रूस-यूक्रेन के युद्ध को लेकर भारत के मीडिया संस्थानों ने अपने प्राइम टाइम शो पर हवाई शिगूफा छोड़ना शुरू कर दिया है। दरअसल, जैसे ही रूस-यूक्रेन का युद्ध छिड़ा, मीडिया संस्थानों ने भारत-रूस व्यापार में समस्याओं के बारे में चिंता व्यक्त करना शुरू कर दिया। कहा जा रहा था कि युद्ध से भारतीय निर्यात में बाधा आ सकती है, भारत की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है, देश को कई तरह की परेशानी हो सकती है, लेकिन टीआरपी बटोरने के लिए दर्शकों के सामने कुछ भी परोसने वाली मीडिया के ये सारे हवा हवाई दावे खारिज होते दिख रहे हैं। इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे मोदी सरकार यह पूरी तरह से सुनिश्चित कर रही है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के मध्य भारत-रूस का द्विपक्षीय व्यापार किसी भी तरह से प्रभावित न हो।
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भारत का महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार है रूस
वर्तमान में, रूस भारत का 25 वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। अप्रैल 2020-मार्च 2021 के दौरान, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 8.1 बिलियन डॉलर था, जिसमें भारतीय निर्यात 2.6 बिलियन डॉलर और रूस से 5.48 बिलियन डॉलर का आयात हुआ। चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों के दौरान, रूस को भारतीय निर्यात 2.5 अरब डॉलर का रहा और रूस से आयात 6.9 अरब डॉलर था। अब द्विपक्षीय व्यापार के आंकड़े शायद उतने अच्छे न रहें, लेकिन रूस वास्तव में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार है। दोनों पक्षों ने वर्ष 2025 तक द्विपक्षीय व्यापार को 30 अरब डॉलर तक ले जाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं। भारत और रूस के लिए बेहतर व्यापारिक संबंध रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे दोनों पक्षों के बीच दोस्ती के सारे पैमाने पर फिट बैठते हैं। भारत, रूस से ईंधन, खनिज तेल, मोती, कीमती पत्थर, परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीनरी, विद्युत मशीनरी और यांत्रिक उपकरणों का आयात करता है। दूसरी ओर, रूस भारत से फार्मा उत्पाद, विद्युत मशीनरी और उपकरण, जैविक रसायन और वाहन आयात करता है। इस प्रकार, दोनों में से कोई भी देश नहीं चाहेगा कि उनके उभरते व्यापार संबंधों को नुकसान किसी भी तरह का नुकसान पहुंचे।
रूस पर प्रतिबंध से भारत के निर्यात पर नहीं होगा असर
इस बीच, वाणिज्य मंत्रालय के नियंत्रण वाले फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO ) ने इसके दायरे में आने वाली 25 निर्यात प्रोत्साहन परिषदों को कृषि, दवा और पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात के बारे में चिंता न करने का आश्वासन दिया है। यह अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के प्रवर्तन एजेंसी विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (OFAC) द्वारा रूस पर लगाए गए कड़े प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि में आता है। FIEO ने अपने सदस्य निर्यात संवर्धन परिषदों से सदस्यों को OFAC द्वारा उल्लेखित दिशानिर्देशों और छूटों से अवगत कराने के लिए कहा है। इसने परिषद से निर्दिष्ट लेनदेन को अधिकृत करने वाले आठ सामान्य लाइसेंसों को बताने के लिए भी कहा है। वाणिज्य मंत्रालय के शीर्ष नेतृत्व ने कहा, “रूस को कृषि, फार्मा और पेट्रोलियम उत्पादों का हमारा निर्यात उपरोक्त दिशानिर्देशों के मद्देनजर प्रतिबंधों के अधीन नहीं होगा।”
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रूस को अलग-थलग करने में लगी है पश्चिमी शक्तियां
वहीं, रॉयटर्स ने सरकार और बैंकिंग स्रोतों के हवाले से दावा किया कि भारत, रूस के साथ व्यापार के लिए रुपया भुगतान तंत्र स्थापित करने के तरीके तलाश रहा है। यह यूक्रेन के आक्रमण के बाद मास्को पर लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करेगा। यह अमेरिका और अन्य पश्चिमी शक्तियों द्वारा SWIFT अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली तक रूसी बैंकों की पहुंच को अवरुद्ध करने वाले नवीनतम कदम को दरकिनार करने की भारत की रणनीति प्रतीत होती है। आपको बता दें कि स्विफ्ट दुनिया की प्रमुख सीमा-पार भुगतान प्रणाली है और रूसी बैंकों को इस प्रणाली से काटकर, पश्चिम देश रूस के लिए व्यापार करना मुश्किल बनाना चाहते हैं।
रॉयटर्स द्वारा संदर्भित अधिकारियों के अनुसार, भारत की योजना रूसी बैंकों और कंपनियों को व्यापार निपटान के उद्देश्य से भारत में कुछ सरकारी बैंकों के साथ खाते खोलने की है। इसलिए दोनों देश व्यापार जारी रखने में सक्षम होंगे, भले ही रूसी बैंकों और कंपनियों को स्विफ्ट का उपयोग करने से रोक दिया जाए। ध्यान देने वाली बात है, भारत समझता है कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी शक्तियों द्वारा रूस को अलग-थलग किया जा रहा है। इसलिए भारत यह पूरी तरह से स्पष्ट कर रहा है कि वह मास्को को अलग नहीं करेगा। मीडिया रिपोर्ट्स भले ही कुछ भी दावा करें, लेकिन पश्चिम के साथ अपने गहरे संबंधों को बरकरार रखते हुए, भारत रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को स्थिर करने के पूरे प्रयास में है। ऐसे में भारत-रूस व्यापार को लेकर मीडिया संस्थानों द्वारा फैलाए गए भ्रामक खबरों का पूरी तरह से खंडन हो चुका है।
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