झूलन गोस्वामी का जीवन परिचय: क्रिकेट को हमेशा से ही जेंटलमैन का खेल कहा जाता है। परंतु महिलाओं ने भी अपने मेहनत और लगन के दम पर यह साबित कर दिखाया कि अब क्रिकेट का खेल केवल पुरुषों तक सीमित नहीं रह गया। बदलते वक्त के साथ महिला क्रिकेट को भी वो मान-सम्मान और पहचान मिलने लगी हैं, जिसकी वो हमेशा से ही हकदार रही हैं। आज के समय में महिला क्रिकेट को भी बहुत पसंद किया जाता है। आज के लेख में हम जानेंगे झूलन गोस्वामी का जीवन परिचय (Jhulan Goswami biography in Hindi), संघर्ष एवं उपलब्धियों के बारें में।
हालांकि एक समय ऐसा भी था, जब भारत जैसे देश जहां क्रिकेट को धर्म की तरह पूजा जाता है, वहां महिला क्रिकेट के प्रशंसक ना के बराबर हुआ करते थे। यही कारण रहा कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम तमाम तरह की सुविधाओं से वंचित रहती थीं। परंतु अब स्थिति काफी बदल गई है। भारतीय महिला क्रिकेट को नाम, पहचान दिलाने का श्रेय अगर किसी को दिया जाएगा, तो वो टीम इंडिया की स्टार गेंदबाज झूलन गोस्वामी ही होंगी। जब भारतीय महिला क्रिकेट टीम की न तो अहमियत मिलती थी और न ही फैंस का प्यार, तब ऐसे समय में झूलन ने अपनी और टीम इंडिया की पहचान बनाई थी। वहीं भारत की महान महिला तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने की तैयारी में हैं। 24 सितंबर को जब भारतीय टीम इंग्लैंड के विरुद्ध वनडे मुकाबला खेलने मैदान में उतरेगीं, तो नीली जर्सी में झूलन आखिरी बार नजर आएगीं।
बंगाल की शेरनी झूलन गोस्वामी
अगर आप क्रिकेट के प्रशंसक हैं या फिर थोड़ा बहुत भी इस खेल के बारे में जानते हैं, तो यह संभव ही नहीं कि आपने झूलन गोस्वामी का नाम ना सुना हो। क्रिकेट में सौरव गांगुली जैसे “बंगाल के दादा” के नाम से लोकप्रिय है, वैसे ही झूलन को भी “बंगाल की शेरनी” कहा जाता है। झूलन गोस्वामी के नाम ऐसी कई उपलब्धियां है, जो यह बताने के लिए काफी हैं कि वो कितनी महान खिलाड़ी रही हैं। झूलन गोस्वामी महिला वनडे में सबसे अधिक विकेट लेने वाली गेंदबाज हैं। 201 मुकाबलों में झूलन ने 252 विकेट झटके हैं। वहीं महिला वनडे विश्व कप में भी सर्वाधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड भी इन्होंने अपने नाम किया है। उन्होंने विश्व कप के 34 मैच में 43 विकेट लिए हैं। इसके अलावा विश्व कप में दो बार 4 विकेट लेने का कारनामा भी झूलन ने किया है।
और पढ़े: मासिक धर्म समेत कई बड़े मुद्दों पर झूलन गोस्वामी ने सवाल पूछे हैं
झूलन गोस्वामी का संक्षिप्त जीवन परिचय
झूलन गोस्वामी का जन्म 25 नवंबर 1982 को पश्चिम बंगाल के नदिया में हुआ था। उनके पिता निसिथ गोस्वामी और उनकी मां झरना गोस्वामी हैं। झूलन गोस्वामी को घर में उनके ‘बाबुल’के नाम से बुलाया जाता है। पहले तो बचपन में झूलन फुटबॉल खेला करती थीं, ऐसा इसलिए क्योंकि पश्चिम बंगाल के नादिया में फुटबॉल बहुत लोकप्रिय हुआ करता था और इस खेल को काफी खेला जाता है। परंतु 1992 विश्व कप के बाद उनका मन क्रिकेट की तरफ जाने लगा और इसके बाद उन्होंने फुटबॉल छोड़कर हाथ में टेनिस बॉल थाम ली थीं।
कमजोरी को बनाई अपनी ताकत
झूलन ने अपने घर के पड़ोस के लड़कों के साथ रोजाना क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। परंतु तब उनको कोई भी गेंदबाजी नहीं करने देता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वे बहुत ही ज्यादा धीमी गेंदबाजी करती थी। उस दौरान लड़के झूलन की गेंदबाजी का बहुत मजाक भी उड़ाया करते थे। लेकिन उन्होंने कभी इस बात को गलत तरह से नहीं लिया और अपनी इस कमजोरी को ही ताकत बनाते हुए इसे एक चुनौती रूप में स्वीकार किया। अपनी गेंदबाजी पर काम करते हुए उन्होंने अपने प्रदर्शन में काफी सुधार किया। अपने शौक को अपना करियर बनाने के लिए झूलन ने एमआरएफ एकेडमी से ट्रेनिंग हासिल की।
और पढ़े: घटिया कप्तानी, महाघटिया चयन, वीवीआईपी संस्कृति और भी बहुत कुछ – भारतीय क्रिकेट टीम की दर्दनाक कथा
