जो देश को दो खंडित करने में विश्वास करे वो है PFI, जो देश को जलाने की बात करे वो है पीएफआई, जो भारत में तालिबानी शासन लाने के स्वप्न देखे वो है पीएफआई। भारत के अंदर पल रहे ऐसे संगठन की बात आए जो भारत को तालिबानी और इस्लामिक ढंग से चलाना चाहता हो तो एक संगठन का नाम सबसे पहले आएगा और वो है पीएफआई- पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया।
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इस संगठन को जब भी सुर्ख़ियों में पाया गया है तो वो भारत विरोधी एजेंडे के लिए ही काम करता दिखा है। अब इस संगठन के तार बीते शुक्रवार को कानपुर में हुई हिंसा से भी जुड़ रहे हैं। कानपुर हिंसा में अबतक 800 से अधिक लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी है और मुख्य आरोपी के तार कांग्रेस से जुड़े पाए जाने के बाद अब उसके संबंध PFI से जुड़े बताए जा रहे हैं।
800 पर मामला दर्ज
दरअसल, पुलिस ने कानपुर के परेड इलाके में शुक्रवार को हुए दंगे और हिंसा के मामले में अबतक कुल 800 से अधिक लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया है। इस मामले में अब तक लखनऊ से 29 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें संदिग्ध मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी और उसके तीन सहयोगी भी शामिल हैं। इसके साथ ही पुलिस ने 12 आरोपितों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।
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कानपुर के पुलिस आयुक्त वीएस मीणा ने कहा कि आरोपी पर कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम और गैंगस्टर अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। इसके साथ ही पुलिस आयुक्त ने कहा कि हयात और उसके सहयोगियों के पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से संभावित संबंध की भी जांच की जाएगी।
हयात मौलाना मोहम्मद अली जौहर फैन्स एसोसिएशन का अध्यक्ष है और उसने बीते वर्ष भी अनिवार्य अनुमति के बिना जुलूस निकालने की कोशिश की थी। वह कथित तौर पर कानपुर में नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध प्रदर्शनों से भी जुड़ा रहा है।
‘PFI से जुड़े दस्तावेज मिले’
PFI से कनेक्शन को लेकर कमिश्नर मीणा ने कहा कि हिंसा में शामिल जिनके नाम आए हैं उनकी गिरफ्तारी हो गई है, जबकि बाकी को पकड़ने के लिए दबिश चल रही है। उन्होंने कहा कि इसकी पूरी संभावना है कि इसमें PFI का हाथ हो। हालांकि इस मामले में आगे की जांच चल रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कानपुर हिंसा में PFI से जुड़े दस्तावेज मिले हैं। आरोपी हयात जफर हाशमी के ठिकानों से कई अहम दस्तावेज मिले हैं।
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कानपुर हिंसा का मुख्य आरोपी पूर्व में कांग्रेस के कई पदों पर रहा है, इसकी पोल तो खुल ही चुकी थी। पुलिस द्वारा गिरफ्तार स्थानीय मुस्लिम नेता हयात जफर हाशमी युवा कांग्रेस इकाई का पूर्व सचिव है। अब उसका PFI कनेक्शन भी सामने आ रहा है। पूर्व में नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA), NRC और किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शन की आड़ में दंगे भड़काने वाले इस PFI संगठन ने देश को विभाजित करने के लिए हर बार कोई न कोई हथकंडा अपनाया पर कोई काम नहीं आया।
यह चरमपंथी संगठन पीएफआई भारत में इस्लाम के तालिबानी संस्करण को थोपना चाहता है। उसका मूल उद्देश्य ही भारत का एक और विभाजन करना है, जिससे वह अपने पैर और मजबूत कर सके। बीते 2010 के बाद से यह संगठन सुर्ख़ियों में तबसे आने लगा जब पीएफआई के लोगों ने केरल के एक प्रोफेसर टीजे जोसेफ पर ईशनिंदा का आरोप लगाते हुए उनकी हथेली काट दी थी। इसके बाद दिसंबर 2012 में पीएफआई के बारे में केरल पुलिस ने केरल हाईकोर्ट में कहा था कि पीएफआई सिमी का ही नया रूप है।
PFI पर कार्रवाई कब?
ज्ञात हो कि स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है, जिसका गठन अप्रैल 1977 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में किया गया था। सिमी का घोषित मिशन ही ‘भारत की मुक्ति’ के साथ इसे इस्लामिक भूमि में परिवर्तित करने का था। यूँ तो अब सिमी देश में प्रतिबंधित हो चुका है पर आज भी पीएफआई जैसे संगठन भारत में आए दिन किसी न किसी देश विरोधी घटना में संलिप्त पाए ही जाते हैं।
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कानपुर हिंसा के मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी का कांग्रेस से लेकर PFI तक क्या कनेक्शन है- इसकी जांच पुलिस कर रही है। लेकिन कानपुर की हिंसा के बाद यह बात तय है कि देश में कुछ देशविरोधी तत्व हरदम देश में हिंसा फैलाने की साज़िश में लगे रहते हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आख़िरकार चरमपंथी इस्लामिक संगठन PFI पर कार्रवाई कब होगी?