भारत विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर है इसमें कोई संदेह नहीं है। वस्तुतः भारत ने अपने विकास के क्रम में अनेक उतार चढ़ाव देखे, एक समय था जब ‘महाशक्तियां’ भारत का मज़ाक़ उड़ाया करती थी। इतना ही नहीं, पाकिस्तान भी एक समय पर अपने आका अमेरिका के दम पर भारत को आए दिन परमाणु बम की धमकी दिया करता था लेकिन समय बदला, परिस्थितयां बदली और फिर हुआ भारत का उदय। समय चलायमान होता है, बदलता जरूर है और जब समय बदलता है तो सामने वाले को घुटने टेकने पर मजबूर कर देता है। एक वक्त भारत का मज़ाक उड़ाने वाले देशों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब भारत उनकी ईंट से ईंट बजा देगा और दुनिया भारत के पीछे चलेगी। किंतु वो कहावत है न कि भाग्य भी बहादुरों का ही साथ देता है और फिर बहादुरी और भारत का तो बहुत पुराना रिश्ता है। अतः वर्तमान में समय और भाग्य दोनो ही भारत के साथ हैं और यही कारण है कि भारत वर्तमान में वैश्विक पटल पर अपनी एक अलग धाक जमाए हुए है। अब भारत जहां रूस और अमेरिका दोनों के साथ प्रगाढ़ संबंध बनाए हुए है तो दूसरी ओर पाकिस्तान और चीन को आंख दिखाकर सबक़ सिखाने से भी नहीं चूक रहा है।
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पीएम ने चीन और पाकिस्तान को लपेट दिया
पूर्व की घटनाओं यानी चीन और पाकिस्तान को भारत से मिली लताड़ से तो आप भलीभांति परिचित ही होंगे किंतु जो लोग अभी इस बात को लेकर संशय में हैं उन्हें जान लेना चाहिए कि अभी हाल ही में भारत ने एससीओ समिट में चीन और पाकिस्तान की जमकर बैंड बजायी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह आदत रही है कि वो कई बार बिना विरोधियों से संवाद स्थापित किए ही उन्हें चारों खाने चित्त कर देते हैं। इसी क्रम में उन्होंने बैठक के दौरान कहा, “इस वर्ष भारत की अर्थव्यवस्था के 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक होगी।” साथ ही उन्होंने ज़ोर देते हुए यह भी कहा कि हम भारत को एक विनिर्माण केंद्र में बदलने की दिशा में काम कर रहे हैं। हम हर क्षेत्र में नवाचार का समर्थन कर रहे हैं। आज हमारे देश में 70,000 से अधिक स्टार्टअप और 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं। वस्तुतः पीएम मोदी ने यह बात चीन को सबक़ सिखाने के क्रम में कही।
दरअसल, चीन अपनी अर्थव्यवस्था की ठसक दिखाने का कोई मौक़ा नही छोड़ता है। ऐसे में पीएम मोदी द्वारा दिए गए इस वक्तव्य से चीन के कान ज़रूर खड़े हो गए होंगे। वैसे भी चीन की अर्थव्यवस्था की हवा निकल गई है, उसका रियल एस्टेट सेक्टर तबाही की ओर बढ़ रहा है। हाल ही में यह खबर सामने आई थी कि अपने नागरिकों के भय की वजह से चीन को बैंकों के सामने टैंक तक तैनात करने पड़ गए थे। इन सबका सम्मिलित परिणाम यह हुआ कि चीन अपनी जिस अर्थव्यवस्था के दम पर हुंकार भरता था वही रसातल में पहुंच चुकी है। चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर निवेशक आशंकित हो गए हैं और उस पर बट्टा लगाने का कार्य पीएम मोदी के बयान ने कर दिया है। वहीं, अपनी मिट्टी पलीद होते देख चीन ने कुछ न बोलने में ही भलाई समझी।
अपने आगे के वक्तव्य में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे पीएम मोदी ने पाकिस्तान को बेइज्जत कर दिया। भाषण के दौरा पीएम मोदी ने कहा कि एससीओ को विविध और लचीली आपूर्ति श्रृंखला बनाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सदस्यों को संपर्क (कनेक्टिविटी) का दायरा बढ़ाने के लिए एक-दूसरे को पूर्ण पारगमन अधिकार देना चाहिए। वस्तुतः यह वक्तव्य पाकिस्तान के लिए था क्योंकि भारत द्वारा अफगानिस्तान को भेजे गए सहयोग को पाकिस्तान में रोक दिया गया था। यहां तक कि भारत से अफगानिस्तान को भेजी जा रही गेहूं को भी पाकिस्तान में लूट लिया गया था। ऐसे में अब वैश्विक मंच पर पीएम मोदी ने इशारे इशारे में ही पाकिस्तान को भी लपेट दिया।
रूस और अमेरिका दोनों का दोस्त है भारत
ज्ञात हो कि पाकिस्तान और चीन को भारत जैसे हैंडल करता है उसकी प्रसंशा तो विश्व भर में होती है किंतु सम्पूर्ण विश्व भारत द्वारा रूस और अमेरिका दोनों से प्रगाढ़ संबंधों की वजह से ज़्यादा हैरान है। एक ओर जहां पूरा विश्व लगभग लगभग अमेरिका एवं रूस में से किसी एक देश के पाले में रहना पसंद करते हैं तो वही भारत अपने हितों को सर्वोपरि रखता है और इसी क्रम में उसने दोनों महाशक्तियों से रिश्ते बनाए हुए हैं। किंतु भारत के समक्ष दोनों से समन्वय बनाए रखना एक बड़ी चुनौती रहती है। हालांकि, भारत एक समझदार देश होने का परिचय देते हुए अपने हितों का पक्ष इस प्रकार लेता है कि बैलेंस अपने आप ही बन जाता है। वस्तुतः अमेरिका द्वारा रूस से तेल खरीद को लेकर मना करने के बावजूद भी भारत रूस से तेल ख़रीदता रहा। अब अमेरिका को तसल्ली देते हुए एससीओ के सम्मेलन में पुतिन से चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कहा, मैंने राष्ट्रपति पुतिन से पहले ही फोन पर कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है। पीएम मोदी ने यह कहकर अमेरिका की भी शंका मिटा दी। इस प्रकार भारत ने बिना किसी को नाराज़ किए ही एक बार फिर अपने हितों की पूर्ति कर ली है।
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