भारत की इस स्वदेशी मिसाइल से थर-थर कांप रहे हैं दुश्मन देश

‘सन्धि-वचन संपूज्य उसी का, जिसमें शक्ति विजय की।’

एमके-1 मिसाइल

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आत्मनिर्भर भारत अब महज एक कल्पना नहीं रह गया है। बल्कि आज भारत हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। रक्षा क्षेत्र में भी भारत स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दे रहा है। रक्षा क्षेत्र में धीरे-धीरे भारत आत्मनिर्भर तो बन ही रहा है इसके साथ-साथ निर्यातक भी बन रहा है।

इसी क्रम में अब रक्षा मंत्रालय ने 31 मई को भारत डायनमिक्स लिमिटेड (BDL) कंपनी के साथ घातक मिसाइल अस्त्र एमके-1 (Astra Mk 1) को लेकर अनुबंध किया है। मिसाइल प्रणाली हासिल करने के लिए यह सौदा कुल 2971 करोड़ में स्वीकृत किया गया है।

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मंत्रालय के मुताबिक यह अस्त्र एमके-1 मिसाइल भारतीय वायुसेना और नौसेना को दिए जाएंगे। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी DRDO ने अस्त्र एमके-1 BVR एएएम को स्वेदशी रूप से तैयार और विकसित किया है। भारत में यह इस तरह की बनाई गई पहली मिसाइल है। इस मिसाइल से विदेशी मिसाइलों पर भारत की निर्भरता कम होगी।

रक्षा मंत्रालय ने ट्वीट कर करार से जुड़ी जानकारी साक्षा की है। ट्वीट में बताया गया, “रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना के लिए एस्ट्रा एमके-आई बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) एयर-टू-एयर मिसाइल (AAM) और संबंधित उपकरणों की आपूर्ति के लिए भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।’’ यह भी कहा गया कि अभी तक इस श्रेणी की मिसाइल को स्वदेशी रूप से बनाने की तकनीक उपलब्ध नहीं थी।

इस परियोजना को आत्मनिर्भर भारत की भावना का प्रतीक बताया गया है। जो एयर-टू-एयर मिसाइलों की दिशा में आत्मनिर्भरता की दिशा में हमारे देश की यात्रा को साकार करने में मदद करेगी।

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अस्त्र एमके-1 की खासियत की बात करें तो यह मिसाइल दुश्मन को भनक लगे बिना ही हवा से हवा में टारगेट भेदने में सक्षम है। इसके अलावा मिसाइल को और खतरनाक बनाती है इसकी बियॉन्ड विजुअल रेंज। जो टारगेट नजरों से नहीं दिखते, ये मिसाइल उनको भी मार गिरा सकती है।

DRDO की यह बड़ी रेंज वाली मिसाइलें भारत को भविष्य के लिए तैयार करेंगी। 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान लंबी दूरी की मिसाइलों की कमी भारत को खली थी। बालाकोट एयरस्ट्राइक से बौखलाए पाकिस्तान ने अपने लड़ाकू विमान सीमा पर तैनात कर दिए थे।

पाकिस्तान के F-16 लड़ाकू विमानों से भारत के सुखोई विमानों ने टक्कर ली थी। F-16 में अमेरिका की लंबी रेंज की AIM 120 मिसाइल लगी थी जोकि बॉर्डर पार से ही भारत के लड़ाकू विमानों पर निशाना साध सकती थी, जबकि भारतीय विमान F16 पर निशाना नहीं साध पा रहे थे क्योंकि उनके पास कम रेंज की मिसाइल थी।

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यही वजह है कि भविष्य में युद्ध की स्थिति में ऐसी समस्या दोबारा ना आए इसलिए भारत बड़ी रेंज वाली स्वेदशी मिसाइलें तैयार करने में तेजी से काम कर रहा है। DRDO द्वारा विकसित की जा रही मिसाइल की रेंज 100 किमी से अधिक है, जो भारतीय वायुसेना को सीमा पार से आने वाले खतरों के लिए तैयार करती है। भविष्य में मिसाइल की रेंज को बढ़ाकर 200 किमी से अधिक लेकर जाने का लक्ष्य है।

अस्त्र एमकेआई मिसाइल का कुल वजन 154 किलोग्राम और इसकी लंबाई करीब 12.6 फीट है। मिसाइल 15 किलोग्राम विस्फोटक ले जाने में सक्षम है। मिसाइल का पहला वेरिएंट अस्त्र एमके-1 मिसाइल 110 किलोमीटर की रेंज तक दुश्मनों पर वार कर सकता है।

गति के मामले में भी अस्त्र एमके मिसाइल बेहद ही खतरनाक है। मिसाइल 5555 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से अपने टारगेट की तरफ आगे बढ़ती है और दुश्मन को बचने का मौका नहीं देती।

दरअसल, अब तक भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए उपयोग होने वाली आवश्यक सैन्य सामग्री के लिए रूस, अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों पर निर्भर रहता आ रहा था। लेकिन अब भारत रक्षा के क्षेत्र में दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहता है और अस्त्र मिसाइल का यह करार इसी दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। भविष्य में युद्ध की स्थिति में भारत की रूस समेत अन्य देशों की मिसाइलों पर निर्भरता को कम करेगा। स्वेदशी मिसाइल से भारत दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम होगा।

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