कल एक ऐतिहासिक फैसले में प्रधानमंत्री मोदी ने मेजर ध्यानचंद का नाम उनके ऐतिहासिक योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च खेल पुरस्कार के साथ जोड़ते हुए राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम परिवर्तित कर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार रख दिया है। इस घोषणा के बाद अब उन सभी गैरज़रूरी नामों को परिवर्तित करने का क्रम पुनः तेजी पकड़ सकता है, जिन संस्थान के नामों को नेहरू गांधी परिवार के नाम पर रखा गया है। केंद्र सरकार जैसे-जैसे नामों को परिवर्तित कर रही है, शीघ्र ही बहुत सी नामचीन हस्तियों और आतताइयों (मूलतः मुग़ल कालीन) के नाम पर रखे गए सभी स्थानों में बड़ा परिवर्तन देखने मिल सकता है।
भारतीय राजनीतिक इतिहास में काम कम और नाम ज़्यादा की परंपरा की शुरुआत नेहरू गांधी परिवार के संयोजन से ही शुरू हुई थी। भारत में शायद ही कोई ऐसा राज्य होगा जहाँ कोई सरकारी या गैर सरकारी संस्थान का नामकरण तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों- जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के नाम पर न हो। केंद्रीय मंत्रालयों के लगभग सभी प्रमुख कार्यक्रमों के नाम नेहरू गांधी परिवार के नाम पर रखे गए थे।
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2013 में उठाए गए सूचना के अधिकार प्रश्न का उत्तर दिया गया था कि 450 से अधिक योजनाओं, भवन, परियोजनाओं, संस्थानों आदि का नाम नेहरू गांधी परिवार के तीन परिवार के सदस्यों (जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी) के नाम पर रखा गया था। हालांकि वर्ष 2014 के बाद प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 2014 से कई नाम बादल दिये हैं परंतु यह लिस्ट लंबी है। क्रमानुसार अब भी नेहरू और गांधी परिवारके नाम से कई परियोजनाएं और संस्थान चल रहे हैं, अब उनका नाम उस क्षेत्र से जुड़ी महान विभूति के साथ जोड़ा जा सकता है। ऐसे ही कुछ नामों की लिस्ट निम्नलिखित है।
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाम से देश में 661 जवाहर नवोदय विद्यालय चल रहे हैं। यही नहीं 40 से अधिक नामचीन शिक्षण संस्थान जैसे कि- दिल्ली का जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पांडिचेरी जवाहर बाल भवन त्रिशूर, केरल; जवाहर भारती कॉलेज, कवाली, आंध्र प्रदेश; जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र, बैंगलोर; कर्नाटक जवाहरलाल नेहरू इंजीनियरिंग कॉलेज, औरंगाबाद; महाराष्ट्र जवाहरलाल नेहरू गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, सुंदर नगर, हिमाचल प्रदेश आदि। देश में 1 दर्जन से अधिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के नेहरू संग्रहालय जैसे संग्राहलह आदि; खेल मैदानों से लेकर विभिन टूर्नामेंटों से लेकर तमाम पुरस्कारों, रोड से लेकर पार्कों के नाम, की ऐसी लंबी सूची है जिनके नाम अनावश्यक तौर पर प्रधानमंत्री नेहरू से जोड़े गए हैं। जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल बॉटनिकल गार्डन, जवाहरलाल नेहरू उष्णकटिबंधीय वनस्पति उद्यान और अनुसंधान संस्थान, नेहरू पार्क, बर्नपुर नेहरू पार्क, दिल्ली/गुवाहाटी/कोयंबटूर/त्रिशूर, नेहरू प्राणी उद्यान, हैदराबाद कुछ उदाहरण हैं।
Here's just a fraction of the sporting events and stadia named after Nehru, Indira, and Rajiv Gandhi.
