टाइम्स नाउ द्वारा किये गए एक स्टिंग ऑपरेशन में जेडीएस से जुड़ा चौंकाने वाला विवरण सामने आया है जिसमें मुस्लिमों को कैबिनेट बर्थ आवंटित न करने की बता कही गयी है। जेडीएस के अंदरूनी सूत्रों ने माना है कि मुसलमानों को जानबूझकर प्रमुख पोर्टफोलियो से दूर रखा गया है। उन्होंने आगे कहा, सभी गौड़ा मुसलमानों से नाराज हैं क्योंकि मुसलमानों ने उम्मीद के अनुसार जेडीएस को वोट नहीं दिया था। जेडीएस सर्वेक्षण के मुताबिक, कुछ मुस्लिम क्षेत्रों में मुसलमानों द्वारा मिले कम समर्थन की वजह से गौड़ा पार्टी की हार हुई है। इसलिए इस भावना का सही बदला लेने के लिए ‘धर्मनिरपेक्ष’ पार्टी ने ये तय किया है कि राज्य की कैबिनेट से मुस्लिमों को दूर रखा जायेगा। कैबिनेट बर्थ के लिए मुस्लिमों से बातचीत से जेडीएस ने इंकार कर दिया है।
Explosive politcal Newsbreak. Cong ally punishes Muslims. Shocking admission on tape.
Does Gandhi family endorse?@RShivshankar begins India Upfront by dispatching Hard Facts on #SecularistsPunishMuslims pic.twitter.com/HROSglwDYT
— TIMES NOW (@TimesNow) June 5, 2018
एक अंदरूनी सूत्र के मुताबिक जिससे ये स्वीकार करते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया, उसने स्पष्ट किया कि जेडीएस का मुसलमानों के साथ सब कुछ ठीक नहीं है। उन्होंने कहा, हारे हुए विधायकों ने रामनगर समेत सभी मुस्लिम बूथों पर वोट कम होने की शिकायत की थी। उन्होंने साफ़ कहा कि, मुसलमानों द्वारा जेडीएस को वोट न दिए जाने वाले मामले पर चर्चा की गयी थी। जिसके बाद जेडीएस में इस समुदाय को लेकर नाराजगी व्याप्त है। राजनीतिक संगठन का एक विशेष समुदाय के खिलाफ डर और चुनाव के बाद अपना राजनीतिक लाभ साधने के लिए वैध प्रतिनिधित्व को मानने से इंकार करने की पुष्टि करता है।
https://twitter.com/Shehzad_Ind/status/1004008521598263296
ये अवमाननात्मक है कि जेडीएस लोकतंत्र की हत्या और एक समुदाय से कन्नी काट रहा है जिन्होंने वोटिंग पैटर्न के अनुसार कैबिनेट बर्थ प्रदान करने लायक वोट नहीं दिया। स्टिंग ऑपरेशन में पकड़े गए पार्टी के अंदरूनी सूत्र ने पुष्टि की है कि जाति समीकरणों के आधार पर कैबिनेट बर्थ आवंटित किए जा रहे हैं। इस सूत्र ने जेडीएस द्वारा प्रचारित ‘धर्मनिरपेक्षता’ के ब्रांड का खुलासा किया है जो एक समुदाय को इसलिए दंडित करना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने उनकी उम्मीद के अनुसार वोट नहीं दिया है। चुनाव के दौरान कांग्रेस और जेडीएस दोनों ही ‘धर्मनिरपेक्ष’ पार्टियों ने बीजेपी के खिलाफ जहर भरने के लिए मुस्लिम मतदाताओं का राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया था और चुनाव के दौरान सांप्रदायिक ध्रुवीकरण में शामिल थे। मुसलमानों को अपने स्वतंत्र और निष्पक्ष मताधिकार के संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए धोखा दिया गया है। जेडीएस मुस्लिम प्रेमपूर्ण पार्टी तभी है जब मुस्लिम उन्हें चुनाव जीतने में मदद करेंगे अन्यथा पार्टी को उनकी कोई परवाह नहीं है। वास्तव में, अगर वो पार्टी के पक्ष में वोट न दें तो जेडीएस के लिए मुसलमानों की कोई कीमत नहीं है।
ऐसे कई सवाल हैं जिसका जवाब कांग्रेस को देना है। ये हमेशा ही खुद को मुस्लिमों के मित्र के रूप में पेश करती आयी है। हालांकि, इस बार इसके उलट कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय को धोखा दिया है और लगता है कि इससे उन्हें ज्यादा फर्क भी नहीं पड़ता है। गौड़ा के साथ इस गठबंधन में आने से पहले कांग्रेस के नेताओं ने लोकतंत्र के नाम पर अपने विरोधी जनादेश गठबंधन को न्यायसंगत बताया था। हालांकि, ये समझ से परे है कि गठबंधन की सरकार में किसी विशेष समुदाय के लिए जानबूझकर प्रतिनिधित्व करने से मना करना कैसे लोकतंत्र के विचार का समर्थन करता है। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के बड़े नेता गुलाम नबी आजाद ने सांप्रदायिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की स्पष्ट अवहेलना करते हुए कांग्रेस को वोट देने के लिए सांप्रदायिक रूप से मुसलमानों को उकसाया था। कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय का ध्रुवीकरण करने के खुलेआम प्रयास में आजाद ने कहा था कि कांग्रेस सत्ता में आती है तो मुसलमानों का आभार होगा। कांग्रेस अब उन्हें कैबिनेट से दूर कर मुस्लिम समुदाय के प्रति कृतज्ञता का भुगतान कर रही है।
जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन द्वारा प्रमुख पोर्टफोलियो के आवंटन को सांप्रदायिक करना निंदनीय है और इस प्रयास को 2019 के आम चुनावों से पहले भारत में रहने वाले मुसलमानों के लिए खुले खतरे के रूप में देखा जाना चाहिए। इस पूरे धर्मनिरपेक्ष केबल का संदेश स्पष्ट है। उन्होंने ये स्पष्ट कर दिया है कि मुस्लिम समुदाय को ‘धर्मनिरपेक्ष’ पार्टियों का समर्थन तभी मिलेगा जब वो उनकी पार्टियों के लिए वोट देंगे। अन्यथा, मुस्लिम समुदाय के साथ धर्मनिरपेक्ष ताकतों द्वारा द्वितीय श्रेणी के नागरिकों की तरह व्यवहार किया जायेगा और प्रमुख निर्णय और इस समुदाय को नीति बनाने वाले मंचों का प्रतिनिधित्व से इंकार कर दिया जाएगा।