केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान यानी ‘उज्जवला मैन’ ने हाल ही में 50 हजार स्कूल शिक्षकों के लिए ‘स्कूल इनोवेशन एंबेसडर प्रशिक्षण कार्यक्रम’ की शुरुआत की है। यह योजना नई शिक्षा नीति 2020 के तहत शुरू की गई है। स्कूली शिक्षकों के लिए इस कार्यक्रम का उद्देश्य 50,000 स्कूल शिक्षकों को नवाचार, उद्यमिता, आईपीआर, उत्पाद विकास, विचार निर्माण जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण देना है। शिक्षामंत्री ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए बताया कि शिक्षकों का हमारे जीवन में सबसे अधिक प्रभाव होता है।
धर्मेंद्र प्रधान ने हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री का पद संभाला है, इससे पहले प्रधान भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री थे। प्रधान जब पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री थे तो उन्होने साल 2016 में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की पहल की थी।
इस महत्वकांक्षी योजना का लक्ष्य यह था कि देश भर के गरीब परिवारों तक गैस सिलिंडर अथवा गैस चूल्हा मुहैया कराया जाए। भारत जैसे जटिल जनसांख्यिकीय देश के लिए योजना चुनौती भरी थी, लेकिन धर्मेंद्र प्रधान ने यह चुनौती स्वीकार कर ली और रिकॉर्ड समय, साल 2019 तक 8 करोड़ परिवारों ने इस योजना का लाभ उठाया है।
भारत सरकार ने 8 करोड़ परिवारों को गैस सिलिंडर अथवा गैस चूल्हा मुहैया कराने का लक्ष्य साल 2020 में रखा था, लेकिन धर्मेंद्र प्रधान ने समय से 7 महीना पहले ही यह अद्भुत कार्य कर दिखाया था। जिसके पश्चात उनकी पहचान ‘ उज्जवला मैन’ नाम से भी होने लगी थी।
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धर्मेंद्र प्रधान नें महज 3 सालों में वो कर दिखाया था, जो कांग्रेस सरकार दशकों तक सोच भी नहीं पाई। ऐसे में प्रधान की कार्य शैली को देखते हुए प्रधानमंत्री ने उन्हें शिक्षा मंत्री का दायित्व सौंपा है। प्रधान के सामने लक्ष्य साफ है- नई शिक्षा नीति 2020 को सफलता पूर्वक पूरे देश में लागू करवाना। यह भी कार्य उज्जवला योजना की तरह जटिल और पेचीदा है, लेकिन इसके साथ यह कार्य महत्वकांक्षी भी है।
नई शिक्षा नीति के तहत विदेश के टॉप 100 विश्वविद्यालयों का भारत में निवेश करने का रास्ता खोलने का लक्ष्य है। अगर ऐसा होता है तो भारत में Stanford, Yale, MIT अपनी ब्रांच खोल सकती है। इतना ही नहीं यूजीसी और AICTE को बंद करके नया संगठन बनाने की भी योजना है।
बोर्ड के पाठ्यक्रम को सरल बनाने का भी लक्ष्य है। 5वीं कक्षा तक के बच्चों को उनकी मातृ भाषा एवं स्थानीय भाषा में शिक्षा दी जाएगी। इसके साथ ही स्नातक शिक्षा 4 साल में कराने का भी प्रस्ताव रखा गया है, जिसमें विद्यार्थी अपनी मर्जी से कोर्स से जुड़ सकते है और उसे छोड़ भी सकते हैं।
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पिछेले 34 सालों से भारत की शिक्षा प्रणाली में कोई बदलाव नहीं आया है, लेकिन साल 2020 में मोदी सरकार नई शिक्षा नीति लेकर आई है। गौर करने वाली बात यह है कि शानदार शिक्षा नीति का भी भारत विरोधी तत्वों ने विरोध करना शुरू कर दिया है।
उज्जवला योजना की तरह यह नई शिक्षा नीति भी जबरन तरीके से लागू नहीं कराई जाएगी। इस नीति को शिक्षा संस्थानो को अपनी स्वेच्छा से लागू करना है।
धर्मेंद्र प्रधान आम जनमानस को देशहित के बारे में सोचना और उस पर अमल कराने के लिए पहले भी प्रोत्साहित कर चुके है, ऐसे में उम्मीद है कि नई शिक्षा नीति भी सफलता पूर्वक देशभर में लागू की जाएगी।