सब कुछ भगवान ही करते हैं तो व्यक्ति का क्या? – गीता के 18वें अध्याय में है जवाब, समझिए ‘मोक्ष संन्यास योग’
मुझे क्या करना चाहिए से 'करिष्ये वचनं तव' की एक यात्रा है। श्रीमद्भगवद्गीता का 18वां अध्याय 'मोक्ष संन्यास योग' है। इस अध्याय में ...
मुझे क्या करना चाहिए से 'करिष्ये वचनं तव' की एक यात्रा है। श्रीमद्भगवद्गीता का 18वां अध्याय 'मोक्ष संन्यास योग' है। इस अध्याय में ...
श्रीमद् भागवत गीता का 14वां अध्याय गुणत्रय विभाग योग है। इस अध्याय में श्री कृष्ण भौतिक प्रकृति के तीन गुणों सत्व, रजस एवं ...
भगवद्गीता का अत्यधिक महत्व उसकी गहन शिक्षाओं और आध्यात्मिक दृष्टिकोण के कारण है। इसे हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ में से एक ...
जिस व्यक्ति की सोच जितनी विकृत होती है वह उतनी ही विकृत मानसिकता वाले लोगों के साथ पाया जाता है। कांग्रेस के पूर्व ...
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