ISRO वनवेब : नया भारत हर रोज एक नयी कहानी लिखता जा रहा है। आज आप देखेंगे कि भारत हर क्षेत्र में कामयाबी के झंडे गाड़ रहा है। बात अंतरिक्ष की करें तो भारत ने इसमें कई कीर्तिमान स्थापित किये हैं। दिनों-दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) नयी उपलब्धियां और नये गंतव्य हासिल करता जा रहा है। राकेश शर्मा द्वारा देश का पहला अंतरिक्ष यात्री बनने से लेकर पहले प्रयास में ही मिशन मंगल की सफलता से अंतरिक्ष के क्षेत्र भारत ने कई कामयाबियां हासिल की है। इसी तरफ एक कदम और आगे बढ़ाते हुए हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर इतिहास रचने वाला कार्य किया है। बीते दिनों ISRO के द्वारा रॉकेट तकनीक के क्षेत्र में लंबी छलांग लगायी गयी। एजेंसी ने अपने सबसे भारी रॉकेट का प्रयोग करते हुए 36 सैटेलाइट्स (उपग्रह) को एक साथ लॉन्च किया।
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बाहुबली रॉकेट से 36 सैटेलाइट लॉन्च
ISRO का रॉकेट LVM3 एक निजी संचार फर्म वनवेब के 36 सैटेलाइट्स को लेकर श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ। जियोसिन्क्रोनस सैटलाइट लॉन्च वीइकल-मार्क3 ( GSLV-Mk3) जिसे अब LVM3 (Launch Vehicle Mark 3) नाम से भी जाना जाता है यह भारत का सबसे भारी रॉकेट है। 23 अक्टूबर की रात 12 बजकर 7 मिनट पर 36 सैटेलाइट को लॉन्च किया गया था। यानी 23 अक्टूबर की रात जब आप सो रहे थे, तो दूसरी तरफ इसरो इतिहास रच रहा था।
23 अक्टूबर आधी रात को जब श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर में आधी रात को उपग्रहों की लॉन्चिंग होनी थी, तो इसरो के वैज्ञानिक चिंता में थे, क्योंकि ऐसा पहली बार हो रहा था जब भारत का सबसे भारी रॉकेट अपने कॉमर्शियल मिशन के लिए उड़ान भरने की तैयारी में था। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार यह मिशन वनबेव के 36 सैटेलाइट के साथ सबसे भारी पेलोड ले गया है। 5,796 किलोग्राम पोलेड ले जाने वाला यह पहला भारतीय रॉकेट बना। इससे पूर्व अब तक इतने वजनी पेलोड के साथ भारत के रॉकेट ने कभी उड़ान नहीं भरी थी, परंतु भारत ने इस बार यह कारनामा भी कर दिखाया। जानकारी के अनुसार लिफ्ट ऑफ के करीब 20 मिनटों पश्चात ही 601 किलोमीटर की ऊंचाई पर सभी 36 सैटेलाइट्स धरती की निचली कक्षा में स्थापित हो गये।
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दिवाली से पूर्व ISRO का धमाका
सैटेलाइट से रॉकेट से अलग होते हुए दिखे तो इसरो अध्यक्ष चीफ एस. सोमनाथ उत्हासित हो गये। जैसे ही 16 रॉकेट के पहले 4 बैच रॉकेट से अलग हुए तो उन्होंने कहा- ‘हमने दिवाली का जश्न पहले ही शुरू कर दिया है। अब रॉकेट उसी रास्ते पर है, जैसा हम चाहते थे। 36 में से 16 सैटलाइट उन कक्षाओं में स्थापित हो गये, जहां हम उन्हें डालना चाहते थे।’ इसरो चीफ ने आगे कहा- ‘बाकी के अन्य 20 सैटलाइट भी अलग होंगे परंतु यहां से हम उनको देख नहीं सकते। लेकिन हां इसका डेटा अवश्य मिल जायेगा। यह लॉन्चिंग ऐतिहासिक रही, क्योंकि LVM3 का यह दूसरा ऑपरेशनल मिशन और पहला कॉमर्शियल लॉन्च है।’
परंतु यह मिशन यही समाप्त नहीं होने वाला। अगले साल की पहली छिमाही में LVM3 द्वारा 36 वनवेब उपग्रहों का एक अन्य सेट फिर लॉन्च होगा। दरअसल वनवेब के साथ इसरो ने दो लॉन्चिंग को लेकर एक डील की है, जिसके अनुसार ही 23 अक्टूबर को हुई लॉन्चिंग के बाद एक और लॉन्चिंग होनी है और अगले वर्ष जनवरी में इसकी संभावना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा इसरो के इस ऐतिहासिक मिशन की सफलता पर उसे शुभकामनाएं दी गयी है। पीएम मोदी ने कहा– “NSIL, IN-स्पेस, ISRO को हमारे सबसे भारी प्रक्षेपण यान LVM3 के सफल प्रक्षेपण के लिए बधाई, जिसमें वैश्विक कनेक्टिविटी के लिए 36 ब्रॉडबैंड सैटेलाइट्स हैं। LVM3 आत्मनिर्भरता का उदाहरण है और वैश्विक वाणिज्यिक लॉन्च सेवा बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को बढ़ाता है।”
बता दें कि LVM3-M2 रॉकेट 43.5 मीटर लंबा और 644 टन वजनी है। देखा जाये तो इसकी क्षमता 8 हजार किलो वजन ले जाने की है। इसरो के अनुसार इस मिशन में वनवेब के 5,796 किलोग्राम वजन के 36 उपग्रहों के साथ अंतरिक्ष में जाने वाला यह पहला भारतीय रॉकेट बन गया है। देखा जाये तो इस रॉकेट का रिकॉर्ड काफी शानदार रहा है। इसकी सहायता से अब तक चार लॉन्चिंग हुई हैं और सारी की सारी ही सफल रही है और यह इसकी पांचवीं लॉन्चिंग है। इससे पूर्व रॉकेट से चंद्रयान-2, 2018 में GSAT-2, 2017 में GSAT-1 और 2014 में क्रू मॉड्यूल एटमॉस्फियरिक री-एंट्री एक्सपेरीमेंट (CARE) लेकर जाये गये है। देखा जाये तो यह सभी मिशन भारत सरकार से जुड़े हुए थे, परंतु यह पहला अवसर था जब किसी निजी कंपनी की सैटेलाइट्स को इस रॉकेट से लेकर जाया गया।
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ISRO की सफलता
बात इसरो की करें तो अपने सफल अभियानों के कारण यह दुनिया की सबसे कामयाब स्पेस एजेंसी की सूची में शामिल है। वर्ष 1969 में इसरो की स्थापना हुई थी। यदि हम कुछ रिकॉर्ड्स पर नजर डालेंगे तो देखेंगे कि 7 अगस्त 2022 तक इसरो ने कुल 84 स्पेस मिशन लॉन्च किये हैं। इनमें से 67 मिशन सफल रहे, तो वहीं पांच में आंशिक सफलता इसरो को मिली। केवल दस ही मिशन ऐसे रहे, जिसमें इसरो को असफलता का सामना करना पड़ा। अपने मिशन के अतिरिक्त करीब 100 से अधिक विदेशी स्पेस मिशंस में भी वह शामिल रहा। कुछ मिशनों की असफलता के बावजूद ISRO को विश्व के सबसे शानदार अंतरिक्ष संगठन के तौर पर देखा जाता है।
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