पानीपत का पहला युद्ध : परिणाम एवं युद्ध के कारण
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे की पानीपत का पहला युद्ध के बारे में साथ ही इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.
पानीपत का पहला युद्ध 1526 ईस्वी में दिल्ली सल्तनत के अंतिम शासक इब्राहिम लोदी व मुगल वंश के संस्थापक बाबर के बीच हुआ था। इस युद्ध में बाबर की विजय हुई थी और इब्राहिम लोदी पराजित हुआ था। इसके साथ भारत में दिल्ली सल्तनत की समाप्ति और मुगल वंश की स्थापना हुई थी।
युद्ध –
पानीपत का प्रथम युद्ध (अप्रैल 1526) पानीपत के निकट लड़ा गया था। पानीपत वह स्थान है जहाँ बारहवीं शताब्दी के बाद से उत्तर भारत पर नियंत्रण को लेकर कई निर्णायक लड़ाइयाँ लड़ी गईं।पानीपत के प्रथम युद्ध ने ही भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी। यह उन पहली लड़ाइयों में से एक थी जिसमें मुगलों ने बारूद, आग्नेयास्त्रों और तोपों का प्रयोग किया।पानीपत का प्रथम युद्ध ज़हीर-उद्दीन बाबर और दिल्ली के लोदी वंश के सुल्तान इब्राहिम लोदी के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध में ज़हीर-उद्दीन बाबर ने लोदी को परास्त किया था।
पानीपत के प्रथम युद्ध के कारण
- इब्राहिम लोदी अपने सरदारों पर विश्वास नहीं रखता था। इसी कारण धीरे-धीरे उसके सरदारों का भी इब्राहिम लोदी के प्रति विश्वास डिगने लगा और क्रमिक रूप से उसके सरदार उसके शासन से नाखुश होते चले गए।
- उत्तराधिकार के निर्धारण के दौरान इब्राहिम लोदी को अपने राज्य का एक हिस्सा अपने भाई जलालखाँ को देना पड़ा और जलालखाँ को जौनपुर का शासक नियुक्त करना पड़ा, लेकिन कुछ समय पश्चात् उसने अपने इस निर्णय को पलट दिया।
- मेवाड़ के समकालीन शासक राणा संग्राम सिंह (राणा सांगा) के साथ वह युद्ध में लंबे समय तक उलझा रहा और अंततः पराजित भी हुआ। इससे उसकी सैन्य शक्ति कमजोर हुई।
- पंजाब के सूबेदार दौलत खाँ लोदी और इब्राहिम लोदी का चाचा आलम खाँ लोदी ने बाबर को भारत पर आक्रमण का निमंत्रण दिया।
बाबर की रणनीति –
- अस्र-शस्र ही नहीं बल्कि बाबर की तुलुगमा और अरबा की रणनीति ने भी उसे जीत के लिये प्रेरित किया।
- तुलुगमा युद्ध नीति: इसका मतलब था पूरी सेना को विभिन्न इकाइयों- बाएँ, दाहिने और मध्य में विभाजित करना।
- बाएँ और दाहिने भाग को आगे तथा अन्य टुकड़ियों को पीछे के भाग में विभाजित करना।
- इसमें दुश्मन को चारों तरफ से घेरने के लिये एक छोटी सेना का उपयोग किया जा सकता था।
- अरबा युद्ध नीति: केंद्रीय फ़ॉरवर्ड डिवीज़न को तब बैलगाड़ियाँ (अरबा) प्रदान की जाती थीं जिन्हें दुश्मन का सामना करने वाली पंक्ति में रखा जाता था और ये जानवरों की चमड़ी से बनी रस्सियों से एक-दूसरे से बंधे होते थे।
पानीपत के पहले युद्ध से संबंधित प्रमुख बिंदु –
- बाबर का भारत पर पाँचवाँ आक्रमण था। पंजाब के सूबेदार दौलत खाँ लोदी ने आत्मसमर्पण कर दिया और आलम खाँ लोदी ने भी बाबर की अधीनता स्वीकार कर ली और अब बाबर दिल्ली की तरफ बढ़ा।
- बाबर का मुकाबला करने के लिए इब्राहिम लोदी भी अपनी सेना के साथ पंजाब की ओर बढ़ा। इसी कड़ी में दोनों पक्षों की सेनाएँ पानीपत के मैदान में आमने-सामने हो गईं।
पानीपत प्रथम युद्ध के परिणाम –
- काबुलिस्तान के तिमुरिद शासक बाबर के मुगल सेना ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी की विशाल सेना को पराजित किया ।
- इस जीत ने बाबर को भारतीय मुगल साम्राज्य की नींव रखने में सक्षम बनाया।
- इब्राहिम लोदी की मृत्यु युद्ध के मैदान में ही हो गई थी और सामंतों तथा सेनापतियों (वे सिपाही जो दूसरे मुल्क में लड़ाई के लिये रखे जाते थे) ने लोदी को वहीं छोड़ दिया।
- उनमें से अधिकांश ने दिल्ली के नए शासक के आधिपत्य को स्वीकार कर लिया।
पानीपत के पहले युद्ध में बाबर की विजय के कारण
बाबर की युद्ध नीति विशिष्ट थी। इसे ‘तुलुगमा युद्ध पद्धति’ कहा जाता है। इस युद्ध पद्धति के अंतर्गत सेना के दाएँ और बाएँ छोर पर कुछ सैन्य टुकड़ियाँ खड़ी रहती थीं, जो तेजी से आगे बढ़ने और पीछे हटने में सक्षम होती थीं। दोनों छोरों पर खड़ी ये सैन्य टुकड़ियाँ शत्रु सेना को अचानक पीछे से घेर लेती थीं और उस पर हमला करती थीं।
बाबर ने तोपों को सजाने की ‘उस्मानी विधि’ का भी प्रयोग किया था। उस्मानी विधि को ‘रूमी विधि’ भी कहा जाता है। बाबर की सेना में उस्ताद अली और मुस्तफा नामक दो उस्मानी तोपची भी मौजूद थे।
बाबर का अधिकार –
पानीपत के युद्ध ने भारत के भाग्य का ही नहीं, वरन् लोदी वंश के भाग्य का भी निर्णय कर दिया। अफ़ग़ानों की शक्ति समाप्त नहीं हुई, लेकिन दुर्बल अवश्य हो गयी। युद्ध के पश्चात् दिल्ली तथा आगरा पर ही नहीं, बल्कि धीरे-धीरे लोदी साम्राज्य के समस्त भागों पर बाबर ने अधिकार कर लिया।
सैन्य बल
- बाबर की सेना में लगभग 15,000 सैनिक और 20 से 24 तोपें सम्मिलित थी।
- इब्राहिम लोदी की सेना में लगभग 30,000 से 40,000 सैनिक और कम-से-कम 1000 हाथी थे।
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