Feeling a little sad that the politician Dhyan Chand has stolen the limelight from, without doubt, the GREATEST sporting dynasty the world has ever seen. pic.twitter.com/DASxVB2YmC
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) August 6, 2021
अगला नंबर इंदिरा गांधी का है जिनके नाम से संस्थागत योजनाओं का नामकरण देश के पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक किया गया है। देश के कई नामी और श्रेष्ठतम पुरस्कार तथा खेल प्रतियोगिताएं हैं जिनका नामकरण इन्दिरा गांधी के नाम पर है, फिर चाहे वो फिल्मों के लिए दिया गया इंदिरा गांधी पुरस्कार हो या राष्ट्रीय एकता के लिए दिया गया इंदिरा गांधी पुरस्कार। हास्यास्पद है कि पर्यावरण पुरस्कार भी इंदिरा गांधी पुरस्कार के नाम से जाना जाता है।
यही नहीं देश में कई ऐसे आयोजन स्थल हैं जिनका नाम इंदिरा के नाम से अंकित है जैसे- इंदिरा गांधी एथलेटिक स्टेडियम, इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय खेल स्टेडियम, हल्द्वानी (उत्तराखंड), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, इंदिरा गांधी स्टेडियम, अलवाडी/सोलापुर/ऊना/विजयवाड़ा, इंदिरा प्रियदर्शिनी स्टेडियम आदि।
अस्पतालों की बात की जाए तो इंदिरा गांधी चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल, इंदिरा गांधी सहकारी अस्पताल, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, इंदिरा गांधी मेमोरियल अस्पताल ऐसे कई शोध और मेडिकल संस्थान इनके नाम से भारत में विद्यमान हैं।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र, इंदिरा गांधी दिल्ली महिला तकनीकी विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, इंदिरा गांधी प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली / उड़ीसा, आदि के नामों से यह स्पष्ट है कि नेहरू गांधी परिवार किस तरह अपने वर्चस्व को दिखाने के लिए हमेशा आगे रहा है।
ऐसे ही कई संग्रहालय और पार्क, परिवहन संरचना, विश्वविद्यालय, कॉलेज और अनुसंधान संस्थान, केंद्र सरकार की योजनाएं जैसे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना तथा इंदिरा कैंटीन, साथ ही राज्य सरकार की योजनाएं इंदिरा गांधी के नाम से बस रख दी गईं।
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सूची में अगले नंबर पर आते हैं राजीव गांधी, जिनका नाम उन प्रधानमंत्रियों में लिया जाता है जिनके कालखंड में सबसे अधिक भ्रष्टाचार और दंगों की रीति नीति साल दर साल बढ़ती ही गयी थी। उनके नाम पर भी कम उत्पात नहीं मचा है।
अब राजीव गांधी का भी अपने पूर्वजों की तरह ही नामों की फसल में बड़ा योगदान है, फिर क्या हवाई अड्डे, क्या पुरस्कार, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, संग्रहालय और पार्क, योजनाएं, स्टेडियम इन सभी के नामों में जो प्रभुत्व राजीव गांधी ने कायम किया, उसमें उन्होंने प्रधानमनी नेहरू और इंदिरा भी पीछे रह गए हैं। असम राजीव गांधी सहकारी प्रबंधन विश्वविद्यालय, शिवसागर, असम, गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय, राजस्थान, भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग, मेघालय जैसे सभी महविद्यालय और विश्वविद्यालय आज भी संचालित हैं। राजीव गांधी कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र, दिल्ली, राजीव गांधी सरकारी सामान्य अस्पताल, चेन्नई (तमिलनाडु), राजीव गांधी सरकारी महिला एवं बाल अस्पताल, पांडिचेरी, राजीव गांधी छाती अस्पताल, बेंगलुरु जैसे मेडिकल संबंधित संस्थान इन्हीं के नाम से जाने जाते हैं।
किसी भी क्षेत्र में भले ही नेहरू गांधी परिवार का कोई जुड़ाव या योगदान न भी रहा हो तब भी उस क्षेत्र को उनके नाम से जाना जाता है क्योंकि इस परिवार को यह लगता है कि यह देश उनकी ऐतिहासिक धरोहर है। अब इस चलन को समाप्त कर मोदी सरकार नाम परिवर्तन की श्रृंखला को सुचारु रूप देते हुए एक नए इतिहास के क्रम की शुरुआत करने जा रही है।