वही दम, वही साहस, बस इस बार किरदार नया है. इस बार मंच पर कल्याण सिंह नहीं, पर उनके आदर्शों को आत्मसात करने वाले एक नेता अवश्य हैं, जिन्हें न तुष्टीकरण में तनिक भी विश्वास है और न ही वो किसी भी दबाव में झुकने वाले हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के भावी मुख्यमंत्री और वर्तमान गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की. जिन्होंने हाल ही में केवल बुलडोज़र के विषय पर बरखा दत्त जैसे प्रोपगेंडावादी पत्रकार की जमकर क्लास लगाई है और साथ ही यह भी बता दिया कि वह वास्तव में किस योग्य हैं. दरअसल, पत्रकारिता को पत्तलकारिता बनाने वाले देश के कुंठित पत्रकारों का हमेशा से ऐसा प्रयास रहा है कि वे राष्ट्रहित की बात करने वाले नेताओं और लोगों को अपनी एजेंडाधारी पत्रकारिता की आड़ में अपना ग्रास बना ले, लेकिन कुछ नेता ऐसे भी होते हैं जो ऐसे कुत्सित मानसिकता वाले पत्रकारों की ऑन द स्पॉट बैंड बजा देते हैं। नरोत्तम मिश्रा भी उन्हीं में से एक हैं और इस बार लंका लगी है बरखा दत्त की.
हाल ही में मध्य प्रदेश में बुलडोज़र चलवाने के विषय पर बरखा दत्त का मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से वर्चुअल वार्तालाप हुआ. लेकिन जिस प्रकार से नरोत्तम मिश्रा बरखा से वार्तालाप कर रहे थे, वह सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. अपने पूरे वार्तालाप में नरोत्तम मिश्रा बड़े प्रेम से अपना भोजन निपटा रहे थे और बरखा मुंह बनाकर केवल देखने को विवश थी –
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— Ajit Datta (@ajitdatta) April 17, 2022
मिश्रा जी ने बरखा दत्त की खटिया खड़ी कर दी!
लेकिन ये तो मात्र प्रारम्भ था. जब बरखा दत्त ने नरोत्तम मिश्रा से पूछा कि आपने ये बयान क्यों दिया कि जिन्होंने पत्थरबाजी की और घर जलाए, उनके खुद के घर भी खंडहर बन जाएंगे, इस पर नरोत्तम मिश्रा ने स्पष्ट उत्तर दिया कि उनका मानना है कि दंगाइयों के साथ ऐसा ही व्यवहार होना चाहिए. उन्होंने ऐसे लोगों को समाज का द्रोही बताते हुए कहा कि ये भले लोगों का जीना मुश्किल कर देते हैं. नरोत्तम मिश्रा ने याद दिलाया कि कैसे दंगाइयों ने गरीबों के घर जलाए, बच्चों को निर्ममता से मारा और कई लोग ICU में भर्ती हो गए, कई पुलिसकर्मी अस्पताल में भर्ती हैं. फिर मिश्रा ने बरखा दत्त से सवाल पूछा कि ऐसे लोगों के साथ क्या करना चाहिए?
उसके बाद बरखा दत्त स्वभावानुसार मानवाधिकारों की दुहाई देते हुए कहने लगी कि इसका फैसला पुलिस और कोर्ट करे, बुलडोजर का इसमें क्या रोल है? परन्तु नरोत्तम मिश्रा ने बिना पालक झपकाए उत्तर दिया कि दंगाइयों पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश की भांति मध्य प्रदेश में भी कोई ‘तू तू मैं मैं नहीं होगी’. जब बरखा दत्त ने पूछा कि क्या उनका बयान अब भी वैसा ही रहेगा, तो नरोत्तम मिश्रा ने दंगाइयों के घरों को पत्थर में तब्दील किए जाने वाले बयान पर कहा कि उनका बयान ऐसा था, आगे भी रहेगा और उन्हें इसे लेकर कोई पश्चात्ताप नहीं.
हाल ही में राजदीप को भी लगाई थी लताड़
आपको बता दें कि ये ऐसा प्रथम अवसर नहीं है. हाल ही में नरोत्तम मिश्रा ने राजदीप सरदेसाई की भी कलई खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी. पिछले दिनों जब राजदीप सरदेसाई ने ये पूछा कि शिवराज सरकार मुस्लिम दंगाइयों को क्यों निशाना बना रही है और हिंदू या हिंदुत्व दंगाइयों को कोई कुछ नहीं कह रहा, तो नरोत्तम मिश्रा ने अपने अंदाज़ में राजदीप को लताड़ते हुए कहा, “आपको सिर्फ यही दिखाई देता है, दिक्कत इतनी ही है। आपको दंगाइयों पर कार्रवाई नहीं दिखती, केवल हिन्दू मुसलमान दिखता है! मोदी सरकार की आलोचना की क्यों हो रही है। राजस्थान के करौली की चर्चा क्यों नहीं हो रही है जहां 10-12 किलो के पत्थर छतों से हिंदुओं की शोभा यात्रा पर फेंके गए, मगर प्रशासन ने दंगाइयों पर कड़ी कार्रवाई की जगह हिंदू त्योहार के समय जगह-जगह धारा 144 लगा दी और वहीं दूसरी ओर रमजान के समय में दूसरे समुदाय को पूरी-पूरी बिजली देने का वादा कर दिया.”
नरोत्तम मिश्रा के ऐसे बयान अपने आप में कल्याण सिंह के उस बयान का स्मरण कराता है, जहां उन्होंने स्पष्ट कहा था कि उन्हें अपने अयोध्या प्रकरण के समय के आचरण पर कोई पश्चात्ताप नहीं है. कल्याण सिंह को कई बुद्धिजीवियों ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस पर घेरा था, परन्तु कल्याण सिंह का रुख स्पष्ट था – वे मर जायेंगे परन्तु कारसेवकों पर गोलियां चलाने का आदेश नहीं देंगे, और उन्हें इस बात का कोई दुःख नहीं। उन्हीं के शब्दों में “No Regret, No Repentance, No Sorrow, No Grief “. आज उन्हीं आदर्शों को नरोत्तम मिश्रा आत्मसात करते हुए दिखाई दे रहे हैं.
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