जब-जब, जो-जो होना है तब-तब सो-सो होता है। दूसरों की बर्बादी की चाह रखने वाले को जो बर्बादी मिलती है उसका कोई आंकलन नहीं कर सकता है। ऐसा ही हाल मूल रूप से पाकिस्तानी, पूर्व हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य नज़ीर अहमद का हुआ है। नज़ीर अहमद अब अपना बचा जीवन जेल की चारदीवारी में काटेगा क्योंकि यौन अपराधों का दोषी पाए जाने के बाद आरोप सिद्ध होते ही बीते शुक्रवार को अहमद को साढ़े पांच साल की जेल की कैद हुई है। नज़ीर अहमद भारत के विरुद्ध कई अभियान चलाने वाला वो पाकिस्तानी है जिसने 2019 में पीएम मोदी की मृत्यु कामना करते हुए ट्वीट भी किया था। अब यह लौटके नज़ीर अहमद पर ही आ गया कि दूसरों की मृत्यु की कामना करने वाले को स्वयं अपनी रही बची ज़िन्दगी जेल में काटने की सजा तय हो गई है।
दरअसल, नज़ीर अहमद को पिछले महीने शेफ़ील्ड क्राउन कोर्ट ने दो बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों का दोषी पाया था। उसे बलात्कार के प्रयास के दो मामलों और बग्गेरी के एक मामले में दोषी पाया गया था। नजीर को 1970 के दशक में किशोरावस्था में एक बच्चे के साथ यौन उत्पीड़न और एक लड़की के साथ रेप के प्रयास का दोषी पाया गया है। नजीर को बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और एक लड़की के साथ दो बार रेप के प्रयास का दोषी पाया गया है।
नजीर के साथ उसके दो भाइयों मोहम्मद फारुक और मोहम्मद तारिक के खिलाफ भी आरोप सही पाए गए हैं। उसके दोनों भाई, ज्यादा उम्र हो जाने के कारण ट्रायल में शामिल होने के लिए अनफिट पाए गए थे। इससे पहले एक महिला ने कोर्ट को बताया था कि नजीर अहमद ने साल 1973 और 1974 में उसके साथ रेप का प्रयास किया था। उस समय लॉर्ड नजीर की उम्र लगभग 17 वर्ष की थी। अब इस मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है और आरोप सिद्ध हो चुके हैं और शुक्रवार को सजा का भी एलान हो गया।
नज़ीर अहमद खालिस्तानी आतंकी समूहों का प्रबल समर्थक और भारत सरकार की नीतियों का बड़ा आलोचक रहा है। पाकिस्तान के PM इमरान खान से उसकी बड़ी घनिष्ठ मित्रता भी है। आज तक नज़ीर अहमद ने खुद को कश्मीर के लिए एक योद्धा के रूप में पेश किया हुआ था, लेकिन वास्तव में, उसने बड़े पदों पर रहते हुए उनका दुरूपयोग किया और इसका इस्तेमाल कश्मीरी महिलाओं का यौन शोषण करने के लिए किया। नज़ीर अहमद का जन्म पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हुआ था लेकिन उसकी राजनीतिक जड़ें रॉदरहैम में हैं, जहां वो पला-बढ़ा और हमेशा से वहां ही रहा। वह वर्ष 1969 में अपने परिवार के साथ UK चला गया जहाँ रॉदरहैम में स्टील कारखानों में उसके पिता नौकरी किया करते थे।
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वर्ष 1998 में, नज़ीर तत्कालीन प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर द्वारा हाउस ऑफ लॉर्ड्स में नियुक्त होने वाले पहला मुस्लिम बना। वर्ष 2013 में उसने लेबर पार्टी से इस्तीफा दे दिया। लॉर्ड नज़ीर अहमद, ने यौन दुराचार के कई आरोपों का सामना किया और वर्ष 2020 में हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स से इस्तीफा दे दिया। एक हाउस कमेटी ने सिफारिश की थी कि उन्हें निष्कासित कर दिया जाना चाहिए था। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि लंदन में कश्मीरी महिलाओं के एक समूह ने नज़ीर अहमद और कश्मीरी समुदाय की महिलाओं का शोषण करने वाले नेताओं के खिलाफ हॉलीवुड स्टाइल #MeToo विरोध अभियान शुरू किया था।
अपने कर्म का परिणाम आज नज़ीर अहमद को मिल भी गया और ऐसे समय में मिला जब वो उम्रदराज़ हो गया और अब जेल में उसकी हालत बद से बदतर होने लगेगी।