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चीन के Apple सप्लायर्स को मंजूरी देना क्या भारत के लिए खतरनाक कदम नहीं?

भारत सरकार का यह कदम आर्थिक लिहाज से भारत के लिए अच्छा कदम साबित हो सकता है, परंतु राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर गंभीर खतरा बन सकता है।

Yogesh Sharma द्वारा Yogesh Sharma
21 January 2023
in अर्थव्यवस्था
giving clearence to 14 Chinese suppliers of Apple might not be a good step for India

Source- TFI

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भारत आईफोन निर्माण: चीन एक ऐसा देश है, जिस पर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता। महाशक्ति बनने का सपना देखने वाला चीन तमाम देशों के विरुद्ध बड़ी ही चालाकी से षड्यंत्र रचता है। भारत के विरुद्ध भी चीन कई तरह की चालें चलता रहता है। वो आए दिन चीन एलएसी पर भारत को परेशान करने के प्रयास करता रहता है। पिछले कुछ वर्षों में भारत और चीन के बीच संबंध किस तरह से बिगड़े हैं, वो सभी जानते होंगे। एलएसी पर वर्ष 2020 से ही दोनों देशों के बीच काफी तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।

और पढ़ें: भारतीय बाजार में चीन के अब गिने-चुने दिन बचे हैं?

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भारत में आईफोन का निर्माण

इन सबके बीच भारत के लोगों में चीन के प्रति आक्रोश भी काफी बढ़ गया है। आज भारतीय बाजार से चीनी सामान को बाहर फेंकने के अभियान में लोग जुटे हुए हैं। चीनी सामान का देश में जोर-शोर से बहिष्कार किया जाता है और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों को बढ़ावा देने के प्रयास जारी हैं।

भारत आज चाहता है कि हर छोटी-बड़ी चीज का निर्माण हमारे देश में ही हों, जिसके दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता कम से कम हों। परंतु इन सबके बीच चालाक चीन के प्रति नरमी दिखाना खतरनाक नहीं है? भारत में चीन की कंपनियों को व्यापार करने की मंजूरी देना क्या सही कदम समझा जा सकता है? प्रश्न ये है कि क्या चीन कि कंपनियों पर विश्वास किया जा सकता है? अब आप ये सोच रहे होंगे कि आखिर अचानक हम चीन की कंपनियों को लेकर ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं?

आप जानते ही होंगे कि भारत आज के समय में तेजी से आईफोन मैन्युफैक्चरिंग का प्रमुख हब बनने का प्रयास कर रहा है। भारत में आईफोन निर्माण को बढ़ावा देने की काफी कोशिश की जा रही है। इस बीच भारत सरकार ने ऐसा कदम उठाया है, जिसको लेकर प्रश्न उठ रहे हैं। सरकार के इस कदम को भारतीय बाजार के लिए तो अच्छा माना जा सकता है, परंतु देश की सुरक्षा के लिए यह खतरनाक भी हो सकता है।

और पढ़ें: “भारत से आईफोन का निर्यात दोगुना हुआ”, आईफोन मैन्युफैक्चरिंग में कैसे आगे बढ़ रहा है भारत

14 चीनी सप्लायर्स को सरकार की मंजूरी

पूरा मामला कुछ ऐसा है कि हाल ही में आयी एक खबर के अनुसार चीन के 14 एप्पल सप्लायर्स को भारत सरकार ने प्रारंभिक मंजूरी दे दी है। रिपोर्ट के अनुसार सीसीपी से सीधे संबंध के कारण नई दिल्ली ने कुछ कंपनियों को ठुकरा दिया है। दरअसल, चीन में आर्थिक चुनौतियों के बीच अब दुनियाभर की कंपनियां चीन छोड़ अन्य देशों में अपने मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने पर काम कर रही है, जोकि भारत के लिए एक अच्छे अवसर के रूप में देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि इससे भारत के लिए आर्थिक स्थिति और बेहतर हो सकती है। वैसे तो  भारत में पहले ही एप्पल अपने कई फोन्स की मैन्युफैक्चरिंग करता है लेकिन अब इसे और बढ़ाने की तैयारी हो रही है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक लक्सशेयर प्रिसिजन और लेंसमेकर सनी ऑप्टिकल टेक्नोलॉजी की एक यूनिट उन कंपनियों की लिस्ट में शामिल है जिन्हें भारत की ओर से मंजूरी मिली है।

दरअसल, वर्तमान समय में भारत आईफोन के निर्माण के एक बड़े केंद्र के रूप में उभरता हुआ दिखाई दे रहा है। आज न केवल भारत में आईफोन बन रहे हैं बल्कि दुनियाभर में भारत से इनका निर्यात (iPhone Export India) भी किया जा रहा हैं। भारत में स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग को लेकर ताइवान के DigiTimes अखबार की रिसर्च यूनिट के एक एनालिस्ट ल्यूक लिन ने पूर्वानुमान जताया है कि वर्ष 2027 तक भारत दुनिया के हर दो में से एक iPhone का उत्पादन कर सकता है। वर्तमान समय में यह आंकड़ा प्रतिशत 5 से कम है।

और पढ़ें: “लाल बादशाह! स्वागत नहीं करोगे हमारा”, इंडो-पेसिफिक में भारत भव्य प्रवेश करने जा रहा है

क्या यह एक सुरक्षित कदम हैं? 

लेकिन इन सबके बीच अब सवाल ये उठता है कि भारत और चीन के बीच चल रहे तनावों के बावजूद इन कंपनियों को देश में कारोबार के विस्तार की मंजूरी देना क्या एक सुरक्षित कदम है? क्योंकि हमारे सामने ऐसे मामले आ चुके हैं जिनमें चीन की कंपनियों के द्वारा करोड़ों का घोटाला किया गया। कई चीनी कंपनियों पर भारतीयों का डेटा लीक करने के आरोप लग चुके हैं। देखा जाये तो चीनी कंपनियों का डेटा उल्लंघन का इतिहास रहा है, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है। पिछले कुछ वर्षों में भारत सरकार ने कई चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया है।

कई चीनी कंपनियां अपना डेटा चीन के साथ साझा करती हैं और इसके लिए भारत सरकार द्वारा कई कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई तक की जा चुकी है। केवल इतना ही नहीं Vivo, Oppo जैसी कई बड़ी कंपनियां भारत में कारोबार करके चोरी से चीन को पैसा भी भेजती आयीं हैं। इन कंपनियों पर टैक्स चोरी समेत कई आरोप लग चुके हैं, जिसके कारण भारत में ये कंपनियां जांच के घेरे में बनी हुई हैं। जिन कंपनियों को अब सरकार भारत में काम करने की मंजूरी दे रही हैं, भले ही वो चीनी सप्लायर्स ही हों। परंतु क्या पूर्ण रूप से इन पर भरोसा किया जा सकता है? क्योंकि यह व्यापार तो चीन में ही करके आ रही हैं। इन सब बातों को दरकिनार करते हुए चीनी कंपनियों को मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के नाम पर भारत में आने देना, न केवल देश को झटका देता है, बल्कि मोदी सरकार पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

और पढ़ें: “भारत ने बालाकोट और उरी स्ट्राइक से दिखा दिया कि…” जयशंकर ने गलवान से लेकर अखंड भारत तक क्यों बोला?

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