भारत बाहरी ताकतों से तो हमेशा से ही संघर्ष करता आया है, उनके विरुद्ध लड़ता रहा है। परंतु देश के भीतर भी कुछ ऐसी ताकते हैं जो भारत को तोड़ने का प्रयास करती हैं। ऐसा ही एक संगठन है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI, कोई भी हिंसा हो, दंगा हो या देशविरोधी कोई गतिविधि हो, PFI का नाम उसमें आपको सुनने को मिल ही जाएगा। PFI एक आतंकवादी संगठन है जो देश में सांप्रदायिक द्वेष फैलाने और आतंकवाद को बढ़ावा देने की कोशिशों में जुटा रहता है। यही कारण है कि समय समय पर PFI के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने और इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठती रहती है।
‘कुछ लोग धर्म की आड़ में कट्टरता फैलाने में जुटे हैं’
हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल अखिल भारतीय सूफी सज्जादनाशिन परिषद (AISSC) द्वारा आयोजित एक अंतरधार्मिक सद्भाव बैठक का हिस्सा बने थे। इसी कार्यक्रम में NSA अजीत डोभाल ने कहा था कि देश में कुछ लोग धर्म की आड़ में कट्टरता फैलाने में जुटे हैं। कुछ तत्वों के द्वारा ऐसा माहौल बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जो देश के विकास को बाधित कर रहा है। इससे केवल देश पर ही विपरीत असर नहीं पड़ रहा, बल्कि इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसके दुष्परिणाम होते है।
बैठक में PFI और अन्य कट्टरपंथी संगठनों को बैन करने की मांग की गयी। खबरों के अनुसार इस दौरान सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव भी पारित हुआ कि पीएफआई या फिर कोई भी संगठन अगर देशविरोधी कारनामों में लिप्त पाया जाए तो उसके विरुद्ध कानून के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए। कोई व्यक्ति या संगठन समुदायों के बीच नफरत फैलाने का दोषी पाया जाए तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
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परंतु यह दोगलापन नहीं तो क्या है कि जिन इस्लामिक धर्मगुरु सलमान नदवी ने बैठक के दौरान पीएफआई को बैन करने का समर्थन किया था, वो अब इससे पलटी मार रहे हैं। केवल इतना ही नहीं वो तो अब पीएफआई की तारीफों में कसीदे तक पढ़ रहे है। मौलाना सलमान नदवी PFI को प्रतिबंधित करने वाले अपने बयान से पलट गए। सलमान नदवी ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि उन्हें नहीं मालूम था कि जिस कार्यक्रम में वे गए थे, उसमें पीएफआई को बैन करने की चर्चा चल रही है। उन्होंने कहा कि बैठक में न ही ऐसा कोई प्रस्ताव लाया गया और न ही किसी ने इस पर हस्ताक्षर किए। सलमान नदवी ने आगे कहा कि कुछ सदस्यों की गलती के कारण पूरे संगठन को बैन करना अतार्किक है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा कार्य करता है जो कानून की नजरों में गलत है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए। उसके लिए पूरी जमात को प्रतिबंधित करने का कार्य नहीं होना चाहिए।
मौलाना ने पीएफआई की तारीफ की
इस दौरान पीएफआई की तारीफ करते हुए मौलाना ने कहा कि संगठन कई अच्छे काम कर रहा है। शिक्षा और समाज में PFI ने अच्छा काम किया, लेकिन अगर कुछ अपराध हद से आगे बढ़ गए हैं तो उस व्यक्ति पर कार्रवाई हो। अब देश में दंगा कराना, हिंसा फैलाना किस तरह से अच्छा काम है यह तो मौलाना ही जानें।
परंतु यहां सबसे बड़ा प्रश्न यह खड़ा होता है कि आखिर सरकार पीएफआई जैसे आतंकी संगठनों को लेकर बातचीत क्यों कर रही है? PFI एक आतंकी संस्था है जिसे जल्द से जल्द भारत में बैन करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नजर नहीं आता। लातों के भूत, बातों से नहीं मानते। यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी और इसके अर्थ से भी परिचित होंगे। वैसा ही ठीक पीएफआई के साथ भी है। पीएफआई जैसे संगठनों को लेकर बातचीत करने का कोई तर्क ही नहीं समझ आता। भारत की एक नीति स्पष्ट रही है, वो यह कि आतंकी संगठनों से बातचीत भारत करता नहीं, इनके विरुद्ध केवल सख्त से सख्त कार्रवाई ही होती है। फिर भी पीएफआई को लेकर बातचीत आखिर क्यों की जा रही है?
देखा जाए तो पीएफआई के कांडों की सूची बेहद ही लंबी नजर आती है। जब-जब यह संगठन सुर्खियों में आया तब तब यह भारत विरोधी एजेंडे में लिप्त पाया गया। पीएफआई वो संगठन है जो भारत को इस्मालिक राष्ट्र बनाने के सपने देखता है। कई दंगों, कई जगहों पर हिंसा भड़काने में पीएफआई का नाम आ चुका है। उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुई हिंसा से लेकर एमपी के खरगौन में हुए सांप्रदायिक दंगा, राजस्थान के करौली में हुई हिंसा समेत कई घटनाओं से पीएफआई का नाम बार-बार जुड़ता रहता है, जबरन धर्मांतरण कराने का आरोप इस संगठन पर लगता है। इसके अलावा लव जिहाद से जुड़े मामलों में पीएफआई की भूमिका पायी जाती है।
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2007 में PFI अस्तित्व में आया था और आज के समय में यह संगठन 20 राज्यों में अपने पैर पसार चुका है। दंगा कराने, हिंसा भड़काने में पीएफआई हमेशा से सबसे आगे रहता है। तो ऐसे में आखिर पीएफआई जैसे संगठनों पर कार्रवाई करने को लेकर कोई बैठक और बातचीत की जरूरत क्यों पड़ रही है? क्या अब वो समय नहीं आ चुका है जब देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वाली इस संस्था को खत्म कर देना चाहिए। इस पर पूर्णयता बैन लगाना चाहिए। सरकार को यह समझने की जरूरत है कि पीएफआई जैसे संगठनों को लेकर बातें करना का दौर अब चला गया है। समय आ गया है कि इसको पूरी तरह से प्रतिबंध किया जाए और भारत में बैठकर देशविरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वाली ऐसी संस्थाओं को कुचल दिया जाए।
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