एक प्रश्न है- किसी व्यक्ति या किसी सरकार के द्वारा अपनी नाकामियों का ठीकरा किसी दूसरे पर फोड़ना क्या सही है? उत्तर होगा- नहीं। अब दूसरा प्रश्न करते हैं- एक बार की गयी गलती को दोहराना क्या सही है? फिर से वही उत्तर होगा- नहीं। तो फिर केरल पुलिस क्यों इन्हीं रास्तों पर चल रही है? आप सोच रहे होंगे कि यहां केरल पुलिस की चर्चा क्यों हो रही है भला? धैर्य रखिए, आपके सभी प्रश्नों का उत्तर इस लेख में मिलेगा। दरअसल, इसरो के साइंटिस्ट प्रवीण मौर्य (Praveen Maurya) ने ऐसा खुलासा किया है, जिससे तहलका मच गया है।
प्रवीण मौर्य और इसरो
अभी हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिक प्रवीण मौर्य ने ट्विटर पर अपने लिंक्डइन पोस्ट का एक लिंक शेयर किया है। इसमें उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 5 अगस्त 2022 को लिखे गए एक पत्र की प्रतिलिपि साझा की है। उन्होंने ये बात भी बताई कि उन्होंने गृह मंत्री और ISRO के अध्यक्ष को इस शिकायत की कॉपी भेजी है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि इस पूरे मामले की खुफिया रूप से जांच होनी चाहिए।
I was approached by spies to carry out #espionage. It was done in collusion with Kerala Police. Written multiple letters from Chairman #ISRO to Prime Minister but no action. Need an Intelligence inquiry. Kindly help. @PMOIndia @isro @narendramodi https://t.co/NZKesguK7p
— Praveen Maurya (@praveen_isro) November 9, 2022
इसरो (ISRO) और VSSC में काम कर रहे रॉकेट वैज्ञानिक प्रवीण मौर्य (Praveen Maurya) ने कुछ समय पहले यह आरोप लगाया था कि कुछ जासूस उन्हें भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की गोपनीय जानकारी उनके साथ साझा करने के लिए विवश कर रहे हैं। जब उन्होंने ऐसा करने से मना किया तो उन्हें धमकी दी गयी। साथ ही प्रवीण मौर्य ने ISRO और केरल पुलिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत की भी बात कही है।
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नंबी नारायणन और जासूसी केस
इस मामले के बारे में पढ़कर आपको ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन के जासूसी केस की याद नहीं आती है? प्रतीत होता है कि केरल पुलिस एक बार फिर से एक नये नंबी नारायणन का निर्माण करने की ओर अपने कदम बढ़ा रही है, वो भी बिना किसी भय और बिना किसी शर्म के। हालांकि हम ऐसा नहीं कह रहे हैं बल्कि स्थितियां इस ओर इशारा कर रही हैं।
प्रवीण मौर्य ने कहा कि जासूसी करने के लिए जासूसों ने मुझसे संपर्क किया था। उन्होंने मुझसे दुबई में कुछ लोगों के आदेश के मुताबिक काम करने के बदले अच्छी ख़ासी रकम देने की भी बात कही थी। जब मैंने इससे साफ इंकार किया और उन्हें फिर कभी मुझसे संपर्क न करने की बात बोली तो उन्होंने मुझे धमकी दी। इसके बाद उन्होंने मुझ पर झूठा पुलिस केस डाल दिया। अब उन्होंने मुझे इस केस को वापस लेने के बदले में उनके लिए काम करने की बात कही है। उनका ऐसा भी कहना है कि स्थानीय पुलिस और मेरे कार्यालय के कुछ लोग उनकी इस पूरी योजना को अंजाम देने में सहायता प्रदान कर रहे है।
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खुफिया जांच
इसरो साइंटिस्ट प्रवीण मौर्य (Praveen Maurya) ने आगे कहा कि मैं इस मामले की खुफिया जांच कराना चाहता हूं। मैंने इस संबंध में ISRO के अध्यक्ष, गृह मंत्री और प्रधान मंत्री को पत्र लिखा है। अंतरिक्ष विभाग मेरे पत्रों को बेतुके कारण के साथ निपटा रहा है, “यह एक कर्मचारी की शिकायत है।”
उनका कहना है कि अंतरिक्ष विभाग के द्वारा खुफिया जांच से इंकार करने के पीछे का असली कारण यह भी है कि ISRO के कुछ वरिष्ठ अधिकारी जासूसों को उनकी योजना को अंजाम तक पहुंचाने में उनका साथ दे रहे थे। ऐसे में अगर जांच होती है तो ISRO में मौजूद इन राष्ट्रविरोधी अधिकारियों का पूरा रैकेट खुफिया ब्यूरो की जांच के निशाने में आ जाएगा। इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि पुलिस विभाग के कुछ अधिकारी भी आईबी की जांच के दायरे में आ सकते हैं। उनको ये उम्मीद है कि प्रधानमंत्री इसके लिए खुफिया जांच को मंजूरी प्रदान करेंगे।
साल 1994 में नंबी नारायणन को पाकिस्तान को भारत के संवेदनशील स्पेस तकनीक के विषय में मालदीव के अफसरों के माध्यम से जानकारी बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जिसके चलते उन्हें 50 दिनों तक इन आरोपों के अंतर्गत जेल में ही रखा गया, इस दौरान उन्हें खूब मानसिक और शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किया गया था। लेकिन जब सीबीआई को इस मामले की जांच पड़ताल की बागडोर सौंपी गई, तो उसके खुलासे से देशभर में खलबली मच गई। नंबी नारायणन और डी शशिकुमारन के विरुद्ध आरोप न केवल झूठे और बेबुनियाद साबित हुए।
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केरल सरकार को लताड़
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को लताड़ लगाते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। इसके साथ ही उन्हें फंसाने के मामले में केरल के पुलिस अफसरों की भूमिका को लेकर न्यायिक कमेटी का गठन किया गया था और नंबी नारायणन को केरल की वर्तमान सरकार से 1.3 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा मिला।
वहीं वर्तमान केंद्र सरकार ने नंबी नारायणन को उनका खोया हुआ गौरव लौटाते हुए 2019 में पद्मभूषण से पुरस्कृत भी किया। वैज्ञानिक नंबी नारायणन को कांग्रेस पार्टी के उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा था। नंबी नारायणन के सघर्षों को बड़े पर्दे पर फिल्म ‘रॉकेट्री- द नंबी इफेक्ट’ के द्वारा दर्शाया गया है जिसमें उनकी भूमिका में आर माधवन दिखाए गए हैं।
मौर्य ने केरल पुलिस के विरुद्ध बहुत गंभीर आरोप लगाए हैं, उनका कहना है कि केरल पुलिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी इसमें शामिल हैं। प्रवीण मौर्य (इसरो) ने अपने दावे में कहा है कि केरल पुलिस पूरे रैकेट में सक्रिय रूप से मिली हुई थी। उन्हें केरल छोड़ने और उत्तर प्रदेश के अपने पैतृक शहर लौटने के लिए भी बात कहा गया। इसी के साथ यहां पर एक बड़ा प्रश्न केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन पर भी उठता है कि वो इस पूरे मामले पर अपनी कोई टिप्पणी क्यों नहीं दे रहे हैं। क्यों उनके शासन में फिर से एक व्यक्ति को नंबी नारायणन बनने पर मजबूर किया जा रहा है।
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