ऐसे वक्त में जब सोशल मीडिया दिग्गज अपने platform पर फेक न्यूज़ और Misinformation से लड़ने के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, तो फेसबुक पर चीनी प्रोपेगैंडावादी मीडिया संगठनों को लाखों-करोड़ों की संख्या में नए followers मिल रहे हैं। The Sun की एक रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक पर चीनी मीडिया संगठनों के पास Will Smith, Lionel Messi, Justin Bieber, Katy Perry और Dwayne ‘The Rock’ Johnson जैसी वैश्विक लोकप्रिय Celebrities से भी ज़्यादा followers हैं।
इसी तरह कुछ मीडिया संगठनों के पास YouTube और Coca-Cola जैसे brands से कई गुना अधिक अधिक followers हैं। वह भी तब जब फेसबुक चीन में प्रतिबंधित है। यही कारण है कि अब UK के सांसद चीनी मीडिया संगठनों पर फेसबुक के इस रहम को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
यह बात किसी से छुपी नहीं है कि चीन CGTN, China daily और Global Times जैसे Outlets के जरिये चीनी एजेंडे को दुनियाभर में फैलाने का काम करता है। इसमे झूठी खबरें और Misinformation भी शामिल होती हैं। उदाहरण के लिए कोरोना के समय में चीन ने इन्हीं मीडिया संगठनों के माध्यम से निम्नलिखित दावे किए जिनकी पुष्टि अभी तक नहीं की जा सकी है:
- कोरोना की उत्पत्ति US में हो सकती है।
- वुहान में कोरोना अमेरिकी सेना की साजिश का हिस्सा हो सकता है।
- Pfizer वैक्सीन निम्न-स्तरीय है, जिसके कारण लोग अपनी जान गंवा रहे हैं।
सवाल यह है कि झूठी खबर से लड़ने के दावे कर रहा फेसबुक इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों साधे हुए है। White House की पहली महिला Intelligence ऑफिसर Theresa Payton के मुताबिक “इतनी बड़ी following में नकली accounts और बोट्स का एक बड़ा योगदान हो सकता है। चीन Artificial Intelligence के माध्यम से ऐसा कर सकता है।”
King’s कॉलेज लंदन के साइबर सुरक्षा रिसर्च अध्यक्ष Dr Tim Stevens के मुताबिक “चीन में रह रहे लोग VPN के माध्यम से इन pages को फॉलो कर सकते हैं। चीन पश्चिमी देशों के वर्चस्व को चुनौती देकर अपनी खुद की आवाज़ को बुलंद करना चाहता है। चीन हर कंटेन्ट का चीनीकरण कर अपने एजेंडे के मुताबिक पाठक को भ्रमित करने की कोशिश करता है।”
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हालांकि, सवाल सबसे बड़ा यह है कि फेसबुक चीन को उसके platform पर यह सब करने की खुली छूट कैसे दे सकता है ? UK संसद की Foreign Affairs Select कमिटी के अध्यक्ष और सांसद Tom Tugdenhat के मुताबिक “Hong Kong, शिंजियांग और कोरोना को लेकर चीन ने जमकर झूठी खबरें फैलाई हैं। चीन का यह व्यवहार लोकतान्त्रिक दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है। फेसबुक अपने platform पर चीनी एजेंडे को लाखों लोगों तक पहुंचाने की सहूलियत प्रदान करता है। इसके लिए फेसबुक और सोशल मीडिया पर लगाम कसी जानी चाहिए।”
यह बात ध्यान देने वाली है कि चीनी मीडिया CGTN का account जहां फेसबुक पर दुनिया का चौथा सबसे बड़ा पेज है, तो वहीं ट्विटर पर कोई भी चीनी account टॉप 50 तक में शामिल नहीं है। इसका अर्थ स्पष्ट है कि चीनी मीडिया संगठनों की लोकप्रियता सिर्फ फेसबुक पर ही दिखाई देती है, जो असल में विवादास्पद है।
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फेसबुक का दावा है कि वह अपने platform से झूठी खबर को जल्द से जल्द हटाता है। इसके लिए वह दुनियाभर में 80 से ज़्यादा स्वतंत्र Fact-Checkers के साथ मिलकर काम करता है। हालांकि, जिस प्रकार धड़ल्ले से फेसबुक पर चीनी कंटेट परोसा जा रहा है, उसे देखकर फेसबुक के इन दावों पर शक ज़रूर होता है।
चीन के साथ व्यापार कर और अपने platform पर चीनी संगठनों के अभियान चलाने के पीछे फेसबुक के आर्थिक हित छिपे हो सकते हैं। यही कारण है कि फेसबुक इतने ज़्यादा दबाव के बावजूद चीन और उसके एजेंडे के खिलाफ कोई भी कदम उठाने में कतराता है। फेसबुक को अपने platform पर इन झूठे मीडिया संगठनों के खिलाफ कार्रवाई कर अपने रुख को स्पष्ट करना चाहिए।