राजस्थान की गहलोत सरकार इन दिनों फिर से चर्चा में है। किसी खास उपलब्धि या योजना को लेकर नहीं बल्कि दबे-कुचले जातियों की प्रताड़ना को लेकर चर्चा में है। दरअसल, राजस्थान पुलिस ने एक रिपोर्ट जारी किया है, इस रिपोर्ट में सामने आया है कि पिछले 10 सालों में गरीबों एवं SC-ST जाति के लोगों पर अत्याचार के साथ ही आपराधिक घटनाओं के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हुई है।
राजस्थान पुलिस के अनुसार, साल 2019 में SC-ST जाति के लोगों के उत्पीड़न पर कुल 8591 मामले दर्ज किए गए थे। वहीं भाजपा के शासनकाल यानि 2014 के दौरान कुल 8415 ऐसे केस दर्ज किए गए थे जिसमें एसटी-एससी के लोगों को सताया गया था। वर्ष 2019 की बात करें तो पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार अनुसूचित जाति अत्याचार के कुल 6794 मामले दर्ज किए गए और वर्ष 2018 के मुकाबले इनमें 47.47 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। पिछले वर्ष सबसे चर्चित मामला अलवर के थानागाजी में दलित युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना का था। जागरण की रिपोर्ट के अनुसार- दलित युवतियों के साथ दुष्कर्म के 554 मामले दर्ज हुए और इन मामलों में 2019 में 46.17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
अभी राजस्थान के नागौर में दो दलित युवकों की पिटाई ने पूरे देश का ध्यान खिंचा। इस घटना ने राजस्थान सरकार और उनकी पुलिस व्यवस्था को बेपर्दा कर दिया। मालूम हो कि राजस्थान के नागौर जिले में दोपहिया वाहन के एक शो रूम में कुछ लोगों ने दो दलित युवकों पर चोरी का इल्जाम लगाया और उनकी बेहरहमी से पिटाई भी की। मानवता को शर्मशार करते हुए आरोपियों ने युवक के गुप्तांग में पेचकस और पेट्रोल तक डाल दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
इस घटना के बाद जब लोगों ने गहलोत सरकार पर सवाल किया तो हर बार की तरह सफाई देकर निकल लिए। सीएम गहलोत ने अपनी सफाई में कहा कि जिसने भी इस घटना को अंजाम दिया है उसको बख्शा नहीं जाएगा इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पीड़ितों को न्याय मिलेगा। राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी कहा कि राज्य के हर नागरिक को न्याय मिले और सभी सुरक्षित रहें यह हमारी सरकार की प्राथमिकता है। हम आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।
हालांकि क्या सिर्फ गहलोत और पायलट के बयानों भर से उन दलितों को न्याय मिल जाएगा? वास्तव में कांग्रेस ने दलितों को मुद्दा बनाकर ही राजस्थान में भाजपा की सरकार को सत्ता से बेदखल किया था लेकिन आज खुद दलितों के अत्याचार पर चुप है। इनकी सरकार में दलितों पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। भाजपा शासित राज्यों में हो हल्ला मचाने वाली कांग्रेस आलाकमान भी गहलोत सरकार पर चुप्पी साधे हुई है।
खुद को बहुजनों की हितैषी बताने वाली कांग्रेस को अब बताना चाहिए कि क्यों वह ऐसे मामलों पर रोक नहीं लगा पा रही है। क्या कांग्रेस अब बहुजन हितैषी नहीं रही? क्या कांग्रेस सवर्ण गुंडों की हितैषी बन गई है? इन तमाम सवालों के जवाब अशोक गहलोत से लेकर सोनिया-राहुल गांधी तक को देना चाहिए कि आखिर क्यों वह इस मोर्चे पर फेल है।