सरकार ने कई बार कहा है कि वर्त्तमान जीएसटी दरों में बदलाव होंगे। ये सिर्फ एक अप्रत्यक्ष कर की प्रक्रिया की शुरुआत है। अपने वादे के मुताबिक जीएसटी परिषद ने व्यवसायों और लोगों की प्रतिक्रिया के अनुसार जीएसटी में बदलाव किए हैं। एक बड़े कदम के तहत, जीएसटी परिषद ने हाल ही में बड़े पैमाने पर खपत की 100 वस्तुओं की सूची में कर की दरों को कम करने का फैसला किया। ये जनता के लिए अत्याधिक लाभ और जीएसटी दरों में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। मीडिया को संबोधित करते हुए अंतरिम वित्त मंत्री पियुष गोयल ने कहा, “हर राज्य चाहता था कि इन वस्तुओं पर कर दरों को कम किया जाए ताकि मध्यम आय वाले परिवारों को लाभ मिल सके, साथ ही ये भी तय किया गया है कि जीएसटी परिषद राजस्व के विचार ऊपर उठे और नौकरी निर्माण और आर्थिक विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करें।”
जीएसटी दरों में हुए नए बदलावों में जीएसटी परिषद का केंद्र माध्यम वर्ग था क्योंकि देश में माध्यम वर्ग द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं को कम दर वाले टैक्स स्लैब में रखा जाना था। इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे रेफ्रिजरेटर, फ्रीजर और अन्य रेफ्रिजरेटिंग या फ्रीजिंग उपकरण जैसे वॉटर कूलर, वाशिंग मशीन, टेलीविजन और इलेक्ट्रिक सूथिंग आयरन सहित वस्तुओं को 28 प्रतिशत कर स्लैब से 18 प्रतिशत कर स्लैब के अंतर्गत कर दिया गया है। पेंट और वार्निश, पट्टी, राल सीमेंट पर कर की दर को भी 18 प्रतिशत कर दर में कर दिया है।
जीएसटी के कर दरों में बदलाव के बाद से माना जा रहा है कि इससे माध्यम वर्ग को लाभ मिलेगा। 28 प्रतिशत से 18 प्रतिशत के अंतर्गत लाने से कई उत्पादों के दाम 7-8% प्रतिशत सस्ते होने की उम्मीद है। मध्यम वर्ग मोदी सरकार के बजट से खुश नहीं था क्योंकि उनके लाभ से जुडी चीजें इसमें नहीं थीं। मध्यम वर्ग के लिए कर दर समान रखी गयीं थीं और वहीं दूसरी तरफ दीर्घकालिक पूंजी लाभ (एलटीसीजी) सरकार द्वारा पेश किया गया था। इक्विटी से रिटर्न मध्यम वर्ग के लिए आय का एक अच्छा स्रोत है और यदि इस आय पर कर लगाया गया है जो मध्यम वर्ग को नाराज कर रहा है। इसलिए, कुछ दिनों की निराशा के बाद, सरकार ने अंततः देश के मध्यम वर्ग के पक्ष में एक बढ़िया निर्णय लिया है। परिषद की अगली बैठक 4 अगस्त को होगी, जिसमें एमएसएमई क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, साथ ही रुपे कार्ड और भीम ऐप के माध्यम से डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के तरीकों पर भी चर्चा की जायेगी। पियुष गोयल के मुताबिक जीएसटी शासन में व्यवसायों को 31 अगस्त तक माइग्रेट करने का आखिरी मौका मिलेगा, और लंबित फीस को भी माफ कर दिया जाएगा।
एक वर्ष पहले, 30 जून, 2017 के ऐतिहासिक मध्यरात्रि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, अरुण जेटली और अन्य नेताओं की एक सभा ने जीएसटी को लांच किया था। जीएसटी पर बहुत संघर्ष के दो दशक बाद सर्वसम्मति बनी थी क्योंकि राज्य कर के सम्बन्ध में अपनी आजादी को खोना नहीं चाहते थे। जबसे जीएसटी लागू हुआ है तबसे सहकारी संघवाद एक बढ़िया उदाहरण बन गया है और ये देश को आर्थिक रूप से एकजुट करने में मदद करता है। फिर भी, इसकी संरचना और लागू किये जाने के साथ कुछ समस्याएं हैं जिन्हें सर्वोत्तम बनाने के लिए कोशिशें जारी हैं।