किसी भी व्यक्ति या संगठन विशेष को यदि कमज़ोर करना हो तो उसकी आर्थिक रीढ़ को तोडना सबसे पहला उद्देश्य होता है। इसी क्रम में जब भारत के अंदर पल रहे ऐसे संगठन की बात आए जो भारत को तालिबानी और इस्लामिक ढंग से चलाना चाहता हो तो एक संगठन का नाम सबसे पहले आएगा और वो है पीएफआई- पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया। इस संगठन को जब भी सुर्ख़ियों में पाया गया है तो वो भारत विरोधी एजेंडे के लिए ही काम करता दिखा है। अब इसी संगठन पर नकेल कसनी शुरू हो चुकी है और सत्य तो यह है कि शीघ्र ही इस संगठन का भारत से अस्तित्व एकदम खत्म होने को है। इसी क्रम में बुधवार को ईडी ने पीएफआई पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच की गाज गिराई और बैंक खातों को कुर्क किया।
ED has provisionally attached bank accounts of Popular Front of India and Rehab India Foundation having collective balance of Rs. 68,62,081 under PMLA, 2002.
— ED (@dir_ed) June 1, 2022
खातों में ज्यादातर कैश जमा किया गया
दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को जानकारी दी कि उसने एक चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है। एजेंसी ने पीएफआई के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में खातों को फ्रीज कर दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कहा कि उसने इस्लामिक संगठन पीएफआई और उसके अग्रिम संगठन रिहाब इंडिया फाउंडेशन के 68.62 लाख रुपये धनशोधन के आरोप में अटैच किए हैं। जांच एजेंसी ने इन दोनों संगठनों के 33 बैंक खातों को अटैच किया है। ईडी ने बयान जारी कर यह जानकारी दी। इन खातों में 68 लाख रुपये से अधिक की राशि है। खातों को जब्त करने का आदेश धनशोधन रोकथाम कानून के तहत दिया गया है।
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ईडी ने राज्य पुलिस और एनआईए द्वारा दर्ज मामलों के आधार पर पीएफआई के खिलाफ मामला दर्ज किया था। उन मामलों पर काम करते हुए, ईडी ने पाया है कि संगठन के विभिन्न सदस्यों ने मुन्नार घाटी परियोजना और मध्य पूर्व में बार सहित कई परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए अपराध की आय का उपयोग किया था। केंद्रीय एजेंसी ने कहा है कि चूंकि इन बैंक खातों में अपराध की आय है, इसलिए इसे धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत फ्रीज कर दिया गया है।
बता दें यह चरमपंथी संगठन पीएफआई भारत में इस्लाम के तालिबानी संस्करण को थोपना चाहता है। इसका मूल उद्देश्य ही भारत में एक और विभाजन रुपी नरसंहार करना है जिससे यह अपने पैर और मजबूत कर सके। बीते 2010 के बाद से यह संगठन सुर्ख़ियों में तबसे आने लगा जब पीएफआई के लोगों ने केरल के एक प्रोफेसर टीजे जोसेफ पर ईशनिंदा का आरोप लगाते हुए उनकी हथेली काट दी थी। इसके बाद दिसंबर 2012 में पीएफआई के बारे में केरल पुलिस ने केरल हाई कोर्ट में कहा था कि पीएफआई सिमी का ही नया रूप है।
ज्ञात हो कि, स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है जिसका गठन अप्रैल 1977 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में किया गया था। सिमी का घोषित मिशन ही ‘भारत की मुक्ति’ के साथ इसे इस्लामिक भूमि में परिवर्तित करने का था। यूँ तो अब सिमी देश में प्रतिबंधित हो चुका है पर आज भी पीएफआई जैसे संगठन भारत में आए दिन किसी न किसी घटना में संलिप्त पाए ही जाते हैं जो देश विरोधी होते हैं।बीते 2020 में शाहीन बाग़ के धरने में पीएफआई ने प्रदर्शनकारियों पर खूब पैसा खर्च किया था, ईडी ने जो बैंक खाते कुर्क किये हैं उन्हीं का उपयोग इन सब कृत्यों के लिए किया गया था। धरने के दौरान करोड़ों रुपयों का लेन-देन इन्हीं बैंक खातों से हुआ था। उसके बाद जहांगीरपुरी के भी तार इसी पीएफआई से जुड़े थे जिसने इरादतन साजिश रचने का काम किया था।
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भारत में PFI का अंत नजदीक
यूँ तो पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के लिए बीते दो वर्षों में बहुत मांगें उठी हैं पर अभी तक सिमी जैसा निर्णय लेकर पीएफआई पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। स्वयं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यूपी सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया हुआ है। भाजपा सरकार ने आरोप लगाया कि संगठन ने अपने राजनीतिक मोर्चे- सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के साथ मिलकर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का साजिशन प्लान और वित्त पोषण किया।
यदि अब पीएफआई पर गाज गिरनी शुरू हो ही गई है तो निश्चित रूप से उसे अपने हिस्से का फल शीघ्र-अतिशीघ्र मिलने जा रहा है। ईडी के छापों और कुर्की के बाद तो यह दावा और मजबूत हो रहा है कि देर-सवेर ही सही पर अब पीएफआई का बोरिया-बिस्तर भारत से समेटे जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अन्तोत्गत्वा आजादी गैंग का एक सदस्य जल्द ही अपने गंतव्य तक पहुँचने वाला है वो है जेल जहाँ उसे जन्नत नसीब होगी।
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