झूलन आज जहां पहुंची हैं, उस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्हें काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा था। बताया जाता है कि कोलकाता क्रिकेट संस्थान के लिए झूलन रोजाना सुबह 4 बजे की लोकल ट्रेन से 80 किमी की दूरी तय किया करती थी। क्योंकि उस वक्त महिलाओं के क्रिकेट को इतनी अहमियत नहीं दी जाती थी, इसलिए झूलन ने भी मुश्किलों का सामना किया। लेकिन उनके हौसलों के आगे कठिनाइयों को भी अपने घुटने टेकने पड़े। उनके क्रिकेट के हुनर को पहचान कर उनके कोच ओर उनके घर वालों ने भी उनका काफी ज्यादा समर्थन किया था।
कोच की तरफ से मिले सहयोग पर एक बार बात करते हुए झूलन ने कहा था– “मेरे माता-पिता मुझे लेकर बहुत चिंतित रहते थे, लेकिन मेरे कोच स्वपन साधु ने उन्हें बताया कि अब महिलाएं भी क्रिकेट खेल सकती हैं और तब मैंने कोलकाता में महिला क्रिकेट खेलने जाया करती थी। उस समय मेरी उम्र केवल 13 वर्ष ही थी। मेरे माता-पिता ने मुझे कोलकाता मे जाकर क्रिकेट खेलने की अनुमति दे दी थी। आज मैं जो कुछ भी वो अपने गुरु अपने कोच कि वजह से ही हूं।“
19 साल की छोटी उम्र में झूलन ने 2002 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था। उन्होंने चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला एकदिवसीय मैच खेला था। 14 जनवरी 2002 को झूलन ने लखनऊ में इंग्लैंड के खिलाफ खेल के लंबे प्रारूप यानी टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था। झूलन गोस्वामी का नाम सितंबर 2007 में सुर्खियों में आ गया था, क्योंकि उनको तब उन्हें महिला क्रिकेटर ऑफ द ईयर के खिताब से सम्मानित किया गया था। झूलन गोस्वामी उस दौरान बहुत ही ज्यादा अचंभित रह गई थी, जब उनका नाम दक्षिण अफ्रीका के जॉहन्सबर्ग में होने वाले ICC पुरस्कारों में पुकारा गया। उस दौरान किसी भी पुरूष भारतीय क्रिकेटर को इस तरह का व्यक्तिगत सम्मान नहीं मिला था, परंतु झूलन ने इसे हासिल कर दिखाया था।
और पढ़े: जब भारतीय क्रिकेटर अमन की आशा फैलाने में लगे थे तब पाकिस्तान खालिस्तान को बढ़ावा दे रहा था
झूलन गोस्वामी जीवन परिचय एवं झूलन की महत्वपूर्ण उपलब्धियां
- झूलन गोस्वामी ने साल 2007 में आईसीसी अवार्ड में व्यक्तिगत अवार्ड हासिल करने वाली इकलौती भारतीय क्रिकेटर है।
- झूलन गोस्वामी ने सितंबर 2007 में महिला क्रिकेटर ऑफ द ईयर का खिताब अपने नाम किया था।
- झूलन ने कुल 8 टेस्ट मैचों में 33 विकेट लिए और 540 रन बनाए है।
- झूलन 79 एकदिवसीय क्रिकेट मैच में 96 विकेट लेकर भारत की दूसरी सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली महिला क्रिकेटर का गौरव अपने नाम किया था।
- झूलन गोस्वामी को 2010 में अर्जुन अवार्ड और 2012 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
- झूलन की गेंदबाजी की गति 120 किमी प्रति घंटा है, जो महिला क्रिकेट में सर्वाधिक है।
- झूलन गोस्वामी ने 79 एकदिवसीय मैचों में 1994 रन बनाए है।
- झूलन को मुंबई के कैस्ट्रोल अवार्ड में साल 2006 स्पेशल अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।
- पूर्व भारतीय कप्तान झूलन गोस्वामी को महिला क्रिकेट के इतिहास में सबसे तेज गेंदबाजों में से एक माना जाता है।
झूलन गोस्वामी के इस सफर, उनकी उपलब्धियों को जल्द ही हमें बड़े पर्दे पर देखने का अवसर भी मिलेगा, क्योंकि इस महान खिलाड़ी पर बॉलीवुड में फिल्म बनाई जा रही हैं। इस फिल्म में बॉलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा गोस्वामी का किरदार निभाती दिखेगीं।
झूलन भले ही क्रिकेट के मैदान से दूर हो रही हैं, परंतु हकीकत तो यही है कि उनके जैसे महान खिलाड़ी कभी रिटायर नहीं होते। झूलन अपने पीछे एक विरासत छोड़कर जा रही हैं। वो हर उस महिला का रोल मॉडल बनेगीं, जो भारतीय क्रिकेट टीम में खेलने और देश का मान बढ़ाने का सपना देखेगीं। साथ ही उनकी कमी भी भारतीय महिला क्रिकेट टीम को हमेशा खलेगी।
और पढ़े: महिला क्रिकेट को वैश्विक बनाने वाली क्रिकेटर मिताली राज की कहानी
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें.