जब तक तोड़ेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं। इसी कथन को चरितार्थ करते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अब भारत में पनप रही SIMI की तर्ज़ पर PFI जैसी आतंकी सोच को ख़त्म करने की ओर अग्रसर है। भारत को तोड़ने और इसे इस्लामिक देश बनाने के लक्ष्य के साथ कुछ संगठन काम कर रहे हैं, उन्हीं में से एक है पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया। इस संगठन की नींव भारत में SIMI (Students’ Islamic Movement of India) के वर्ष 2001 में बैन होने के पश्चात पड़ी थी। वर्ष 2004 में कई संगठनों के विलय से PFI बना था।
SIMI से कई गुना आगे निकल गया PFI
PFI, SIMI से भी कई गुना आगे निकलते हुए ऐसे अपराधों में संलिप्त है, जिसके चलते देश के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। यही कारण है कि इसे पूरी तरह से नष्ट करने के लिए इसके विरुद्ध कार्रवाई भी प्रारंभ हो गई है। सब कुछ योजना के अनुरूप रहा तो इस वर्ष के अंत तक सारा खाका तैयार हो जाएगा और जैसे SIMI बैन हुआ था वैसे ही PFI का भी अंत हो जाएगा।
दरअसल, पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) अब SIMI की राह पर चलता नजर आ रहा है। वही SIMI जिसका मूल उद्देश्य भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना था। चरमपंथियों के इस संगठन ने भारत के खिलाफ जिहाद की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य या तो जबरदस्ती इस्लाम में परिवर्तित करना या हिंसा से दार-उल-इस्लाम (इस्लाम की भूमि) स्थापित करना था। ऐसे मंसूबों को तिलांजलि देते हुए SIMI को एक आतंकी संगठन घोषित करते हुए भारत में बैन कर दिया गया था। वहीं उसके रास्ते पर ही चलने वाले PFI का भी उसी प्रकार से विनाश करने की तैयारी शुरू हो गई है।
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इसी क्रम में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को आतंकी फंडिंग के संदिग्धों के विरुद्ध देशव्यापी छापेमारी की और 100 से अधिक पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। PFI अध्यक्ष ओएमए सलाम और प्रदेश अध्यक्ष सीपी मुहम्मद बशीर को मलप्पुरम के मंजेरी से हिरासत में लिया गया। जांच एजेंसी ने गुरुवार सुबह साढ़े तीन बजे ओखला से दिल्ली PFI प्रमुख परवेज अहमद और उनके भाई को भी गिरफ्तार किया। यह सब यूं ही नहीं हो रहा, बल्कि देश के विरुद्ध षडयंत्र रचने वाले PFI के आतंक परस्त होने के प्रमाण मिलने के बाद उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई की जा रही है।
ज्ञात हो कि NIA ने वर्ष 2017 में गृह मंत्रालय को एक पत्र लिखकर PFI पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। NIA के अनुसार PFI लगातार समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक कार्यों में लिप्त रहा है। एनआईए ने दावा किया था कि PFI भारतीय राजनीति को सांप्रदायिक बनाने, इस्लाम के सबसे निकृष्ट तालिबान ब्रांड को लागू करने और ऐसे तमाम उपक्रमों को बनाए रखने के उद्देश्य से एक रणनीति अपनाता है।
डोजियर में कहा गया कि PFI के कई संस्थापक नेता SIMI के प्रतिबंधित होने से पहले उससे जुड़े थे। इसमें PFI के पूर्व अध्यक्ष ईएम अब्दुरहीमान, जो 1980-81 और 1982-93 में SIMI के अखिल भारतीय महासचिव थे, PFI के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पी कोया जो 1978-79 में SIMI के साथ थे और एसडीपीआई के अध्यक्ष ई अबूबकर जो 1982-84 में केरल राज्य SIMI के अध्यक्ष थे, यह सभी शामिल है। अर्थात SIMI ख़त्म हुआ तो PFI शुरू किया गया, लोग वही- सोच वही- विचार वही बस नाम अलग।
PFI जैसे संगठन भारत में काफी समय से संचालित हैं, जिनका हाथ हर उस भारत विरोधी गतिविधि में होता है, जो देश को विभाजित करने का लक्ष्य रखते हैं। हर देश विरोधी मामलों के पीछे इस संगठन का हाथ पाया जाता है। कई राज्यों ने तो इसे बैन भी किया है, परंतु अब समय आ गया है कि इस संगठन पर और सख्ती दिखाते हुए इसका समूल विनाश किया जाए। यह इसलिए भी ज़रूरी है कि समाज को दूषित करने में जुटे PFI जैसे संगठनों ने कई ऐसे अपराध देशभर में संचालित किए हुए हैं जिससे पूरा समाज और समरसता धूमिल हो रही है।
