दुनिया में सीमाओं के विस्तार के लिए जंग हो चुकी हैं। इस दुनिया ने धन, संपत्ति और लूट के लिए भी कई जंगे देखीं हैं, लेकिन जल्द ही हमें मेडिकल सप्लाई के लिए भी जंग देखने को मिल सकती हैं। कोरोना काल में आज हर एक देश अपने नागरिकों की जान बचाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहा है। कहीं लोगों को घरों में रहने के लिए कहा जा रहा है तो वहीं कहीं पर कोरोना से ग्रसित लोगों का मुफ्त इलाज किया जा रहा है ताकि लोग जल्द से जल्द स्वस्थ हो सकें।
इसी बीच दुनिया में मास्क, वेंटिलेटर और अन्य मेडिकल सप्लाई की भयंकर कमी हो गयी है, जिसके कारण कई देशों ने दूसरे देशों के लिए बनी राहत सामाग्री और मेडिकल सप्लाई को अपने कब्जे में लेना शुरू कर दिया है, जिसके कारण दुनिया में एक बड़ी जंग भी देखने को मिल सकती है।
हाल ही में फ्रांस के कुछ नेताओं ने अमेरिका पर यह आरोप लगाया कि अमेरिका ने चीन को ज़्यादा पैसा देकर वो राहत सामाग्री खरीद ली, जो फ्रांस को मिलने वाली थी। फ्रांस के इन आरोपों पर white house का भी एक बयान आया है जिसमें उसने इन आरोपों को झूठा बताया है। फ्रांस के एक राजनेता ने यह भी कहा कि फ्रांस सामान की डिलिवरी होने के बाद पैसे देता है जबकि अमेरिका के लोग पहले ही पैसे देकर ये मेडिकल सप्लाई खरीद लेते हैं।
इसी तरह तुर्की पर भी दूसरे देशों के लिए बने मास्क पर कब्जा जमाने का आरोप लग रहा है। बेल्जियम की मीडिया के मुताबिक बेल्जियम ने 5 मिलियन यूरो देकर तुर्की से मास्क खरीदने का ऑर्डर प्लेस किया था, लेकिन ये मास्क कभी बेल्जियम पहुंचे ही नहीं और तुर्की की सरकार ने इन मास्क पर कब्जा कर लिया और साथ ही मास्क के एक्सपोर्ट पर भी प्रतिबंध लगा दिया।
इसी तरह पिछले महीने जर्मनी ने विदेश से अपने लिए मेडिकल सप्लाई मंगाई थी और लगभग 60 लाख मास्क केन्या के रास्ते जर्मनी में पहुंचाए जाने थे, लेकिन केन्या में जाकर वे 60 लाख मास्क रहस्यमई तरीके से गायब हो गए। जर्मनी की सेना ने इस पर कहा कि उन्हें अब तक इसी बात का नहीं पता है कि आखिर वह सामान केन्या के रास्ते से क्यों लाया जा रहा था।
कुछ ऐसी ही रिपोर्ट्स चेक रिपब्लिक से भी आई थी जहां चीन द्वारा इटली में रह रहे चीनी नागरिकों के लिए भेजे गए 1 लाख से ज़्यादा मास्क को चेक रिपब्लिक की सरकार ने जब्त कर लिया। वह सारा सामान चेक के रास्ते ही इटली जा रहा था।
इसे देखकर समझा जा सकता है कि आज की तारीख में सभी देश मेडिकल सप्लाई के पीछे किस तरह हाथ धोकर पड़े हैं और सबको बस अपने देश के नागरिकों की ही पड़ी है फिर चाहे उसके लिए दूसरे देशों के नागरिकों की जान भी क्यों ना चली जाये। कोई देश पैसे के बल पर ऐसा कर रहा है, तो कोई मौका पाकर चोरी कर रहा है। अगर जल्द ही कोरोना संकट खत्म नहीं हुआ तो पानी से पहले हमें मेडिकल सप्लाई और मास्क के लिए युद्ध होता दिखाई दे सकता है।