इतिहास की सबसे घटिया सिंगर नेहा कक्कड़ को फाल्गुनी पाठक ने सबक सिखा दिया

हे भगवन, यदि नीति हो तो इसी लोक में और यदि न्याय हो तो इसी संसार में हो। बहुत झेल लिया संगीत का सत्यानाश अब और नहीं रहा जाता, हम संगीत प्रेमियों को तनिक संगीत चाहिए, कान...

पीर बाबा और ‘ताबीज़ संस्कृति’ की ओर हिंदू इतना आकर्षित क्यों हो रहे हैं?

“भर दे झोली मेरी” “शिरडी वाले साईं बाबा, आया है तेरे दर पे सवाली” “तू मेरी हीर मेरी मैंने दिल से माना तुझे हर वीरवार पीर बाबा से भी मांगा तुझे!” ऐसे अनेक गीत कभी न कभी...

राजू श्रीवास्तव: ऐसा रत्न ढूंढने से भी नहीं मिलेगा

पता है संसार में सबसे कठिन कला क्या है? पहाड़ चढ़ना? 100 मीटर की रेस दौड़ना? देश जीतना? नहीं, अच्छा खाना पकाना और लोगों को हंसाना? चकरा गए? संसार में किसी भी व्यक्ति से पूछ लीजिए, आपको...

कौन हैं ये लोग? किसी की मृत्यु पर नाचने वाले निकृष्ट लोगों की मानसिकता जाननी बहुत आवश्यक है

“जो आया है वो जाएगा, कह गए साधु संत!” ये तो समय की रीति है और समय के आगे किसी की नहीं चली है। इसी समय ने हमारे सबसे महान हास्य कलाकारों में से एक राजू श्रीवास्तव...

The Hindu: नाम से हिंदू, कर्म से गैर हिंदू और अर्थ से चीनी गुलाम

'द हिंदू' को पहले ज्ञान का सागर माना जाता था। बुद्धिजीवी वर्ग लोगों को इस समाचार पत्र को पढ़ने की सलाह देता था लेकिन धीरे-धीरे स्थिति बदली, हालात बदले और कभी लोगों का पसंदीदा रहा यह पेपर...

परवीन, जिया, रिया और सुशांत: महेश भट्ट का स्याह जीवन

“शीशे में उतारना चाहा जिन्होंने भी वक्त को, आफताब गवाह है कि वो सब रेत हो गए” “हार गया जब वो खुद को तलाशकर, तब जाके निकला वो मुखौटा उतारकर” ऐसी शायरी निकालकर आपको लगेगा, वाह क्या...

स्यमंतक मणि यानी कोहिनूर की कथा, जो भारत के सिर्फ इसी क्षेत्र में शांति से रह सकती है

कुछ रत्न बहुमूल्य इसलिए नहीं होते कि वह बहुमूल्य पदार्थों से बने होते हैं अपितु इसलिए होते हैं क्योंकि वह अपने स्वामी स्वयं चुनते हैं। ऐसा ही एक बहुमूल्य रत्न है कोहिनूर, जिसकी पुनः प्राप्ति की मांग...

अज़रबैजान, पोप कमेटी और SCO विश्व में भारत का बढ़ता कद दिखाता है

अज़रबैजान ने भारत का किया स्वागत: कभी-कभी आपको अपना आधार स्थापित करने के लिए किसी तुष्टीकरण, किसी सेवा सुश्रुषा की आवश्यकता नहीं पड़ती बल्कि आपकी जीवटता, आपका धैर्य एवं सबसे महत्वपूर्ण आपका स्पष्ट दृष्टिकोण आपके भाग्य को...

जब मुस्लिम लेखकों ने ‘सेक्युलर’ प्रेमचंद का उर्दू में लिखना बंद करा दिया

कार्ल मार्क्स ने किसी जमाने में कहा था कि “धर्म जनमानस के लिए अफीम समान है।” अब पता नहीं वो कौन सा अफीम खुद चाट कर बैठे थे परंतु विश्वास मानिए, आज के वोकवाद और सेक्युलरिज़्म से...

पंचतंत्र भारत में इतनी अंडररेटेड क्यों है?

घर की मुर्गी दाल बराबर, ये कहावत आप सभी ने बचपन में बहुत बार सुनी होगी। कभी-कभी कुछ कृतियां ऐसी भी होती हैं जिनके बारे में जानते हुए भी हम उन्हें अनदेखा कर देते हैं। वहीं दूसरी...

अकेले DMK ने कैसे दक्षिण भारत में हिंदू विरोध का बीज बोया

ये भारत है, बड़ा ही विचित्र स्थान है! यहां कभी योद्धाओं की जय जयकार होती थी एवं ऋषि मुनियों के ब्रह्मज्ञान को शाश्वत सत्य माना जाता था परंतु आज स्थिति दूसरी है। आज इनका सम्मान तो छोड़िए,...

कॉमेडी के नाम पर हमारे सामने क्या-क्या नहीं परोसा जा रहा है?

अपन हैं सख्त लौंडे! ब्रो मुझे भी ये करना है! You know his ***** is that big! धत तेरी *******! मुझे तेरा मुंह बिल्कुल पसंद नहीं आया! आ थू! भाई एक बात बताओ, हंसी आती है क्या...

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