TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं

    कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

    सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के भीतर बिलों पर मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

    विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा से बाध्य नहीं हैं राष्ट्रपति और राज्यपाल , प्रेसिडेंट मुर्मू के सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या जवाब दिया, और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

    आतंकवाद को भावुकता की आड़ में ढकने की कोशिश

    दिल्ली धमाका: ‘वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ की बर्बरता को कैसे ‘ह्यूमनाइज़’ कर रहे हैं  The Wire जैसे मीडिया संस्थान ?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

    ‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

    बांग्लादेश बन सकता है भारत के लिए नया संकट

    ISI और ARASA बांग्लादेश में कैसे रच रहे हैं क्षेत्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करने की साजिश?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    नेहरू 14 दिनों में ही नाभा जेल से निकल आए थेन

    जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’v

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं

    कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

    सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के भीतर बिलों पर मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

    विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा से बाध्य नहीं हैं राष्ट्रपति और राज्यपाल , प्रेसिडेंट मुर्मू के सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या जवाब दिया, और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

    आतंकवाद को भावुकता की आड़ में ढकने की कोशिश

    दिल्ली धमाका: ‘वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ की बर्बरता को कैसे ‘ह्यूमनाइज़’ कर रहे हैं  The Wire जैसे मीडिया संस्थान ?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

    ‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

    बांग्लादेश बन सकता है भारत के लिए नया संकट

    ISI और ARASA बांग्लादेश में कैसे रच रहे हैं क्षेत्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करने की साजिश?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    नेहरू 14 दिनों में ही नाभा जेल से निकल आए थेन

    जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’v

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

भारत के स्वतंत्रता की वास्तविक कहानी- अध्याय 6: वह अंतिम वार जिससे ब्रिटिश साम्राज्य के पांव उखड़ गए

इससे महात्मा गांधी का कोई लेना-देना नहीं है!

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
24 January 2022
in इतिहास
chapter-6 Indian Independence

Source- TFIPOST

Share on FacebookShare on X

‘बिनय न मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीति,

बोले राम सकोप तब, भय बिनु होई न प्रीति’

संबंधितपोस्ट

क्या नेताजी का निधन सचमुच 1945 विमान हादसे में हुआ था? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

आज़ाद हिंद फौज: भारत की वह बंदूक जिसने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी

कांग्रेस: औपनिवेशिक औजार से आपातकाल तक, भारत माता का अपमान

और लोड करें

श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड के इस बहुचर्चित पद्य का अर्थ बहुत स्पष्ट है, जब अनुनय विनय से काम न बने, तो अपने समक्ष खड़े व्यक्ति में भय का संचार करें और अपना काम कराएं। हमारे स्वाधीनता संग्राम को कोई गंभीरता से नहीं लेता था और महात्मा गांधी के अहिंसा की नीति अंग्रेज़ों के लिए ‘खिलौने’ के समान थी। इसी बीच दूसरे विश्व युद्ध का ग्रहण ब्रिटेन पर हुआ और ब्रिटेन के साथ-साथ उसके कई दास देशों को भी भारी नुकसान हुआ। परंतु इसके बाद भी ब्रिटिश साम्राज्य का ‘सूर्य’ अस्त होने का नाम नहीं ले रहा था। परंतु फिर कुछ ऐसा हुआ कि न केवल ये ‘सूर्य’ अस्त हुआ, अपितु विश्व के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य में से एक ब्रिटिश साम्राज्य को ऐसी पराजय का सामना करना पड़ा, जिसके बारे में आज भी चर्चा करने से पूर्व वे कई बार सोचते हैं। इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे उस अंतिम वार के बारे में, जिसने ब्रिटिश साम्राज्य के पांव भारत से सदैव के लिए उखाड़ दिए और इसमें मोहनदास करमचंद गांधी का कहीं से भी कोई हाथ नहीं था।

30,000 सिपाहियों ने मचा दिया था गदर

पता है इस संसार में सबसे मूल्यवान वस्तु क्या है? गोल्ड? नहीं! प्लैटिनम? बिल्कुल नहीं! मानव जीवन? कदापि नहीं! समय? नहीं! सबसे मूल्यवान वस्तु है ज्ञान और इन्फॉरमेशन, जो आपको युद्ध भी जिता सकता है और राष्ट्र के सृजन या विनाश में एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा सकता है। जब पर्याप्त जानकारी न हो और युद्ध शुरु हो जाए, तो ऐसे नरसंहार होंगे कि जर्मन Holocaust भी उसके समक्ष कुछ न लगें, पर्याप्त जानकारी के अभाव से एक अभेद्य जहाज ‘टाइटैनिक’ भी अपनी प्रथम यात्रा पर ही डूब जाता है।

