पूर्वी चीन सागर में स्थित सेनकाकू द्वीप को लेकर चीन और जापान के बिच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। अब जिस तरह से दोनों देश आक्रामक हो रहे हैं उससे यह आशंका जताई रही है कि कहीं यह मुद्दा इन दोनों देशों के बीच युद्ध का कारण न बन जाये। एक तरह से चीन लगातार अपने Vessel इस द्वीप के आस पास जापान जल क्षेत्र में भेज रहा है तो वहीं जापान की सेना भी उन Vessel के खिलाफ एक्शन लेते हुए उन्हें खदेड़ रही हैं। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही चीन ने सेनकाकू द्वीप पर कब्ज़ा करने के इरादे से अपने कोस्टगार्ड को किसी भी विदेशी Vessel पर ओपन फायरिंग के आदेश दिये हैं। इस आक्रामक कदम को देखते हुए जापान ने भी सेनकाकू क्षेत्र के सैन्यकरण का काम शुरू कर दिया है। यानि अब पूर्वी चीन सागर में युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो चुकी है।
जापान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार चीनी तट रक्षक जहाजों ने रविवार को लगातार दूसरे दिन चीन द्वारा दावा किए जाने वाले सेनकाकू द्वीप के पास जापान के क्षेत्रीय जल में प्रवेश किया।
जापान कोस्ट गार्ड ने बताया कि चीन के दो तट रक्षक जहाजों ने पूर्वी चीन सागर में लगभग 3:50 बजे द्वीप समूह के पास जलक्षेत्र में घुसपैठ की और सुबह 9 बजे के बाद बाहर निकल गए। इस महीने की शुरुआत में चीन में एक नए कानून के लागू होने के बाद यह घटनाएं स्पष्ट रूप से बढ़ी हैं।
रविवार को जापान के पानी में प्रवेश करने के बाद, चीनी जहाजों ने एक जापानी मछली पकड़ने वाली नाव की ओर इशारा किया और तट रक्षक के अनुसार, Taisho से लगभग 22 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व तक आगे आ गये थे।
Okinawa के Naha में स्थित 11वें Regional Coast Guard Headquarters के अनुसार इस वर्ष में यह पांचवीं बार था कि चीनी जहाजों ने जापानी जल में प्रवेश किया। शनिवार को, घुसपैठ लगभग 9 घंटे चली, जिसके बाद टोक्यो ने कई राजनयिक चैनलों के माध्यम से बीजिंग के साथ विरोध दर्ज कराया।
बता दें कि कुछ दिनों पहले चीन ने अपने तट रक्षक बलों को अपने “अधिकार क्षेत्र” के तहत विदेशी जहाजों पर फायरिंग करने की अनुमति दी है। एक ऐसा कदम जिससे चीन के आस-पास पूरे इलाके में अस्थिरता बढ़ने की सम्भावना कई गुना बढ़ चुकी है।
नए कानून के जरिए, चीन ने अपने कॉस्ट गार्ड को उन विदेशी Vessel को ‘कथित जल क्षेत्र’ से खदेड़ने की शक्ति भी दी है। बता दें कि चीन अपने बेसलाइन से बहुत दूर तक के द्वीपों और पानी पर अपना दावा ठोकता है। हालांकि, इसके समुद्री दावों को अंतरराष्ट्रीय कानून से कोई समर्थन नहीं मिलता है। अब, चीन के इस कदम से यह माना जा रहा है कि नए चीनी कानून का उद्देश्य जापान के सेनकाकू द्वीप समूह को कब्जे में करने का है, जिस पर बीजिंग दावा करता है।
चीन के इस कदम के बाद जापान में भी हलचल शुरू हो गयी थी और वहां के सांसदों ने सेनकाकू द्वीपों की रक्षा को बढ़ाने के लिए कानून लाने की मांग की है। जापान की सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के National Defense Division की बैठक में, सांसदों ने चीन के नए कदम के बारे में चिंता व्यक्त की। एक विधायक ने उसे “धमकी” के रूप में बताया। यह भी तर्क दिया गया था कि चीन के नए कानून में किसी भी जलक्षेत्र में तथा द्वीपों पर बनाए गए किसी ढांचों को जबरन ध्वस्त करने जैसे खंड सीधे सेनकाकू द्वीप पर लक्षित है। इसके अलावा जापान के Territorial Security Act के लागू कराने की बात कही, जिसके अंतर्गत जापानी सेनाओं को बिना कैबिनेट मंजूरी के रक्षात्मक कार्रवाई करने की पूरी छूट होगी।
चीन अगर इसी तरह से आक्रामक रुख अपनाता रहा तो जापान को मजबूरन चीन के खिलाफ एक कड़ा एक्शन लेना ही पड़ेगा जिससे युद्ध की भी शुरुआत हो सकती है।























 
 




