गुजरात में बहुत गर्मी पड़ रही है इसी कारण लगता है कि एक 24 वर्षीय लड़की क्षमा बिंदु का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। आपको लगेगा हम इतनी छोटी खबर आपको क्यों बता रहे हैं? किंतु जब आप इसके बारे में सुनेंगे तब आप भी यही सोचेंगे कि लगता है कि तापमान की वजह से ही मानसिक संतुलन बिगड़ा होगा। 24 वर्षीय लड़की क्षमा बिंदु ने स्वयं के साथ ही परिणय सूत्र में बंधने का निर्णय लिया है उन्होंने इसे एकल विवाह की संज्ञा दी है। क्षमा ने अपने फैसले के पीछे का कारण बताते हुए कहा: “मैं कभी शादी नहीं करना चाहती थी। लेकिन मैं दुल्हन बनना चाहती थी। इसलिए, मैंने खुद से शादी करने का फैसला किया।”
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विवाह की परंपरा को किया जा रहा है विकृत
इस लेख में जानेंगे कि कैसे एक लड़की विवाह परंपरा को विकृत कर रही है बल्कि इसके साथ-साथ मीडिया TRP के चक्कर में इस गन्दगी को और हवा दे रहा है। अब हम आपको इस विवाह के पीछे के रोचक तत्वों से अवगत करवाते हैं। एक निजी फर्म के लिए काम करने वाली क्षमा ने साझा किया कि उसने ऐसी किसी भी महिला की तलाश करने की कोशिश की, जिसने खुद से शादी की हो या भारत में एकल विवाह का अभ्यास किया हो लेकिन उसे कोई नहीं मिला। तो हम उनसे नम्र निवेदन करते हुए ये कहना चाहते हैं की ‘दीदी’ मिलेगा भी कैसे? विवाह संस्कार का अर्थ ही है जिसमें दो लोगों की भागीदारी हो। सनातन संस्कृति में विवाह को संस्कार माना गया है और इसके पीछे का कारण सम्पूर्णता और सृजन को बताया गया है। पुरुष और स्त्री प्रकृति के दो अभिन्न अंग है। दोनों का मिलन ना सिर्फ प्रकृति को सम्पूर्णता प्रदान करता है बल्कि इनके संयोग से प्रकृति का सृजन भी होता है। विवाह इसी सृजन प्रक्रिया को परिष्कृत करने का माध्यम है।
लेकिन, कुछ लोगों ने इसे बेवजह अपने अधिकार से जोड़कर पुरुष-पुरुष और स्त्री-स्त्री के विवाह हेतु विधिक मान्यता प्राप्त की। स्वतंत्रता के नाम पर हम इसे भी कुछ हद तक उचित ठहरा सकते हैं लेकिन, स्वयं से विवाह तो असंभव है, दीदी। पर, क्या करें वो स्त्री है कुछ भी कर सकती है। लेकिन, ऐसे बकलोल निर्णय के पीछे का कारण सिर्फ और सिर्फ लाइमलाइट पाना है क्योंकि उस लड़की ने बताया कि उसने ऐसी किसी भी महिला की तलाश करने की कोशिश की जिसने खुद से शादी की हो या भारत में एकल विवाह यानी सोलो गैमी का अभ्यास किया हो लेकिन उसे कोई नहीं मिला जिससे स्पष्ट होता है कि वह इस “आत्म-विवाह” का पहला उदाहरण बन रिकॉर्ड स्थापित करना चाहती थी।
हालांकि, सच स्वीकारने के बजाये उन्होंने इसे आत्म-प्रेम का नाम दिया है। उस लड़की ने कहा- “शायद मैं अपने देश में आत्म-प्रेम का एक उदाहरण स्थापित करने वाला पहला व्यक्ति हूं।” एकल विवाह के महत्व पर प्रकाश डालते हुए क्षमा ने कहा कि यह स्वयं के प्रति एक प्रतिबद्धता है और आत्म-स्वीकृति का कार्य है। उसने इस बात पर जोर दिया कि उसकी शादी अलग नहीं है क्योंकि लोग अक्सर किसी ऐसे व्यक्ति से शादी करते हैं जिससे वे प्यार करते हैं और वह खुद से प्यार करती हैं।
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“महिलाएं मायने रखती हैं”
क्षमा ने यह भी कहा कि खुद से शादी करने का उनका फैसला कुछ लोगों के लिए अप्रासंगिक हो सकता है। हालांकि, होने वाली दुल्हन ने जोर देकर कहा: “मैं वास्तव में जो चित्रित करने की कोशिश कर रही हूं वह यह है कि महिलाएं मायने रखती हैं।” इसके अलावा क्षमा ने साझा किया कि खुले विचारों वाले होने के कारण उसके माता-पिता ने भी शादी के लिए अपनी सहमति दे दी है।
अब क्षमा अपने साथ ‘सात फेरे’ लेने के लिए पूरी तरह तैयार है और 11 जून को उसकी शादी होगी। दूल्हे को छोड़कर, उसकी शादी में वे सभी तत्व होंगे जो दो व्यक्तियों के विवाह बंधन में दिखाई देते हैं। क्षमा अनुष्ठान करेंगी, सिंदूर पहनेंगी और उन्होंने अपने लिए पांच मन्नतें भी लिखी हैं। इसके अलावा, उसने हनीमून की योजना भी बनाई है और शादी के बाद दो सप्ताह की गोवा यात्रा के लिए रवाना होगी।
इस विवाह को जायज ठहराने के लिए उन्होंने इसे आत्मप्रेम, महिला की महत्ता और स्वयं के अधिकारों से जोड़ा है। हालांकि, उनके सारे तथ्य और तर्क सिर्फ और सिर्फ बकलोली है क्योंकि दीदी विवाह तो दो लोगों के परिणय में बंधने का नाम है। एक दूसरे के स्वीकार करने का नाम है। लोगों में आत्म-प्रेम, आत्म विश्वास और आत्म सम्मान होना चाहिए लेकिन इस स्तर का भी नहीं की दूसरे पर भरोसा, दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान की जगह ही ना बचे। हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आये हैं जिसमें लोगो ने अपने फालतू के तर्कों के कारण हिन्दू विवाह परंपरा को विकृत करने का कुत्सित प्रयास किया है जिसमें कन्यादान से लेकर वर-पूजन, सप्तपदी और मांग भरने की रीतियों को दकियानुसी बताकर अपमानित किया गया है। यह उसी की एक अगली कड़ी है। मीडिया को इसे बेवजह लाइमलाइट देने से बचाना चाहिए। अगर TRP के चक्कर में इस खबर की अनदेखी नहीं भी कर सकते तो कम से कम इसका प्रोत्साहन तो मत करिए। वैसे जाते जाते दीदी से एक अंतिम प्रश्न है- अगर कभी गुस्से में वो खुद को थप्पड़ मार देती हैं तो घरेलू हिंसा का केस किसपर होगा? या, फिर अगर कहीं उनकी माताजी ने गुस्से में उन्हें पीट दिया तो क्या दहेज़ प्रताड़ना का मामला बनेगा और गर कभी उनका विवाह विच्छेद करने का मन होगा तो उसकी कानूनी प्रक्रिया क्या होगी? अगर इन प्रश्न का उत्तर नहीं मिले तो हम उनसे निवेदन करते हैं कि वो कृपया अपनी जांच करवाएं।