राष्ट्रपति चुनाव 2022 के लिए “आरंभ है प्रचंड” हो चुका है, चुनाव का दिन भी तय कर लिया गया है। अटकलों और संभावित प्रत्याशियों के नामों की चर्चाओं के साथ ही कई प्रश्न जोर पकड़ने लगे हैं जैसे कि किसका भाग्य चमकेगा, किसको मिलेगी पदोन्नति, कौन होगा देश का अगला प्रथम नागरिक? कोई नया चेहरा होगा भी या नहीं? कौन सबसे बड़ा दावेदार हो सकता है इस पद के लिए? और ऐसे ही कई प्रश्न नामांकन भरने के अंतिम दिन तक बनी रहेंगी? सांसदों तथा विधायकों वाले निर्वाचक मंडल के 4,809 सदस्य इस राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति पद के लिए नये चेहरे को चुनेंगे। लोकसभा, राज्यसभा साथ ही कई और राज्य विधानसभाओं में भाजपा के संख्या बल को देखा जाए तो पार्टी इस चुनाव में अपने उम्मीदवार की जीत बहुत ही आसानी से तय करती दिख रही है।
इस लेख में ध्यान इस ओर केंद्रित करने का प्रयास करेंगे कि अगर राष्ट्रपति चुनाव को लेकर एनडीए गठबंधन की बात की जाए तो कौन कौन से प्रत्याशी दिखायी पड़ते हैं जिनके राष्ट्रपति पद पर सुशोभित होने की संभावनाएं दिखती हैं। इस संबंध में कुछ अनुमानित नामों की भी बात करूंगी।
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चुनाव की तिथि तय हो चुकी है
दरअसल, देश में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की तिथि गुरुवार को चुनाव आयोग की ओर से घोषित की गई। चुनावों के लिए 18 जुलाई की तिथि तय की गयी है। वहीं मतों की गणना 21 जुलाई को होगी। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा हो रहा है। ऐसे में समय आ गया है कि नाम का निर्धारण करने की अंदरखाने की प्रक्रियाएं और अटकलेंबाजी राजनीतिक हलकों में शुरू हो चुकी हैं।
आज का राजा कल का रंक और फकीर भी हो सकता है। इसी बात को समझते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि नाम चाहे कोई भी हो, ‘पार्टी विद अ डिफ़रेंस’ वाली भाजपा इस बार भी नाम को लेकर चौंका सकती है जैसे 2017 में रामनाथ कोविंद के नाम से चौंकाया था। इस बार के नाम कौन कौन से हो सकते हैं?
यदि वर्तमान व्यक्ति को ही विस्तार दिया गया तो निस्संदेह रामनाथ कोविंद ही राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे क्योंकि भाजपा और पीएम मोदी की सोच इस बात से इतर नहीं है। 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी को यूपीए गठबंधन से जीतकर आने के बावजूद पीएम मोदी और एनडीए गठबंधन ने प्रस्ताव दिया था यदि आप सहमति दें तो आप अपना कार्यकाल जारी रख सकते हैं, एनडीए आपका समर्थन करेगी। प्रणब दा ने तब इस आदर के प्रति पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया था पर असहमति भी जता दी थी। इसके बाद एनडीए गठबंधन ने बिहार राज्य के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद का नाम प्रस्तावित करते हुए उन्हें “राष्ट्रपति” पद का उम्मीदवार चयनित किया था। ऐसे में यदि कोविंद को पुनः आगे किया जाता है तो कोई आश्चर्यजनक बात नहीं होगी।
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तीन नाम हैं प्रमुख
राष्ट्रपति कोविंद के अलावा अन्य नामों की बात करें तो तीन प्रमुख नाम में सबसे पहला नाम है देश के वर्तमान उपराष्ट्रपति मुप्पावरापु वेंकैया नायडू। एम. वेंकैया नायडू, वर्ष 2017 तक पीएम मोदी की केबिनेट का हिस्सा रहे नायडू इसलिए अगले राष्ट्रपति की दौड़ में सबसे आगे हैं क्योंकि उनकी कार्यशैली के मुरीद जितने उनके समर्थक हैं उतने ही विरोधी भी उनके नेतृत्वकर्ता वाली क्षमता के कायल हैं। एक मंत्री के रूप में प्रभावी ढंग से काम करने के लिए जाने जाने वाले नायडू उन नेताओं में से हैं जो अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का भी हिस्सा रहे हैं और पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में अहम मंत्रिमंडल का हिस्सा भी रहे। देखा जाए तो पदोनत्ति पाने वाले नायडू सातवें उपराष्ट्रपति होंगे जो राष्ट्रपति बन सकेंगे। ज्ञात हो भारतीय राजनीतिक इतिहास में 13 उपराष्ट्रपतियों में से 6 बाद में राष्ट्रपति बने हैं, ऐसे में नायडू इस कथन को दोहराते हैं तो वो सातवें व्यक्ति होंगे।
भाजपा चौकाने में बड़ी खिलाड़ी है। गुमनाम नामों को चर्चा में लाना कोई भाजपा से सीखे। रामनाथ कोविंद से बड़ा उदाहरण और कोई नहीं हो सकता। ऐसे में एक और गुमनाम व्यक्ति हैं सुरेश प्रभाकर प्रभु जो मोदी सरकार के 2014-19 कार्यकाल में रेल मंत्रालय जैसे अहम मंत्रालय के धारक रहे। वर्तमान में राज्यसभा सांसद होने के नाते और पार्टी के पुराने, अनुभवी और वयोवृद्ध नेता होने के नाते उन्हें गुमनामी से मेनस्ट्रीम राजनीति में वापस लाया जा सकता है।
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भाजपा खेल सकती है बड़ा कार्ड
तीसरा नाम भी चौंकाने वाला हो सकता है जिसे चलकर भाजपा बड़ा कार्ड खेलने की ओर अग्रसर दिख रही है। वो नाम है वर्तमान में केरल के राज्यपाल और प्रभावी वक्ता आरिफ मोहम्मद खान। चूंकि भाजपा और संघ को कट्टरपंथी मुस्लिम विरोधी तमगे से नवाज़ते आए हैं ऐसे में बुद्धिजीवी वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले आरिफ मोहम्मद खान एक बड़ा मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकते हैं जो राष्ट्रपति पद की दौड़ में एनडीए प्रत्याशी के तौर पर अपनी स्थिति भुना सकते हैं।
नाम तो और भी कई हैं, कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत, गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल, केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी और ऐसे अन्य कई नेता हैं जिनको संभावित का तमगा दिया जा रहा है पर प्रमुख रूप से तीन नाम नायडू-प्रभु-और आरिफ के ही हैं। शेष 29 जून को सबको पता चल ही जाएगा। क्योंकि उसी दिन उम्मीदवारी के लिए अंतिम दिन है। बाकी कि औपचारिकताएं तो 21 जुलाई तक चलती ही रहेंगी जिस दिन राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आएंगे।
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