मुक्त व्यापार समझौता (FTA) दो या दो से अधिक देशों के बीच आयात और निर्यात में बाधाओं को कम करने हेतु किया गया एक समझौता होता है। भारत और ब्रिटेन भी एफटीए समझौते पर हस्ताक्षर करने की दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ा रहे थे। पहले संभावनाएं थी कि इस वर्ष दिवाली तक दोनों देशों के बीच एफटीए पर हस्ताक्षर करेंगे, परंतु अब अचानक ही इसमें समस्याएं आती हुई दिखने लगी है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत और ब्रिटेन के बीच रिश्तों में दरार पड़ने लगी है, जिसका असर एफटीए पर भी पड़ सकता है और यह सबकुछ ब्रिटेन की गृह मंत्री द्वारा भारतीयों को लेकर की गयी एक विवादित टिप्पणी के कारण हो रहा है।
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गृह मंत्री ने दिया भारतीयों को लेकर दिया बयान
भारतीय मूल की ब्रिटिश गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने भारतीयों को लेकर बीते दिनों एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी संख्या में भारतीय वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी ब्रिटेन में रुके रहते हैं, जिससे ब्रिटेन में भारतीयों की भीड़ बढ़ जाती है। उन्होंने यह बयान भारत और ब्रिटेन के बीत होने वाले मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर ही दिया था। गृह मंत्री ने कहा था कि उन्हें डर है कि भारत के साथ व्यापार समझौते से ब्रिटेन में आने वाले भारतीयों की संख्या बढ़ सकती है। केवल इतना ही नहीं वह तो अंग्रेजों के गुलामी काल का गुणगान तक करती हैं। यहां गौर करने वाली बड़ी बात यह है कि सुएला ब्रेवरमैन भारतीय मूल की हैं। वह भारत के गोवा की रहने वाली हैं।
भारतीय होने के बाद भी जब सुएला ब्रेवरमैन ने इस तरह की बात कही, तो उनके बयान पर विवाद खड़ा हो गया। भारत की तरफ से इस टिप्पणी पर आपत्ति जतायीं गयी। भारत ने जवाब देते हुए कहा कि भविष्य में कोई भी डील दोनों तरफ के लाभ को देखकर ही की जाएगी। साथ ही अब खबरें यह आ रही हैं कि सुएला ब्रेवरमैन के बयान से भारत इस कदर नाराज हो गया है कि इसकी असर दोनों देशों के बीच होने वाले एफटीए तक पर पड़ने संभावनाएं हैं।
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नाराज भारत उठाएगा बड़ा कदम?
ब्रिटेन की एक मीडिया रिपोर्ट की मानें तो गृह मंत्री सुएल ब्रेवरमैन द्वारा वीजा पर दिए गए बयान से भारत सरकार के नाराज होने के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए कथित तौर पर टूटने की कगार पर पहुंच गया है। ‘द टाइम्स’ अखबार ने सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा कि भारत ब्रेवरमैन द्वारा की गई ‘अपमानजनक’ टिप्पणी से ‘हैरान और निराश’ है। ब्रिटेन के अधिकारियों के अनुसार सुएला के बयान के बाद भारत सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों में काफी गुस्सा है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार के सूत्रों ने कहा कि इससे भारत और ब्रिटेन के बीच रिश्ते एक कदम पीछे चले गए हैं। हालांकि ब्रिटेन को लेकर भारत अभी भी सकारात्मक है, परंतु अगर इस तरह के लोग ब्रिटेन की सरकार में बने रहते हैं, तो इससे बातचीत बीच में अटकने की संभावना है। भारत की तरफ से कहा गया है कि ब्रिटेन चाहता है कि डील में किसी प्रकार की बाधा न आए तो प्रधानमंत्री ट्रस को गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन के बयान से स्वयं को अलग कर लेना चाहिए।
जॉनसन की राह पर लिज ट्रस
देखा जाए तो ब्रिटेन की हालत इस वक्त काफी खराब है। बॉरिस जॉनसन ने पहले ही ब्रिटेन की बर्बाद करके रख दिया है। अर्थव्यवस्था के मामले में ब्रिटेन भारत से भी पिछड़ गया है। भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। बॉरिस जॉनसन के बाद अब लिज ट्रस ब्रिटेन की नयी प्रधानमंत्री बनी हैं। परंतु लिज ट्रस भी बॉरिस जॉनसन का अगला संस्करण ही बनती नजर आ रही हैं। ब्रिटेन की जनता इस वक्त रोजगार संकट और महंगाई जैसी कई समस्याओं से जूझ रही हैं। जॉनसन भी इन्हीं समस्याओं को कम करने के लिए सत्ता में आये थे, परंतु वह इसमें बुरी तरह से असफल साबित हुये। अब ऐसा ही कुछ लिज ट्रस के साथ भी है। लिज ट्रस ने ब्रिटेन की जनता से ऐसे कई वादे किए है, जो वास्तविकता से कोसों दूर लगते है।
ब्रिटेन की गृह मंत्री ने भारतीयों को लेकर विवादित टिप्पणी कर भारत से पंगा लेने का काम किया है, जो यकीनन उसी को भारी पड़ेगा और इससे हानि उसे ही होगी। क्योंकि वैश्विक मंदी की आहट के बीच ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस भारत के साथ व्यापार डील करके ब्रितानी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने की कोशिशों में जुटी हैं। ऐसे में किसी भी कारण से यह डील अटकती है, तो यह उनके लिए बड़ा झटका साबित होगा। भारत का कड़ा रुख ट्रस को रियायतों की पेशकश करने के लिए भी विवश कर सकता है। हालांकि ट्रस सरकार को अभी भी भारत के साथ समझौता पूरा होने की उम्मीदें है। इसको लेकर ट्रस के अधिकारिक प्रवक्ता मैक्स ब्लेन ने कहा कि सरकार अभी भी डील पूरी होने की उम्मीद कर रही है। उन्होंने कहा कि समझौते के बाद डील के बाद भारत के लिए ब्रिटेन सबसे बड़ा आयातक देश बनेगा। डील की मदद से 2030 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होने की उम्मीद है।
लिज ट्रस को ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बने अभी एक ही महीना हुआ है और वे अभी से अपने कार्यकाल के दौरान तमाम तरह की समस्याओं का सामना कर रही हैं। लिज ट्रस पहले ही ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को संभालने में कामयाब नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में यदि भारत और ब्रिटेन एफटीए में रुक जाता है, तो यह ब्रिटेन की प्रधानमंत्री की बड़ी नाकामी साबित होगी।
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