कुछ देश पहले दूसरे देशों से मित्रता करते हैं फिर उसको दीमक की भांति चाटकर उसको खोखला कर देते हैं। इस समय दीमक के स्थान पर चीन को आप रख सकते हैं क्योंकि उसने श्रीलंका और पाकिस्तान के साथ क्या-क्या किया है यह किसी से छिपा नहीं है। आज के समय में पाकिस्तान तो उसका प्रिय मित्र भी है। लेकिन अब चीन नेपाल के साथ भी अपनी मित्रता को प्रगाढ़ करने में लगा है और उसकी ऐसी प्रगाढ़ मित्रता का फल नेपाल (Nepal in FATF) को भी अब मिलने लगा है।
भारत के पूर्वी मोर्चे पर एक और पाकिस्तान उभर रहा है और वो कोई और नहीं नेपाल ही है। कैसे? इसे समझने के लिए हमें कुछ बिंदुओं पर ध्यान देना होगा।
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ग्रे लिस्ट में जाने का खतरा
भारत के पड़ोसी Nepal पर अब फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF Grey List) की ग्रे लिस्ट में जाने का खतरा मंडरा रहा है। ताजा आकलन के अनुसार, नेपाल मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों को धन देने से सम्बंधित गतिविधियों को रोकने में सफलता हासिल नहीं कर पाया है। FATF की तर्ज पर कार्य करने वाले संगठन एशिया पैसिफिक ग्रुप ऑन मनी लॉन्ड्रिंग (एपीजी) की एक टीम के द्वारा अभी हाल में नेपाल का दौरा किया गया था। टीम के द्वारा इस बात का पता लगाया गया था कि क्या नेपाल FATF की कसौटियों पर खरा उतर रहा है या नहीं।
एपीजी के अधिकारियों ने बताया है कि वह 16 दिसंबर तक नेपाल में हुई प्रगति को अपनी रिपोर्ट में सम्मिलित करेंगे और अब तक के आकलन के आधार पर एपीजी के अधिकारी इस निष्कर्ष पर आए है कि मौजूदा स्थिति को मद्देनज़र रखते हुए FATF नेपाल (Nepal in FATF) को काली सूची में डाले या नहीं लेकिन कम से कम ग्रे लिस्ट में तो जरूर डाल सकता हैं। ध्यान देना होगा कि नेपाल में ऐसे 15 कानूनों की पहचान हुई है कि जिन्हें एफएटीएफ की कसौटियों के तहत रखने के लिए संशोधित करने की जरूरत है।
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पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में जा चुका है
साल 2008 से साल 2014 की अवधि के बीच नेपाल को ग्रे लिस्ट में डाला गया था लेकिन उस दौरान नेपाल ने मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए थे। इसमें साल 2008 में पारित किया गया एंटी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट भी शामिल था। इसके विरुद्ध उठाए गए कदमों से संतुष्ट होने के बाद FATF ने साल 2014 में नेपाल (Nepal in FATF) को ग्रे लिस्ट से हटा दिया था।
ध्यान देना होगा कि FATF एक अंतर-सरकारी संस्था है जिसकी स्थापना G7 देशों की पहल पर दुनियाभर में मनी लान्ड्रिंग, आतंकी वित्तपोषण से निपटने हेतु और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को ठीक ढंग से मजबूत करने के लिए की गई थी। पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में जा चुका है। साल 2021 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, FATF के द्वारा पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने के कारण उसकी जीडीपी में 38 बिलियन अमेरिकी डॉलर के नुकसान की आशंका जताई गयी थी।
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चीन और नेपाल का गठजोड़
अब आते हैं चीन और नेपाल के गठजोड़ पर तो अभी हाल ही में चीन की सहायता से नेपाल में एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन किया गया है। वो दिन दूर नहीं है जब चीन अपने निवेश और निर्माणों के माध्यम से नेपाल को पूरी तरह से अपने नियंत्रण में ले लेगा। नेपाल की आर्थिक स्थिति वैसे ही अच्छी नहीं है और दूसरी तरफ चीन भी उसे खोखला करने के लिए तैयार बैठा है। कब नेपाल पाकिस्तान की स्थिति में पहुंच जाए, कहा नहीं जा सकता है। दूसरी ओर चीन के साथ नेपाल की मित्रता जितनी अधिक गहराती जाएगी, भारत पर उतना अधिक खतरा भी बढ़ता जाएगा। वैसे ही जैसे चीन और पाकिस्तान की गहरी दोस्ती है।
चीन कभी भी ऐसा नहीं चाहेगा कि विश्व पटल पर अपनी एक अलग छाप छोड़ रहा भारत और भी अधिक ऊपर उठे। नेपाल के साथ चीन की दोस्ती से भारत में आतंकियों के घुसने का भी डर है। वो ऐसे कि पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकी अब पाकिस्तान से होकर चीन, चीन से नेपाल और नेपाल के रास्ते भारत का रुख कर सकते हैं। इस तरह नेपाल पाकिस्तान के आतंकियों का मुख्य रास्ता बन सकता है। ऐसी स्थिति में भारत को तो और सतर्क होना ही होगा।
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नेपाली सरकार का चीन की तरफ झुकाव
नेपाल में स्थिति ऐसी है कि एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा। पाकिस्तान, चीन और नेपाल की परिस्थितियों के इतर नेपाल में पुष्प कमल दहल प्रचंड की सरकार है। पुष्प कमल दहल ”प्रचंड” माओवादी विचारधारा रखते हैं और माओवादी विचारधारा किसी देश के लिए कितना घातक हो सकता है यह किसी से छिपा नहीं है। इतना ही नहीं राजनीति में कदम रखने से पहले प्रचंड नेपाल में एक सशस्त्र माओवादी विद्रोह का हिस्सा भी रह चुके हैं। ऐसी स्थिति में नेपाल के भीतर से भी खोखला हो रहा है। वहीं प्रचंड के व्यक्तित्व को देखने के बाद ये बात पूर्ण रूप से स्पष्ट हो जाती है कि उनका झुकाव चीन की ओर अधिक है।
परिस्थितयां बताती रही हैं कि चीन की ओर झुकाव रखने का परिणाम नेपाल को दूसरा पाकिस्तान बनकर भुगतना होगा। वहीं ग्रे लिस्ट (Nepal in FATF) में जाने का संकट और देश के अंदर माओवादी विचारधारा रखने वाले नेता की सरकार भी है जो नेपाल को भीतर से पूरी तरह से खोखला करने को तैयार बैठी है। ऐसे में यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि नेपाल दूसरा पाकिस्तान बन रहा है ऐसे पाकिस्तान से भारत को और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
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