किसी भी तरह के ज्ञान के लिए सबसे अहम होता है कि व्यक्ति का कॉन्सेप्ट क्लियर हो और आज की सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि लोगों का कॉन्सेप्ट क्लियर ही नहीं है। लोग कही सुनी बातों के आधार पर किसी भी मुद्दे पर अपनी धारणा बना लेते हैं और फिर इसका ही विस्तार करने लगते हैं, जिसका नतीजा यह है कि आज का युवा भारत अपने मूल ज्ञान से दूर जा चुका है। कोई भी घटना अलग-अलग परिदृश्य में विभिन्न प्रकार से पेश कर मुद्दों को असलियत से परे दिखा दिया जाता है। दुष्प्रचार करने वाले इंटरनेट के जरिए कमाई कर के चले जाते हैं लेकिन एक अहम बात यह है कि इसके कारण हमारी युवा पीढ़ी का नुकसान हो रहा है और वे अपनी मूल भारतीय संस्कृति से विमुख होते जा रहे हैं।
दरअसल, आज के समय में इंटरनेट की कीमत बेहद कम हो गई है, ऐसे में लोग किसी भी चीज को पढ़ने से ज्यादा इंटरनेट का ज्ञान लेने में सहजता महसूस करते हैं। लोगों को लगता है कि उन्हें इंटरनेट पर यूट्यूब चैनलों और वेब साइटों के माध्यम से जो बातें बताई जा रही है वह सच हैं। इसके आधार पर ही आज के समय में लोग प्रत्येक मुद्दे पर अपनी एक अवधारणा गढ़ के बैठे हैं लेकिन असल में ये अवधारणाएं ही भारत के लिए मुसीबत बनती जा रही हैं।
और पढ़ें: ‘उदयपुर आतंकी घटना को महिमामंडित करने वाला कंटेट हटाएं सोशल मीडिया कंपनियां
यह बड़ा जटिल है!
ज्ञात हो कि वाल्मीकि रामायण भगवान श्रीराम के साथ रावण का युद्ध और रावण की मृत्यु के साथ ही समाप्त हो गई थी लेकिन बाद में गोस्वामी तुलसीदास ने जो रामायण लिखी उसमें उत्तरकांड और विशेषकर माता सीता को भगवान राम द्वारा त्यागने की बातों का वर्णन किया गया है। यह भी कहा गया कि भगवान राम महिला विरोधी थे और इसके कारण ही उन्होंने अपनी पत्नी तक को छोड़ दिया, जबकि यह सरासर दुष्प्रचार है क्योंकि असल यानी वाल्मीकि रामायण में उत्तर कांड का कोई उल्लेख ही नहीं है। इसी तरह आज के समय में इंटरनेट पर लोग फेसबुक, व्हाट्सएप इंस्टाग्राम के जरिए वेद, उपनिषद को लेकर कोई भी प्रश्न कहीं से उठाकर सोशल मीडिया पर चिपका देते हैं और फिर उसके आधार पर जनता में ज्ञान बांटने लगते हैं भले ही उसका आज के समय से कोई संबंध हो या न हो।
इतना ही नहीं है लोग देवी देवताओं को लेकर कोई भी कहानियां बना लेते हैं और उनके नाम पर कुछ भी लिख देते हैं और जब इनसे लिखे हुए शब्दों पर तथ्य मांगे जाते हैं तो यह लोग प्रश्न पूछने वालों को नजरअंदाज करने लगते हैं। इसके अलावा कई कवि, लेखक और प्रोपेगेंडा फैलाने वाले लोग अपने एजेंडे के चक्कर में मनगढ़ंत कहानियां रचते हैं, जो सुनने में तो लोगों को अच्छा लगता है लेकिन उसमें कोई सच्चाई नहीं होती। लोगों को लगता है कि सामने वाला बोल रहा है तो सहीं ही बोल रहा होगा, जबकि ऐसा नहीं होता। हिंदू देवी देवताओं को लेकर ऐसे तमाम लोग आपको टीवी से लेकर मंच तक कुछ न कुछ बताते मिल ही जाएंगे और लगभग हर जगह यही खेल चल रहा होता है।
इंटरनेट पर सनातन को लेकर झूठ ही परोसा जाता है!
आज के समय में इंटरनेट के धूर्त लोग हिंदू देवी देवताओं को लेकर वास्तविक कथा, उपन्यास या मंत्रों आदि के अर्थों का अनर्थ कर रहे हैं। इसे अलग अलग तरीके से पेश कर मासूम लोगों को बेवकूफ बनाते हैं। जिसका नतीजा यह होता है कि जब कोई युवा अपनी संस्कृति को खोजने के लिए इंटरनेट पर निकलता है तो उसे सच की जगह दुष्प्रचार देखने को मिलता है। बात यह है कि यह दुष्प्रचार 100 में से 90 वेबसाइट्स पर देखने को मिल जाता है। इसका नतीजा यह होता है कि युवाओं को लगता है कि जो 90 जगहों पर लिखा है वही सत्य है जबकि असलियत यह है कि 90 जगहों पर भारतीय संस्कृति को लेकर भ्रामक चीजें ही लिखी होती है।
दुष्प्रचार का बहुमत होने के कारण आज के समय में युवा झूठ को सत्य और सत्य को झूठ समझने लगते हैं। रामायण, महाभारत, वेद, उपनिषद आदि को लेकर लोग इंटरनेट पर खोज तो करते हैं लेकिन उन्हें बदले में दुष्प्रचार और झूठे दावे ही मिलते हैं। व्हाट्सएप पर गुड मॉर्निंग के साथ परिजनों द्वारा सुबह दिया जाने वाला ज्ञान अधिकतर ऐसा होता है, जो यथार्थ में कहीं टिकने वाला नहीं है लेकिन इंटरनेट की दुनिया में सब कुछ बिक रहा है।
सोशल मीडिया के दौर में चारों तरफ से ऐसी सूचनाएं आ रही हैं लेकिन कौन कितना सही है इस बात का पता लगाने के लिए लोगों के पास समय नहीं है। ऐसे में आवश्यक है कि लोग किसी भी चीज के बारे में यदि सुने तो उसके मूल में जाकर उसका सत्यापन अवश्य करें। लोगों से बोलने से ज्यादा उनकी बातों को सुने और उसका सत्यापन करके ही उनकी बातों को मानें। अन्यथा जो ज्ञान इंटरनेट पर मिल रहा है वह दुष्प्रचार है और यह दुष्प्रचार धीरे-धीरे भारतीय संस्कृति को खोखला कर रहा है। अहम बात यह है कि यदि आप इसे आगे बढ़ाते हैं तो निश्चित तौर पर आप स्वयं ही भारतीय संस्कृति को नेस्तनाबूत करने में अपनी भूमिका निभा रहे होंगे।
और पढ़ें: ‘हिंदुत्व विरोधी’ कांग्रेस ने रक्षाबंधन पर रक्षासूत्र का किया अपमान!
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें.