यह सर्वविदित है कि भारत में बहुदलीय व्यवस्था है और राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और भाजपा लंबे समय से सत्ता संभालती आ रही हैं। परन्तु देश की राजनीति में आम आदमी पार्टी के बढ़ते वर्चस्व को नकारा नहीं जा सकता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार तीन बार जीत हासिल कर सरकार बनाना, गुजरात में खाता खोलना, गोवा में खाता खोलना, पंजाब में सरकार बनाना या फिर दिल्ली एमसीडी में जीत हासिल करना, यह बता रहा है कि देश में भाजपा, कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी अपनी पकड़ मजबूत करती जा रही है। बुजुर्गों ने भी कहा है कि कभी भी अपने प्रतिद्वंद्वी को कमजोर नहीं समझना चाहिए वरना वह कब धीरे-धीरे भीतरघात करके आपको पराजित कर देगा, आप इस बात का अनुमान भी नहीं लगा पाएंगे।
दरअसल, हम बात कर रहे हैं भाजपा द्वारा आम आदमी पार्टी को नई पार्टी या यूं कहें कि छोटी पार्टी समझकर भूल करने की। असल में भाजपा इस समय देश की सबसे बड़ी पार्टी है और उसकी मुख्य विपक्षी पार्टी है कांग्रेस, परन्तु यह धुरी अब बदल रही है। आप एक तीसरे विकल्प के रूप में उभरकर सामने आ रही है, जिसे भाजपा छोटी और अभी हाल की बनी पार्टी समझकर नकार रही है। लेकिन अगर भाजपा ने अपनी प्रवृत्ति (AAP को कुछ न समझने की प्रवृत्ति) का त्याग नहीं किया तो आने वाले समय में यह भाजपा के सामने ही सीना ठोककर खड़ी हो सकती है।
इस लेख में हम यहां बिंदुवार तरीके से चर्चा करते हुए जानेंगे कि हाल के वर्षों में बनी आम आदमी पार्टी, भाजपा के सामने किस प्रकार एक नई विपक्षी पार्टी के रूप में उभर कर आ रही है और भाजपा को क्यों अब इस विषय पर संवेदनशीलता के साथ सोचने की आवश्यकता है।
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चुनावों में आम आदमी पार्टी को मिले वोट प्रतिशत
आम आदमी पार्टी के बारे में बात की जाए तो यह वर्ष 2011 में अन्ना आंदोलन से निकली हुई पार्टी है, जिसने 2014 में पहली बार दिल्ली के चुनाव में हिस्सा लिया और कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनाई। परन्तु 49 दिनों के भीतर गठबंधन टूट गया और दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। वर्ष 2015 में जब दोबारा चुनाव हुए तो आम आदमी पार्टी को 70 विधानसभा सीटों में से 67 विधानसभा सीटों पर जीत मिली और AAP दिल्ली की एक बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई।
हालांकि, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव और दिल्ली विधानसभा के बाद भी यह दिल्ली तक ही सीमित रही परन्तु धीरे-धीरे विकास करने के प्रयास में लगी रही और वर्ष 2022 के पंजाब चुनाव में 92 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार बनाकर दिल्ली की नहीं बल्कि देश की एक उभरती हुई पार्टी के रूप में सामने आई। यही नहीं, अभी हाल में हुए गुजरात चुनाव में मिले 13 प्रतिशत वोट और पांच विधानसभा सीटों पर उसकी जीत से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में यह पूर्ण रूप से कांग्रेस को निगलते हुए देश की मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर भाजपा को टक्कर दे सकती है।
भाजपा को किन बिंदुओं पर देना होगा ध्यान
भाजपा की बात करें तो यह देश की सबसे बड़ी पार्टी है परन्तु कोई भी पार्टी सदा ही बड़ी नहीं रहती है। इसलिए भाजपा को आम आदमी पार्टी को हल्के में लेना छोड़ देना चाहिए और चुनाव में कांग्रेस के साथ-साथ अब AAP को भी घेरने पर ध्यान देना चाहिए। ज्ञात हो कि इतना सबकुछ होने के बाद भी भाजपा के बड़े नेता आम आदमी पार्टी के बारे में कुछ भी बोलने से बचते हैं या यूं कहें कि उन्हें भाव न देने की बात करते हैं लेकिन यह भी सत्य है कि जनता उसे भाव दे रही है। और अगर भाजपा और भाजपा के नेता अभी भी कांग्रेस और कांग्रेस के चश्मोचिराग में उलझे रहे तो मामला बिगड़ सकता है।
इसके अलावा आम आदमी पार्टी के हिस्से में कांग्रेस का वोटबैंक ट्रांसफर होता दिख रहा है। खालिस्तानियों के साथ-साथ इन्हें मुस्लिमों का भी पूरा समर्थन मिल रहा है! साथ ही यह पार्टी भाजपा को ब्राह्मण और वणिक समाज के लोगों की पार्टी बताकर उसका घेराव भी करती है। आप के नेता आये दिन भाजपा के केंद्रीय नेताओं पर टिप्पणी करते दिख जाते हैं लेकिन भाजपा का ध्यान अभी भी कांग्रेस पर ही केंद्रित है। ऐसे में अब समय आ चुका है कि भाजपा को खुलकर आम आदमी पार्टी को निशाने पर लेना चाहिए और उससे निपटने के लिए रणनीति बनानी चाहिए।
भीरतघात करेगी आम आदमी पार्टी
अगर हम आम आदमी पार्टी की विस्तार नीति पर अगर गौर करे तो हमें समान्य तौर पर एक बात देखने को मिलती है कि AAP बड़े राज्यों को टारगेट न कर, छोटे राज्यों में अपना विस्तार कर रही है। ऐसे में आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में हो सकता है कि आम आदमी पार्टी भाजपा को छोटे राज्यों और जहां उसके उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है, वहां नुकसान पहुंचा सकती है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी एक ही व्यक्ति की सोच से चलने वाली पार्टी बन कर रही है, जिसमें नाम मात्र की लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं हैं। ऐसे में अगर आप देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बनती है तो देश का बेड़ागर्क होना तय है। यदि इस विषय पर संक्षेप में कहा जाए तो आम आदमी पार्टी एक ऐसी पार्टी है, जो देश में बड़ी तेजी से उभरकर सामने आ रही है और भाजपा को टक्कर दे रही है। इसलिए भाजपा को अब इसे छोटी और हल्की न समझकर एक प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखना चाहिए और पार्टी की रणनीतियों में बदलाव करना चाहिए।
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