एनडीटीवी का अलगाववाद और आतंकवाद के प्रति प्रेम किसी से छुपा नहीं है। शेरशाह मूवी के बारे में एक ट्विटर यूजर का जवाब इसलिए भी वायरल हो रहा है क्योंकि उनके अनुसार शेरशाह फिल्म में एनडीटीवी की पूर्व पत्रकार बरखा दत्त द्वारा किस तरह से भारतीय सैनिकों की लोकेशन को पाकिस्तानी सैनिकों को लीक किया गया था, इसे दिखाया ही नहीं गया। इससे इतर इस बार जो एनडीटीवी ने किया वो न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि आतंकवाद के प्रति एनडीटीवी की सोच को भी जगजाहिर करता है। एक तरह से यदि एनडीटीवी को आतंकियों का अनाधिकारिक मुखपत्र कहा जाए तो गलत भी नहीं होगा। हाल ही में एनडीटीवी ने तालिबान के प्रमुख प्रवक्ताओं में से एक मुहम्मद सोहेल शाहीन को न केवल अपने प्लेटफ़ॉर्म पर मंच दिया बल्कि उसे अपना प्रोपगैंडा फैलाने की पूरी आजादी भी दी।
एनडीटीवी के शो रेयलिटी चेक पर मुहम्मद सोहेल शाहीन ने स्पष्ट किया कि न तो तालिबान ने आत्मसमर्पण करने वाले लोगों की हत्या की है और न ही तालिबान ने दानिश सिद्दीकी की बर्बरता से सिर्फ इसलिए हत्या की है क्योंकि वह भारतीय था। वह धड़ल्ले से तालिबान का प्रचार कर रहा था और एनडीटीवी बेशर्मी से उसके प्रोपगैंडा का प्रसार कर रही थी।
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इतनी बेशर्मी से तो अल जज़ीरा जैसे चैनल भी आतंकियों की जी हुज़ूरी नहीं करते होंगे, जिस प्रकार से एनडीटीवी ने तालिबान की जी हुज़ूरी की है। ये इसलिए भी स्पष्ट होता है क्योंकि दानिश सिद्दीकी की हत्या वास्तव में इसीलिए तालिबानियों ने की थी, क्योंकि वह भारतीय था।
TFI Post के ही एक विश्लेषण के अनुसार, “अफगान के स्थानीय प्रशासन ने इस बात की जानकारी दी है कि घटना वाले दिन सिद्दीकी स्पिन बोल्डक क्षेत्र में अफगान की सेना के साथ ट्रैवल कर रहे थे। इसी दौरान एक हमला हुआ और पूरी सेना तितर-बितर हो गई। सिद्दीकी के साथ जो कमांडर और सेना के लोग थे, वह भी अलग हो गए। दानिश के साथ केवल तीन सैनिक बचे थे। तभी सिद्दीकी को गोलीबारी के छर्रे आकर लगे।
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घायल अवस्था में वह एक स्थानीय मस्जिद में घुसे और अपना प्राथमिक उपचार करवाया। मगर, कुछ देर में यह खबर चारों ओर फैल गई कि मस्जिद में कोई पत्रकार है। सिद्दीकी जिंदा थे, जब उन्हें तालिबानियों ने पकड़ा, उन्हें घसीटकर मस्जिद से बाहर निकाला। फिर उनसे पूछा गया कि वह कहाँ से हैं। पहचान जानने के बाद न केवल उन्हें मारा गया बल्कि उनके साथ जितने लोग थे सबकी जान ले ली गई।
माइकल के अनुसार दानिश की कुछ फोटो जगह-जगह शेयर हुईं, लेकिन उन्होंने भारत सरकार के सूत्रों से कुछ ऐसी तस्वीरें प्राप्त की, जिसमें नजर आया कि कैसे तालिबान ने दानिश सिद्दीकी के सिर पर मारा और फिर उनको गोलियों से छलनी कर दिया गया।”
इसके अलावा मुहम्मद सोहेल शाहीन वही व्यक्ति है, जिन्होंने हाल ही में भारत को धमकी भी दी है कि यदि अफगानी प्रशासन की सहायता के लिए उन्होंने सैन्य सेवा भेजी, तो अच्छा नहीं होगा। ऐसे व्यक्ति को अपने चैनल पर स्थान देकर एनडीटीवी ने केवल पत्रकारिता की मर्यादा को तार तार किया है, अपितु ये भी सिद्ध किया है कि वह अपने एजेंडे के लिए किस हद तक गिर सकता है।
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ऐसे में सवाल यही उठता है कि एक आतंकवादी संगठन जोकि अफगानिस्तान में कहर बरपा रहा है। वहां लगातार लोगों को मार रहा है। पत्रकारों को मार रहा है। आतंकवादी संगठन जोकि हिंदुस्तान को धमकी दे रहा है। हिंदुस्तान जिसके ख़िलाफ़ दुनियाभर में रणनीति बना रहा है, आखिरकार कैसे एनडीटीवी उस आतंकवादी संगठन को खुद को डिफेंड करने का मंच दे सकता है ? क्या एनडीटीवी ने अपने लेफ्ट-लिबरल एजेंडे से ऊपर बढ़कर आतंकियों का एजेंडा चलाने का निश्चय कर लिया है ?