रामसेतु के मुद्दे पर एक बार कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने देश के सर्वोच्च अदालत में हलफनामा देते हुए कहा था, “Ram Doesn’t Exist” संभवतः यही कारण है कि अदालतों ने भी राम मंदिर के अयोध्या विवाद को कभी ज्यादा महत्व नहीं दिया! लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद स्थिति में ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला, कोर्ट में लगातार सुनवाई हुई और सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर ऐतिहासिक निर्णय भी सुनाया। ऐसे में किसी शख्स ने वामपंथियों और कांग्रेस के तर्कों को काटते हुए ये साबित किया कि भगवान राम का अस्तित्व है और राम जन्मभूमि कहां है, तो वो शख्स पुरातत्व विभाग के प्रोफेसर बी बी लाल हैं, जिन्हें मोदी सरकार ने सम्मानित किया है।
मोदी सरकार उन लोगों को सम्मानित करने में कभी पीछे नहीं रहती, जिनकी समाज के निर्माण में विशेष भूमिका होती है। भले ही लोग कितने निम्न स्तर के हो, किन्तु मोदी सरकार व्यक्ति की नियत देख उसके साथ व्यवहार करती है। हाल ही में राष्ट्रपति द्वारा दिए गए पद्म श्री और पद्म विभूषण सम्मानों में इसकी सटीक झलक दिखती है। इस बार मोदी सरकार ने ऐसे लोगों को सम्मानित कराया है, जिन्होंने समाज को जोड़ने का काम किया है। इसका एक उदाहरण पद्म विभूषण से सम्मानित पुरातत्व विभाग के अधिकारी प्रोफेसर बी बी लाल है, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में बाबरी मस्जिद की खुदाई करके ये साबित किया था कि मस्जिद की जगह मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद का अवैध निर्माण किया गया था। इस रिपोर्ट के आधार पर आए फैसले ने न केवल वर्षों के हिंदुओं के इंतजार को खत्म किया, अपितु हिंदू-मुस्लिम दरार को भरने की एक नई पहल का शुभारंभ भी किया।
अयोध्या केस के कारण चर्चित हुए बी बी लाल
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही देश की अदालतों में श्रीराम जन्मभूमि का मुद्दा ज्वलंत रहा, ऐसे में पुरातत्व विभाग को बाबरी मस्जिद का सच उजागर करने की जिम्मेदारी दी गई थी, और पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने ये साबित कर दिया था कि बाबरी मस्जिद से पहले उस जमीन पर मंदिर ही था। ऐसे में विवादित ढांचा टूटने के बाद से प्रोफेसर बी बी लाल पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग की एक चर्चित कड़ी बन गए। आज भी वो इस मामले के कारण ही लोकप्रिय हैं। वहीं, भगवान राम के अस्तित्व को सिद्ध करने के लिए बी बी लाल को पद्म विभूषण द्वारा सम्मानित किया गया है।
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भगवान राम और हिंदू संस्कृति से विशेष लगाव
हिंदुओं की आस्था के प्रतीक भगवान श्रीराम का त्याग, शीतलता, शालीनता और शौर्य इतना अधिक था कि उनके आदर्शों को लेकर किए गया अध्ययन आज भी लोगों के लिए दिलचस्प बना हुआ है। प्रोफेसर बी बी लाल का भी भगवान श्रीराम से विशेष लगाव रहा है। साल 1975-76 के बाद से प्रो. लाल ने रामायण से जुड़े अयोध्या, भारद्वाज आश्रम, श्रृंगवेरपुर, नंदीग्राम और चित्रकूट जैसे स्थलों की खुदाई कर अहम तथ्य दुनिया तक पहुंचाएं, और राम के अस्तित्व से दुनिया को वैज्ञानिक तौर पर भी परिचित करना शुरू कर दिया। उनके नाम पर 150 से अधिक शोध लेख दर्ज हैं। बी बी लाल की किताब ‘राम, उनकी ऐतिहासिकता, मंदिर और सेतु: साहित्य, पुरातत्व और अन्य विज्ञान’ को लेकर खासी बहस हुई थी। इसमें विवादित ढांचे के नीचे मंदिर होने की बात कही गई थी।
हिंदुओं के इतिहास को जिस तरह से खत्म करने की प्लानिंग की गई थी, उसका सच बी बी लाल ने सबसे सामने रखा था, भगवान राम के ऊपर किए गए उनके शोधों के कारण ही राम जन्मभूमि केस को हल करने में सुप्रीम कोर्ट को भी सहजता हुई। बी बी लाल के द्वारा सामने लाए गए तथ्यों को काटना किसी के भी बस की बात नहीं थी। खास बात ये है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी की सरकार में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका था, वही अब मोदी सरकार भी उन्हें पद्म विभूषण से नवाज चुकी है।
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महाभारत के भूगोल को सटीक मानते हैं बी बी लाल
प्रोफेसर बी बी लाल महाभारत में दिए गए भूगोल को भी सदैव सटीक मानते हैं और उन्होंने बार-बार ऐतिहासिक रूप से उसे परख कर सही भी पाया है। हालांकि, उनकी खोज को कुछ अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों द्वारा खारिज किया गया, लेकिन उन आलोचनाओं को कभी महत्व नहीं मिला। उनका मानना था कि प्राचीन काल में जरूर यमुना नदी की धारा मुड़ गई होगी, जिससे पांडवों को अपनी राजधानी बदलनी पड़ी। अंततः महाभारत में उन्हें वो श्लोक मिल गया और उसके आधार पर खुदाई कर के उन्होंने साबित कर दिया कि भारी बाढ़ और यमुना की धारा बदलने के कारण राजधानी बदली थी।
स्पष्ट है कि जिस शख्स ने भारत के सबसे पुराने और सर्वाधिक विवादित केस को हल करने में तटस्थता के साथ दावे किए, और हिंदुओं के बिंदुओं को मजबूती से रखने का मंच दिया, उसके बाद न केवल अयोध्या केस आसानी से खत्म हो गया, अपितु मोदी सरकार अब इन्हीं समाज के महत्वपूर्ण कार्यों के लिए प्रोफेसर बी बी लाल को सम्मानित कर रही है। खास बात ये है कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी प्रोफेसर के के मोहम्मद को भी पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है।