Vibhuti Ranjan

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फ़ैज़पुर 1937: तिरंगे की डोर और राजनीति की स्मृति

दिसंबर 1937 की ठंडी सुबह। महाराष्ट्र का छोटा-सा कस्बा फ़ैज़पुर उस दिन भारत की राजनीति का केंद्र बन गया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहली बार अपना अधिवेशन किसी गांव की मिट्टी पर बुलाया था। खेतों से...

सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

पाकिस्तान इस समय जिस तथाकथित “रणनीतिक रक्षा समझौते” का ढोल पीट रहा है, उसकी असलियत कुछ और है। इस्लामाबाद इसे ऐसे पेश कर रहा है मानो सऊदी अरब ने भारत के खिलाफ उसके लिए सुरक्षा गारंटी जारी...

पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

पाकिस्तान का जन्म ही असुरक्षा और कट्टरता की ज़मीन पर हुआ था। 1947 के बाद से ही उसने अपनी राजनीतिक असफलताओं को छुपाने और जनता का ध्यान भटकाने के लिए “भारत-विरोध” को अपनी राष्ट्रीय पहचान बना लिया।...

यूएन में भारत का प्रहार: पाकिस्तान की असफलता और भारत की मजबूती का खुलासा

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की फ़र्श पर जब भारतीय स्थायी प्रतिनिधि ने अपनी आवाज़ उठाई, तो वहाँ जो सिर्फ़ कूटनीतिक भाषण होना था, वह एक निर्णायक मोमेंट बन गया। पर्वतनेनी हरीश ने उस मंच से साफ़, निर्णायक...

अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

दुनिया का इतिहास अक्सर विजेताओं के शब्दों में लिखा गया है। लेकिन कभी-कभी, अगर हम गहराई से देखें तो इस इतिहास की तहों में रक्त, हिंसा और असीमित लालसा के धब्बे दिखाई देते हैं। अमेरिका, जिसे आज...

जंगलराज : लालू-राबड़ी राज की स्याह विरासत

बिहार की राजनीति में जब “जंगलराज” शब्द उभरा, तो यह किसी विपक्षी नेता की गढ़ी हुई परिभाषा नहीं थी। यह उस दौर की सच्चाई थी, जिसे आम लोग रोज़ महसूस कर रहे थे। 1990 के दशक में...

रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

भारत की राजनीति में नेताओं की चर्चा अक्सर उनके चुनावी भाषणों, जनसभाओं की भीड़ या बड़े नारों तक सीमित रहती है। लेकिन जब केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व-शैली का विश्लेषण...

पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

तमिलनाडु की राजनीति और समाज में एक नाम दशकों से छाया हुआ है—ई.वी. रामासामी नायकर, जिन्हें उनके अनुयायी “पेरियार” यानी “महान व्यक्ति” कहते हैं। उन्हें द्रविड़ आंदोलन का पितामह, आत्मसम्मान आंदोलन का जनक और सामाजिक न्याय का...

सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में अक्सर सच से ज़्यादा ज़ोर उस पर होता है कि किसका नैरेटिव दुनिया भर में सुना जाए। लेकिन कभी-कभी परिस्थितियाँ ऐसी बन जाती हैं कि सच अपने आप सामने आ जाता है। हाल ही...

नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

17 सितंबर—आज जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना जन्मदिन मना रहे हैं, तब यह महज़ कैलेंडर पर दर्ज़ एक तारीख नहीं है। यह तारीख उस सफ़र की भी याद दिलाती है जिसने भारतीय राजनीति को गहराई...

लक्ष्मणपुर बाथे: एक रात, जब 58 ज़िंदगियां बुझा दी गईं, भारत के दलितों का शोकगीत

बिहार के औरंगाबाद ज़िले की सोनई नदी के किनारे बसा एक छोटा सा गांव—लक्ष्मणपुर बाथे। आज यह नाम भारतीय राजनीति और न्याय व्यवस्था की उस काली रात का प्रतीक बन चुका है, जब 1 दिसंबर 1997 को...

कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर

केरल में जन्माष्टमी कोई साधारण पर्व नहीं है। बालगोपाल और बालगोपालिनी के वेश में हजारों बच्चे हर साल शोभा यात्राओं में भाग लेते हैं। 14 सितंबर की शाम, कोझिकोड जिले के नारिप्पट्टा गांव की गलियां भक्ति और...

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