‘सुपरकॉप उडुपी सिंघम’! वो कर्नाटक में एक किंवदंती है। वो बेहतरीन और बेबाक हैं, जिनके आगे टिकना किसी के लिए भी आसान नहीं है। जी हां! हम बात कर रहे हैं आईआईएम पास-आउट ‘अन्नामलाई कुप्पुसामी’ हैं। जिन्होंने पहले प्लेसमेंट को ठुकराया और फिर सिविल सेवाओं की ओर रुख किया। जब वो कर्नाटक में पोस्टेड थे, तब उन्होंने सांप्रदायिकता और दंगों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। कर्नाटक में ये किंवदंती अन्नामलाई अब तमिलनाडु की एक किंवदंती बनने के लिए तैयार है। वो बेबाक तरीके से अपने मन की बात कहतें है। उन्होंने तमिलनाडु में स्थानीय भाजपा विरोधी मीडिया को जकड़ रखा है। वो लगातार ये उजागर कर रहे हैं कि कैसे स्थानीय मीडिया ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दुष्प्रचार कर लोगों को ठगा है। वो उस तरह के राजनेता नही हैं, जिनके साथ कोई मीडिया संस्था या पत्रकार खिलवाड़ कर सकता है। वो वाकपटु, तेज और मजाकिया हैं।
एक पुलिस अधिकारी के रूप में अन्नामलाई का शानदार करियर रहा है। वो कर्नाटक कैडर के 2011 बैच के पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने चिक्कमंगलुरु और उडुपी जिलों के पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य किया। सितंबर 2019 में पुलिस सेवा छोड़ने से पहले, उन्होंने बेंगलुरु (दक्षिण) में डीसीपी के रूप में भी काम किया। अन्नामलाई का राजनीतिक करियर भी शानदार रूप से ऊपर उठा है। अगस्त 2020 में वो भाजपा में शामिल हुए। उन्हें पार्टी में शामिल होने के एक साल के भीतर ही राज्य इकाई का प्रमुख बना दिया गया। अन्नामलाई तमिलनाडु के कोंगु क्षेत्र के करूर जिले में रहने वाले एक किसान परिवार से आते हैं। इस प्रकार, राजनीतिक रैंकों में उनका उदय शानदार है।
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तमिलनाडु में बीजेपी को कैसे बढ़ा रहे हैं अन्नामलाई ?
अन्नामलाई अपनी विचारधारा और उद्देश्य को लेकर काफी स्पष्ट हैं। उन्होंने खुले तौर पर घोषणा की है कि “मैं एक ठेठ तमिल राजनेता की तरह नहीं बनना चाहता। मैं स्पष्ट हूं। यदि आप मुझे एक द्रविड़ राजनेता के सांचे में फिट करते हैं, तो मुझे खुशी होगी कि मैं उस सांचे में फिट नहीं हुआ। मैं ठेठ द्रविड़ राजनीतिक सांचे में फिट नहीं होना चाहता। मैं इससे दूर रहता हूं। इसलिए मुझे खुशी होगी अगर लोग इसकी आलोचना करें। पर, मैं इसे एक प्रशंसा के रूप में लूंगा।” अन्नामलाई एक बात के बारे में बिल्कुल स्पष्ट हैं कि वो द्रविड़ समर्थक स्थानीय मीडिया का समर्थन करने वाले नही हैं। वो वास्तविक तमिल संस्कृति का आह्वान करके खुश हैं और अपनी द्रविड़ विरोधी छवि को शान से प्रदर्शित करते हैं।
के अन्नामलाई शत्रुतापूर्ण मीडिया से नहीं डरते हैं। आपको ज्ञात होगा कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब मीडिया ने कैसे उनकी छवि खराब की थी। अंग्रेजी मीडिया ने भी उन्हें ‘butcher’ नाम से पुकारा। पर, वो अपने पर फेंके गए हर पत्थर से ‘मील का पत्थर’ स्थापित करते गए। आपको तमिल विरासत को इंगित करने और अपने ध्यान में लाने के लिए एक अन्नामलाई की आवश्यकता है। भाजपा को हमेशा उनके जैसे किसी झूठे प्रचार को खत्म करने और समृद्ध तमिल संस्कृति के पुनरुत्थान को प्रोत्साहित करने की जरूरत थी।
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भाजपा के लिए एक महान खोज के समान हैं अन्नामलाई
के अन्नामलाई भाजपा के लिए एक महान खोज हैं। वो युवा, गतिशील, लोकप्रिय हैं और पार्टी को लोगों को जगाने के लिए ऐसे ही नेता की जरूरत है। वह भाजपा और तमिलनाडु राज्य के बीच सेतु का काम कर रहे हैं। चरण-दर-चरण, वो वहां के स्थानीय भाषा मीडिया और द्रविड़ राष्ट्रवाद द्वारा झूठे प्रचार जैसी बाधाओं पर काबू पा रहे हैं।
मुरुगन (पूर्व तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष) और अन्नामलाई दोनों तमिलनाडु में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में क्रमशः धर्मपुरम और अरवाकुरिची के निर्वाचन क्षेत्रों में हार गए। कर्नाटक कैडर के अन्नामलाई ने वर्ष 2019 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया और पिछले साल भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा उपाध्यक्ष के एस नरेंद्रन ने कहा, “वह एक युवा प्रतीक होंगे। उन्होंने दिखाया है कि वह एक IPS अधिकारी के रूप में एक सख्त और अच्छे प्रशासक हैं। उन्होंने कम उम्र में ही सेवा छोड़ दी और अपने राष्ट्रवादी आदर्शों के कारण हमसे जुड़ गए।” निश्चित ही भाजपा आलाकमान ने अन्नामलाई के रूप में तमिलनाडु को एक आदर्श नेतृत्व दिया है।