इन दिनों चरमपंथियो की कोई सीमा नहीं है। कम से कम सोशल मीडिया से तो ऐसा ही प्रतीत होता है। उदयपुर में जो हुआ है, वह तो झलक मात्र है, परंतु ऐसा लग रहा है कि कुछ स्मार्टफोन एप्स, विशेषकर म्यूज़िक एप्स स्वयं इस कुत्सित प्रवृत्ति को बढ़चढ़कर बढ़ावा दे रहे हैं। हाल ही में कुछ दिन पूर्व ‘Boycott Gaana App’ ट्विटर पर ट्रेंड होने लगा था। पर ऐसा क्यों हो रहा था? दरअसल अलग-अलग तरह के गानों के लिए मशहूर इन ऐप्स पर उदयुपर में कन्हैयालाल की हत्या के बाद हत्यारों द्वारा बोले गये एक विवादित स्लोगन से जुड़ा एक गाना अपलोड हुआ है। जिसके बाद बवाल मच गया। उदयपुर में गत 28 जून को हुआ कन्हैयालाल हत्याकांड एक बार फिर ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है।
और पढ़ें: पर्दे पर म्यूज़िक और पीछे कुछ और – अल्लाह रखा रहमान की असलियत
हिंदुस्तान समाचार की रिपोर्ट के अनुसार
इसकी वजह अलग-अलग गाना ऐप्स हैं। इन पर हाल ही में ‘गुस्ताख-ए की नबी की एक सजा-सर तन से जुदा’ गाना अपलोड हुआ है। कन्हैयालाल का कत्ल करने वालों ने भी वायरल किए गए अपने वीडियो में सर तन से जुदा का नारा लगाया था। यह गाना अपलोड होने के बाद लोग ट्विटर पर अपनी जमकर प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि इन ऐपों पर नफरत को बढ़ावा देने वाले गानों को जल्द से जल्द डिलीट कर देना चाहिए। यूजर्स का कहना है कि ये गाना अलग-अलग म्यूजिक प्लेटफार्म पर मौजूद हैं। यूजर्स ने सभी प्लेटफॉर्म से इस विवादित गाने को तुरंत हटाने की मांग की है।
माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लोगों का गुस्सा गानों से जुड़े इन ऐपों पर देखा जा सकता है। ट्विटर पर इन ऐपों को बहिष्कार करने से संबंधित ट्वीट तेजी से ट्रेंड कर रहे हैं। विवाद गरमाने के बाद भी अभी तक किसी भी कंपनी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया या बयान सामने नहीं आया है। बता दें कि मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या करने के बाद वीडियो वायरल किया था। जिसमें आरोपी ‘गुस्ताख-ए-नबी की एक सजा, सर तन से जुदा-तन सर से जुदा’ का नारा लगा रहे थे।
जी हाँ, आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा। जिन भड़काऊ नारों के कारण देश भर में अराजकता का वातावरण व्याप्त है, उन्ही को खुलेआम Gaana, Spotify, Wynk, BollywoodHungama जैसे म्यूज़िक एप पर खुलेआम बढ़ावा दिया जा रहा है। आश्चर्य की बात है कि जब कुछ ही दिन पूर्व प्रदर्शित ‘खुदा हाफ़िज़ – चैप्टर 2’ में एक गीत ‘हक हुसैन’ पर कुछ कट्टरपंथी मुसलमानों ने आपत्ति जताई, जबकि उस गीत में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था, तो पूरे फिल्म क्रू को सार्वजनिक तौर पर क्षमा याचना करनी पड़ी और फिल्म के बोल तक बदलने पड़े। लेकिन यहाँ तो खुलेआम ऐसे उग्रवादी गीतों को बढ़ावा दिया जा रहा है, मानो इनसे अमृत रस टपक रहा हो ।
और पढ़ें: रॉकेट्री रिव्यू – नम्बी नारायणन, ये देश आपका क्षमाप्रार्थी है
इस तरह का कृत्य खुलेआम चुनौती है
परंतु ये आज की बात नहीं है, और न ही ये समस्या केवल म्यूज़िक एप तक सीमित है। कुछ ही दिनों पूर्व अजमेर दरगाह के अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने हाल ही में हिंदुओं का आर्थिक बहिष्कार करने की बात कहते हुए मुसलमानों को भड़काने का प्रयास किया। नूपुर शर्मा के बयान के समर्थन में हिंदू समाज द्वारा निकाले गए जुलूस के बाद सरवर चिश्ती ने हिंदू दुकानदारों को निशाने पर लेते हुए विशेष समुदाय से मांग की कि हिंदुओं से एक रुपये का भी धंधा मत करो और इन्हें तरसा दो। केवल इतना ही नहीं सरवर चिश्ती का एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें वह “हिंदुस्तान को हिलाने की बात” कहते दिख रहा था।
चिश्ती ने कहा था कि नबी की शान में गुस्ताखी हो रही है। अब ऐसा आंदोलन किया जाएगा जिससे पूरा हिंदुस्तान हिल जाएगा। अब वो किस आंदोलन के जरिए हिंदुस्तान को हिलाने की बात कह रहा था यह तो खादिम ही जाने। परंतु ऐसा बोलकर उसने अपनी कुंठित मानसिकता को जाहिर करते हुए हिंदुओं को खुलेआम चुनौती देने का प्रयास किया था।
और पढ़ें: बॉलीवुड पूरी तरह से ‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी’ के नियंत्रण में है
जल्द से जल्द भड़काऊ चीजों को हटाना चाहिए
अगर आप सोच रहे हैं कि केवल अजमेर दरगाह के खादिम ही जहर उगल रहे हैं तो आप गलत हैं। देश के कई हिस्सों से ऐसी खबरें सामने आ रही हैं। इससे पहले एक अन्य खादिम सलमान चिश्ती भी यूं ही जहर उगलते हुए नजर आया था। सलमान चिश्ती का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें उसने पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी का बदला लेने की बात कही थी। सलमान चिश्ती ने नूपुर शर्मा की गर्दन काटने वाले को अपना घर देने तक का ऑफर दिया था। अब ये अलग बात है कि इस कारण से अजमेर दरगाह और उसके आसपास के लोगों का व्यवसाय ही मंद पड़ चुका है।
ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि ऑनलाइन म्यूज़िक एप्स को अपने कलेक्शन का निरीक्षण करना होगा। यदि वे स्वयं सक्रिय रूप से बढ़ावा नहीं दे रहे, तो उन्हे तत्काल प्रभाव से ऐसे भड़काऊ कॉन्टेन्ट को हटाना चाहिए, और यदि वे स्वयं इसमें जुड़े हुए हैं, तो इनके लिए हमें और सरकार दोनों को कोई प्रभावी कदम उठाना पड़ेगा, अन्यथा धर्मांधता का यह विष क्या रूप धारण करे, कोई नहीं जानता।
और पढ़ें: GanguBai Kathiawadi: एक बार फिर ‘अंडरवर्ल्ड’ की भक्ति करने में लगा बॉलीवुड
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।