आधुनिकता की अंधी दौड़ ने अंतरात्मा के सौंदर्य को नगण्य बना दिया है। अब लोग भले ही मन के काले हैं परंतु, शारीरिक सुंदरता को कुछ हद से ज्यादा ही महत्व देते हैं। शारीरिक सौंदर्य की महत्ता इतनी बढ़ गई है की समाज और आपके निजी रिश्तो के मानसिकता में भी घुस चुका है 21वीं सदी में लोग शारीरिक तौर पर सुंदर दिखने के लिए अजीबोगरीब मेडिकल उपायों पर ना सिर्फ अमल कर रहे हैं बल्कि उसे अपना भी रहें। सुंदर दिखने में कोई बुराई नहीं है सुंदर दिखने की कोशिश करने में भी कोई बुराई नहीं परंतु शारीरिक सौंदर्य को व्यवहार आचरण संस्कार शिक्षा अंतरात्मा और व्यक्तित्व के ऊपर प्राथमिकता देना गलत बात है परंतु अब जो है सो है इस लेख में हम आपको उन्हीं मेडिकल उपायों से अवगत कराने जा रहे हैं जिनको लोग अपना कर अपनी शारीरिक संरचना और बनावट के संदर्भ में तरह-तरह के प्रयोग कर रहे हैं।
हालांकि यह चिकित्सीय उपाय लोगों को मोटापे, त्वचा की जलन, गर्भावस्था और अन्य शारीरिक बीमारियों से निजात दिलाने के लिए था। पर, समय के साथ इसका प्रयोग बीमारियों से निजात पाने के लिए नहीं बल्कि सौंदर्य बढ़ाने के लिए करने में लगें हैं जो ना सिर्फ मानसिक बल्कि सामाजिक स्तर पर भी भयावह है। इस लेख में हम आपको इन्ही उपायों से अवगत कराएँगे।
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लिपोसक्शन
लिपोसक्शन एक कॉस्मेटिक प्रक्रिया है जो शरीर के वसा को हटा देती है। इसमें एक प्लास्टिक या डर्माटोलोगिक सर्जन आमतौर पर आपके शारीरिक सौन्दर्य को बढाने के लिए कूल्हों, पेट, जांघों, नितंबों, पीठ, बाहों और ठोड़ी या चेहरे के नीचे वसा को हटा देते हैं और उसे उन जगहों पर जोड़ देते है जहाँ वसा का होना फैशन है जैसे नितंब, होंठ और स्तन आदि करता है। लेकिन लिपोसक्शन अन्य प्लास्टिक सर्जरी के साथ भी किया जा सकता है। पुराने समय में इस मेडिकल उपाय का प्रयोग मोटापे से निजात पाने के लिए किया जाता था।
प्लास्टिक सर्जरी
इसकी शुरुआत भारत में हुई थी। शल्य चिकित्सा का यह प्रारूप भारत के सुश्रुत द्वारा विश्व को दिया गया एक उपहार था। कालांतर में इस क्षेत्र में और उन्नति हुई और लोग इसका प्रयोग अपने प्राकृतिक काया को बदलने के लिए करने लगे। इस चक्कर में लोगों ने शारीरिक स्तर पर कीमत भी चुकाई क्योंकि कभी कभी प्लास्टिक सर्जरी उनके शारीरिक संरचना और बनावट के अनुकूल नहीं बैठी। इस स्थिति में प्लास्टिक सर्जरी उनके लिए अभिशाप साबित हुआ और बेढंगे बनवत के साथ उन्हें ताउम्र जीना पड़ा।
कोलोन क्लीनिंग थेरेपी
कोलोन क्लीनिंग थेरेपी यानी हमारे शरीर में मौजूद बड़ी आंत की सफाई। इसे कोलोनिक क्लेन्जिंग या कोलोनिक इरिगेशन के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रक्रिया में स्टर्लाइज्ड वॉटर का इस्तेमाल कर बड़ी आंत (कोलोन) में जमा अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकाला जाता है।
हालांकि, शरीर की सफाई और सेहत को बेहतर बनाने के लिए कोलोन थेरेपी फायदेमंद है इस बात के अब तक कोई वैज्ञानिक सबूत मौजूद नहीं हैं। क्लीवलैंड क्लिनिक से जुड़े डॉक्टरों की मानें तो यह एक कॉम्प्लिमेंट्री (अनुपूरक) इलाज है जो बेहद पॉप्युलर है और कुछ विशिष्ट समस्याओं में यह मरीजों के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। लेकिन अगर रूटीन समस्याओं के लिए लोग इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें इससे जुड़े खतरों के प्रति सावधान रहना चाहिए। आमतौर पर इस प्रक्रिया का प्रयोग प्रसूता स्त्रियों के सुविधाजनक प्रजनन के लिए किया जाता था. लेकिन, अब इसे सभी लोग करवाने लगे हैं जिससे हमारी पाचन शक्ति प्रभावित हो रही है।
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प्रत्यारोपण
अंग प्रत्यारोपण मानव समाज के लिए वरदान हैं। यह किसी के जीवन को बचा सकता है या फिर उसके जीवन को बदल भी सकता है। इस लेख में हम अंग प्रत्यारोपण की आलोचना नहीं कर रहें हैं। हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं की अंगदान महादान है। किन्तु, अगर स्वयं के शरीर के किसी हिस्से को कहीं और सिर्फ यौन आकर्षण को बढाने के लिए किया जाए तो यह तो गलत है। उदहारण के लिए अमेरिका और ब्राज़ील में ऐसे परंपरा बहुतायात में है और भारत में छद्म बॉलीवुड स्टार्स इसके संवाहक बन चुके हैं। इन देशों में लिप्स, butts एंड ब्रैस्ट प्रत्यारोपण काफी मशहूर है।
इस प्रकार का मेडिकल प्रयोग हमारे समाज में सौंदर्य के सन्दर्भ में फैली विकृत मानसिकता को प्रदर्शित करता है। हमें यह समझाना होगा की हर कोई अपने आप में सुन्दर है और शरीर तो सिर्फ एक साधन मात्र है जो आपको इश्वर द्वारा सबसे उत्कृष्टतम रूप में प्रदान किया गया है.
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