इस अपराध की श्रेणी में सबसे अव्वल नंबर पर है- देश में दंगे भड़काना। बीते वर्षों में जो भी दंगा किसी भी शहर-कस्बे में हुआ उसमें PFI का नाम सामान्यतः हमेशा सामने आता रहा है। दंगे की योजना बनाने से लेकर दंगे के लिए उपयोग में लाने वाले पत्थर से लेकर असलहों तक इसका सारा का सारा प्रबंधन PFI की ही देखरेख में होता है। फिर चाहे वो सीएए-एनआरसी प्रदर्शन की आड़ में किए गए दंगे हो या फिर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा या फिर कानपुर में इसी वर्ष जून माह में हर जुम्मे पर हुआ दंगा हो, सभी में एकमात्र संलिप्तता और किसी की नहीं इसी PFI की पाई गई।
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अगला नंबर है ‘धर्मांतरण’ का
PFI के अपराध की श्रेणी में अगला नंबर है ‘धर्मांतरण’ का। PFI की शह पर देश के कई हिस्सों में असहाय लोगों को कहीं पर बंदूक की नोक पर तो कहीं पर सुविधाओं का लालच देकर इस्लाम कबूलने और धर्म परिवर्तन कराया जाता है। इन घटनाओं का कोई आंकड़ा तक नहीं है। ऐसी घटनाओं के असंख्य उदाहरण आपको देखने के लिए मिल जाएंगे हैं जहां जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया हो। इन सभी मामलों में PFI एंगल सदैव स्थिर रहा।
एक मामला केरल के कन्नूर का था जहां एक दलित ऑटो रिक्शा चालक चित्रा लेखा जो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) द्वारा जाति के आधार पर भेदभाव और उत्पीड़न कर गांव से निकाला गया था। इसके बाद उसने कथित तौर पर इस्लाम में परिवर्तित होने की अपनी योजना की घोषणा की थी। इस पूरे मामले में यह बात निकलकर सामने आई कि PFI ने दलित महिला की मजबूरी का फायदा उठाने की कोशिश की। चित्रा लेखा ने बताया था कि कैसे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की राजनीतिक शाखा एसडीपीआई ने वादा किया था कि अगर वह अपना धर्म बदलना चाहती है तो उसे एक नया घर, नौकरी और वित्तीय सहायता मिलेगी। ऐसी ही कई कहानियां हैं जहां धर्मांतरण का घिनौना खेल PFI खेल रही है।
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लव जिहाद के गंभीर मामले और PFI
केवल इतना ही नहीं PFI लव जिहाद के गंभीर मामलों में भी लिप्त पाया जाता रहा है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया द्वारा एक ऑपरेशन के तहत मिशन लव जिहाद चलाया जा रहा है। इस ऑपरेशन के माध्यम से कट्टरपंथियों और जिहादी तत्वों द्वारा पहले हिंदू लड़कियों से नाम बदलकर मित्रता की जाती है और फिर उन्हें अपने प्यार के झूठे जाल में फंसाया जाता है। कई बार महिलाओं को गर्भवती कर उन्हें धर्म परिवर्तन करने के लिए विवश किया जाता है। अंततः उनका जबरन धर्म परिवर्तन करा उन्हें हलाला और ऐसी अनेकों कुप्रथाओं के दल-दल में झोंक देने के भी प्रयास होते है। यह PFI की रणनीतियों में से एक है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया द्वारा संचालित एक धार्मिक सुविधा केंद्र कथित “लव जिहाद” के मामलों में इसकी प्रमुख भूमिका मानी जाती है। इसकी जानकारी स्वयं एनआईए ने अपनी जांच के दौरान दी थी।
इसके अतिरिक्त आतंकवादियों को सरहद पार फंडिंग प्रदान करना, उनसे सहायता लेना और उन्हें संरक्षण प्रदान करना, इन सभी मामलों में भी PFI का हाथ रहा है। यही कारण है कि अब गृह मंत्रालय PFI के खिलाफ फास्ट ट्रैक मोड़ में कार्रवाई कर रहा है। गुरुवार को NIA ने बड़ी कार्रवाई के अंतर्गत देश के 11 राज्यों में छापेमारी कर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर शिकंजा कसने का काम किया। अब जिस स्तर पर कार्रवाई जा रही है उससे तो ऐसा ही लगता है कि इसका परिणाम यही निकलने वाला है कि 2022 वर्ष के अंत तक भारत सरकार PFI का अंत सुनिश्चित कर देगी।
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