इस प्रकार से अपर्याप्त इन्फॉर्मेशन के कारण सिंगापुर में वो हुआ, जिसकी कल्पना भी किसी ने अपने स्वप्न में भी नहीं की होगी। 8 फरवरी 1942 को सिंगापुर में जापानियों ने ‘भारी संख्या’ में ब्रिटिश, ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय सैनिकों की संयुक्त सेना पर धावा बोल दिया। Allied Forces की यह कुल टुकड़ी करीब 1,30,000 के आसपास थी, जिसमें से लगभग 50,000 सैनिक तो अकेले भारत के थे। परंतु इनपर भारी पड़े मात्र 30,000 जापानी, जिनके पास शायद एक लंबे युद्ध के लिए पर्याप्त आयुध भी नहीं थे।

परंतु यह कैसे संभव हुआ? इसका कारण स्पष्ट था – अपर्याप्त जानकारी। पर्ल हार्बर जैसा कांड होने के बाद भी अंग्रेज़ इस भ्रम में थे कि सिंगापुर पर आक्रमण करने का दुस्साहस जापान कभी कर ही नहीं सकता। यह भ्रम तब भी विद्यमान था, जब Allied Forces सिंगापुर से थोड़ी ही दूरी पर Malaya अभियान में बुरी तरह पराजित हुए थे, लेकिन जब जापानियों ने अपना ‘चक्रव्यूह’ फैलाया, तो अंग्रेज़ ऐसे फंसे कि संख्याबल और आयुध अधिक होने के बावजूद, बिना सोचे समझे, बस यूं ही आत्मसमर्पण कर दिया।

स्वयं जापानी कमांडर, जनरल टोमोयुकी यामाशिता के शब्दों में, “मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि वे इतनी सरलता से आत्मसमर्पण कर सकते हैं। मेरे पास सिर्फ 30,000 कुछ सिपाही थे और अनुपात में हम तीन से एक से भी कहीं से ज्यादा घिरे हुए थे। फिर भी हमारा आक्रमण काम आया, और उन्होंने यूं ही सरेंडर कर दिया” –

To quote General Yamashita himself, "My attack on Singapore was a bluff – a bluff that worked. I had 30,000 men and was outnumbered more than three to one. I knew that if I had to fight for long for Singapore, I would be beaten. That is why the surrender had to be at once".

— Animesh Pandey (Modi Ka Parivar) 🇮🇳 (@PandeySpeaking) February 8, 2021

इंडियन नेशनल आर्मी की स्थापना

लेकिन वो कहते हैं न, सबसे भीषण अंधकार भोर से पूर्व ही आता है। इसी प्रकार जब जापानियों के समक्ष Allied Forces ने लज्जापूर्वक आत्मसमर्पण किया, तो 50,000 भारतीयों को भी अंग्रेज़ों ने उनके हाल पर छोड़ दिया। जापानियों के लिए तो वे अंग्रेज़ों के ‘पिट्ठू’ थे, और इसीलिए टारगेट प्रैक्टिस के लिए कभी-कभी तो उन्हें भी गोलियों से भून दिया जाता था। परंतु, कुछ जापानी ऐसे भी थे, जिनकी मंशा कुछ और थी। इन्हीं में से एक थे मेजर इवाईची फुजीवारा, जो सांस्कृतिक रूप से भारत से जुड़े थे और उसे स्वतंत्र कराने को आतुर थे। उनकी पहचान हुई युद्धबंदी कैप्टन मोहन सिंह से और फिर स्थापना हुई इंडियन नेशनल आर्मी की, जिससे एक ऐसे व्यक्ति जुड़े, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की दशा और दिशा दोनों ही बदल दी।

https://twitter.com/LaffajPanditIND/status/1358825711201513472

वो व्यक्ति थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस, जो न केवल एक प्रखर राष्ट्रवादी थे अपितु एक निडर क्रांतिकारी भी। उनके व्यक्तित्व का प्रभाव कैसा था, इसका प्रमाण स्वयं पूर्व ब्रिटिश पीएम क्लीमेंट एटली ने दिया था, जब वो वर्ष 1956 में भारत यात्रा पर आए थे। अपनी यात्रा के दौरान कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस पीवी चक्रवर्ती ने उनसे पूछा कि ‘आपके पास भारत त्यागने के लिए कोई विशेष कारण तो था नहीं, फिर आप भारत छोड़ने को विवश क्यों हुए?”

एटली के अनुसार, “कारण तो कई हैं, लेकिन वास्तव में ये सुभाष चंद्र बोस और उनके द्वारा तैयार की गई इंडियन नेशनल आर्मी थी, जिसके कारण हमारी फौजें कमजोर हुई, और रॉयल इंडियन नेवी विद्रोह हुआ”।

जिसके बाद चक्रवर्ती ने पूछा-  “और गांधीजी के भारत छोड़ो आंदोलन का क्या?”

व्यंग्य भरी मुस्कान के साथ एटली ने कहा, “नगण्य!”

लाल किले के मुकदमे से हुआ ब्रिटिश साम्राज्य के पतन का प्रारंभ

परंतु ऐसा भी क्या हुआ, जिसके पश्चात ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य इतनी जल्दी अस्त हो गया? जिसे न सम्राट विलियम डिगा पाया, न हिटलर, न हिरोहितो और न ही मुसोलिनी, उसे परास्त किया एक ऐसे क्रांतिकारी ने, जिसकी सेना ने ब्रिटिश शासन को दर्पण दिखाया और यह भी दिखाया कि अकड़ में तो रावण भी नहीं टिक पाया, तो फिर ब्रिटिश साम्राज्य की क्या हस्ती?

लाल किले के मुकदमे से ब्रिटिश साम्राज्य के पतन का प्रारंभ हुआ । तब नेताजी सुभाष चंद्र बोस या तो भूमिगत हो चुके थे या फिर उनका कोई अता पता नहीं था। तत्कालीन ब्रिटिश इंडियन आर्मी प्रमुख, जनरल क्लाउड औचिनलेक ने भारतीय वाइसरॉय लॉर्ड वॉवेल को आश्वस्त किया कि भगोड़ी फौज के विरुद्ध ऐसे आरोप लगे हैं कि भारत में उनके दास कभी भी इन ‘कायरों’ के साथ अपने आप को संबोधित नहीं करेंगे। लेकिन जनरल औचिनलेक यह भूल गए कि इंग्लैंड और भारत की जनता में आकाश पाताल का अंतर है। जरुरी नहीं कि जो इंग्लैंड की जनता के लिए देशद्रोही हो, वो भारत के लिए भी हो। धीरे-धीरे इंडियन नेशनल आर्मी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की शौर्य गाथा भी देश के कोने-कोने में फैलने लगी और प्रमुख अफसरों पर जब मुकदमा चलता, तो पूरे देश में गूँजता-

“लाल किले से आई आवाज, सहगल, ढिल्लों, शाहनवाज़,

इनकी हो उमर दराज!”  –

रॉयल इंडियन नेवी विद्रोह की भूमिका

लाल किले में इंडियन नेशनल आर्मी के अफसरों, विशेषकर मेजर जनरल शाह नवाज़ खान, कर्नल प्रेम कुमार सहगल और लेफ्टिनेंट कर्नल गुरबक्श सिंह ढिल्लों के विरुद्ध प्रारंभ हुए मुकदमे का असर ठीक उल्टा पड़ा और मुकदमा खत्म होते-होते तत्कालीन सैन्य प्रमुख, जनरल क्लाउड औचिनलेक को भी आभास हो चुका था किअब स्थिति पहले जैसी नहीं रही। उन्होंने ब्रिटिश शासन को स्पष्ट चेतावनी दी कि उक्त अफसरों में किसी को भी दंडित करने का दुष्परिणाम बहुत भयानक होगा।

In a letter written to the senior British officials, he wrote that punishing any of the three officers on trial or any soldier of INA would invite an uprising of a scale that cannot be imagined, and would lead to mutiny within the ranks of the British Indian forces.

— Animesh Pandey (Modi Ka Parivar) 🇮🇳 (@PandeySpeaking) February 18, 2021

जनरल औचिनलेक की भविष्यवाणी एकदम सत्य सिद्ध हुई। 18 फरवरी 1946 को बॉम्बे के निकट नौसैनिक ट्रेनिंग स्कूल HMIS Talwar पर वो हुआ, जिसकी कल्पना किसी ब्रिटिश साम्राज्यवादी ने नहीं की थी। अनेकों गैर कमीशन नाविकों ने घटिया खानपान और रहन-सहन को लेकर हड़ताल कर दी। जब HMIS Talwar के कमांडर ने उनकी मांगों को सुनने के बजाए उन्हे अभद्र भाषा में उलाहने देने प्रारंभ किए, तो भारतीयों का क्रोध सातवें आसमान के पार निकल गया। उन्होंने जहाज पर धावा बोलते हुए ब्रिटिश पताका हटाई और कांग्रेसी तिरंगा लहरा दिया। यही नहीं, जो भी अंग्रेज़ अफसर विरोध करता या तो उसे गोलियों से भून देते या फिरउसे जहाज से नीचे समुद्र में फिंकवा देते। इसे ही बाद में रॉयल इंडियन नेवी विद्रोह के बॉम्बे विद्रोह के नाम से जाना गया।

ये तो कुछ भी नहीं है। दावानल की भांति यह विद्रोह कोच्चि, विशाखापटनम, कराची, कलकत्ता में फैलने लगा। हर जगह जय हिन्द और वन्दे मातरम का उद्घोष होने लगा और इसका असर ऐसा पड़ा कि ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सबसे कर्तव्यनिष्ठ गोरखा सिपाही तक अपने ही भाइयों पर गोली चलाने से मना करने लगे। उनके लिए अब राष्ट्रवाद सर्वोपरि था।

20 फरवरी तक भारतीय नौसेना ने गेटवे ऑफ इंडिया समेत सम्पूर्ण बॉम्बे को घेर लिया था। अब आर या पार की लड़ाई थी। यदि उस समय सरदार पटेल ने हस्तक्षेप न किया होता, तो ऐसी खूनी क्रांति होती कि ब्रिटिश साम्राज्यवादियों की अगली सात पीढ़ियां इसका उल्लेख करने से पूर्व सिहर उठती। ये क्रांति रॉयल इंडियन नेवी से अब रॉयल इंडियन एयर फोर्स तक आ पहुंची, और कुछ वर्षों बाद जब पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली भारत यात्रा पर आए, तो उन्होंने इस बात को स्वीकारा कि यह रॉयल इंडियन नेवी के विद्रोह का ही परिणाम था कि अंग्रेज़ों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा।

दुर्भाग्यवश इस महत्वपूर्ण अध्याय को कुछ कूप मंडूकों ने अपने स्वामियों की चाटुकारिता में हमसे छिपाये रखा, परंतु सत्य की ज्योति को छिपाया जा सकता है, बुझाया नहीं जा सकता। हाल ही में भारतीय नौसेना ने इस इतिहास के इस महत्वपूर्ण भाग को गणतंत्र दिवस में श्रद्धांजलि देने का निर्णय किया और ये न केवल प्रशंसनीय है, अपितु इससे भारतीय इतिहास के असली नायकों को उनका वास्तविक सम्मान मिलेगा। इतिहास बदलने के लिए दृष्टिकोण बदलना ही पर्याप्त है!

Tags: ब्रिटिश साम्राज्यरॉयल इंडियन नेवी विद्रोहसुभाष चंद्र बोस
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

Samsung द्वारा Drag Queen बेटे का समर्थन करने वाली मुस्लिम मां को पेश करते ही मुसलमानों में मची खलबली

अगली पोस्ट

BPCL, SCI और अन्य संपत्तियों को खरीदने के लिए वेदांता ने अलग रखा 10 अरब डॉलर का फंड

संबंधित पोस्ट

नेहरू 14 दिनों में ही नाभा जेल से निकल आए थेन
इतिहास

जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’v

14 November 2025

ऐसे समय में जबकि अपने राष्ट्र नायकों को लेकर भारत में राजनीतिक बहसें तेज़ हो रही हैं,  विचारधाराओं की लड़ाई भी पहले से ज़्यादा गहरी...

वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण
इतिहास

वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

10 November 2025

भारत के राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास में वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक चेतना और राष्ट्र की आत्मा का उद्घोष रहा है। यह...

वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव
इतिहास

वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

7 November 2025

भारत के इतिहास में कुछ क्षण ऐसे आते हैं जब एक गीत, एक पंक्ति, या एक विचार समूचे राष्ट्र की आत्मा बन जाता है। वंदे...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Why Rahul Gandhi’s US Outreach Directs to a Web of Shadow Controversial Islamist Networks?

Why Rahul Gandhi’s US Outreach Directs to a Web of Shadow Controversial Islamist Networks?

00:08:04

How Javelin Missiles Will Enhance India’s Anti-Tank Dominance?

00:06:47

This is How China Spread Disinformation After Operation Sindoor

00:06:27

How DRDO’s New Laser System Can Destroy Drones at 5 KM Range?

00:04:31

How Nehru Turned His Own Birthday Into Children’s Day

00:05:01
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited