TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    “सैलून का मायाजाल” हिमाचल के लिए खतरे की घंटी

    “सैलून का मायाजाल” हिमाचल के लिए खतरे की घंटी

    कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर मासूमियत पर बरसा लाल आतंक

    कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

    अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य

    “डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य”

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 22 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 21 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    ऑपरेशन पोलो के बाद सरदार पटेल का झुक कर अभिवादन करते हैदराबाद के निजाम

    हैदराबाद का भारत में पूर्ण विलय: जब पटेल ने कहा- नेहरू अपने आप को समझते क्या हैं? आज़ादी की लड़ाई दूसरे लोगों ने भी लड़ी है

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    “सैलून का मायाजाल” हिमाचल के लिए खतरे की घंटी

    “सैलून का मायाजाल” हिमाचल के लिए खतरे की घंटी

    कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर मासूमियत पर बरसा लाल आतंक

    कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

    अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य

    “डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य”

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 22 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 21 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    ऑपरेशन पोलो के बाद सरदार पटेल का झुक कर अभिवादन करते हैदराबाद के निजाम

    हैदराबाद का भारत में पूर्ण विलय: जब पटेल ने कहा- नेहरू अपने आप को समझते क्या हैं? आज़ादी की लड़ाई दूसरे लोगों ने भी लड़ी है

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

“हिंदी फिल्मों से गायब हो गई उर्दू”, नसीरुद्दीन शाह की कुंठा साफ तौर पर दिख रही है

इनका उर्दू प्रेम खत्म नहीं हो रहा!

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
12 February 2023
in चलचित्र, मत
With anti-Hindi rhetoric, naseeruddin shah again shows his frustration

Source- Google

Share on FacebookShare on X

अगर इंस्टाग्राम पर तनिक भी ध्यान दिया हो, तो एक किरदार पर आपका ध्यान अवश्य गया होगा – “थारा भाई जोगिंदर”। यूं तो इंस्टाग्राम पर सभी नौटंकी करते हैं, पर इन जनाब के अलग ही शौक है और कोई उन्हें बताता कि यह ठीक नहीं, तो उल्टा उसे ही सुनाने लगते और दावा करते “भूचाल ला दूंगा, बवंडर लाऊंगा”। वो अलग बात है कि कुछ महीनों बाद स्वयं ही उड़नछू हो गए। वास्तविक जीवन में कुछ ऐसे ही लोग हैं, जो राई का पहाड़ बनाना नहीं छोड़ते, चाहे स्वयं का नाश क्यों न जाए। नसीरुद्दीन शाह भी उन्हीं में से एक हैं।

और पढ़ें: “फ्लॉप खान” की बड़े बजट में बनी यह पांच फिल्में, जो अपना मूल बजट भी नहीं जुटा पाई

संबंधितपोस्ट

‘मुझे पाकिस्तान को प्यार भेजने से कोई नहीं रोक सकता’: नसीरुद्दीन शाह के पाक प्रेम के क्या हैं मायने?

सलमान से शाहरुख तक, ऑपरेशन सिंदूर पर क्यों खामोश रहे ‘रील हीरोज़’?

वैष्णो देवी मंदिर के पास रशियन छोरी संग शराब पी रहा था ‘बॉलीवुड का लाल’ ओरी, पुलिस ने दिए गिरफ्तारी के आदेश

और लोड करें

उर्दू गायब होने पर भड़क गए

नसीरुद्दीन शाह इस बार पुनः सुर्खियों में है और पुनः गलत कारणों से। महोदय अब इस बात से खफा हैं कि हिन्दी सिनेमा में उर्दू का प्रयोग क्यों नहीं होता। कुछ माह पूर्व उर्दू समारोह “जश्न ए रेखता” की एक वार्तालाप अब जाकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। नसीरुद्दीन उर्दू के प्रयोग पर बोलते हैं, “सत्यानाश हो गया है। पर हिन्दी फिल्म में कुछ भी बेहतर क्या है?”

वाह भई, एजेंडा का श्रीगणेश ही हिन्दी से हुआ, पर छोड़िए, आगे बढ़ते हैं। जनाब फरमाते हैं, “आज फिल्मों में उर्दू सुनने को ही नहीं मिलती। पहले जब सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट आता है, तो उसमें स्पष्ट तौर पर लिखा होता था कि इसमें उर्दू है। ऐसा इसलिए क्योंकि गीत और शायरी उन्हीं लफ़्जों में लिखे जाते हैं और हमारे फनकार भी फारसी मंच से आते थे। अब कुछ भी पहले जैसा नहीं रहा, अब तो बेहूदा अल्फ़ाज़ होते हैं। कोई भी फिल्म के शीर्षक पर ध्यान नहीं देता है, वो भी पुराने गीतों से लिए गए हैं।”

ठहरिए, ये तो मात्र प्रारंभ है। नसीरुद्दीन आगे कहते हैं, “फिल्मों ने तो अब स्टीरियोटाइप बनाना शुरू दिए हैं। अब तो ये सभी कौम का बराबर मज़ाक उड़ाती हैं। पहले हीरो का एक अज़ीज़ दोस्त होता था, जो मुसलमान होता था। परंतु अंत में उसे भी मरना होता था। अब हिन्दी फिल्मों का बुलबुला जल्दी फूटेगा क्योंकि इनमें दम नहीं। हम दावा करते हैं कि हमारी फिल्मों को दुनियाभर में देखा जाता है, जैसे हिन्दुस्तानी खाने की तारीफ करते हैं। हिन्दुस्तानी खाना इसलिए पसंद किया जाता है, क्योंकि उसमें दम है, उसमें एक बात है!”

और पढ़ें: “सुशांत सिंह राजपूत के लिए सॉरी, अभय देओल के लिए सॉरी, सस्ती कॉपी के लिए सॉरी”, अनुराग कश्यप का नया षड्यंत्र क्या है?

पता नहीं क्यों इन बातों को पढ़कर “नायक” मूवी में अनिल कपूर के किरदार शिवाजी राव के संवाद स्मरण हो आए, “आप जो बोल रहे हैं, वो बहस के लिए, सुनने के लिए अच्छा है, लेकिन प्रैक्टिकल नहीं है!” अब एक उदाहरण देते हैं- आप एक रेस्टोरेंट में जाते हो, और मांग करते हो फिश एंड चिप्स की और नहीं मिलने पर आप आसमान सर पर उठा लेते हो। यदि वो रेस्टोरेंट भारत में स्थित है और भारतीय व्यंजन परोसता है, तो यहां गलती किसकी है- ऐसा भोजन डिमांड करने वाले ग्राहक की या रेस्टोरेंट के रसोइये एवं खानसामे की?

जिसे तनिक भी व्यावहारिकता की समझ होंगी, वो तो यही बोलेगा कि ग्राहक को कूटो, रेस्टोरेंट का क्या दोष और नसीरुद्दीन शाह वहीं ग्राहक है। देखिए हमारा हिन्दी फिल्म उद्योग शुद्ध हिन्दी को बढ़ावा देता है या नहीं यह अलग वाद विवाद का विषय है, परंतु वहां जहां ये रोना कि हिन्दी फिल्मों में अब पहले जैसी उर्दू नहीं रही, प्रथम श्रेणी की बेवकूफी है और यदि ये परीक्षा का कोई विषय होता, तो नसीरुद्दीन शाह इसके निर्विरोध टॉपर होते।

इसके अतिरिक्त अगर नसीरुद्दीन शाह का निष्पक्ष विश्लेषण करें, तो भी यहां इनसे सहानुभूति जताने योग्य कोई भी बात नहीं है। पहली बात, किरदारों का चित्रण कैसे होता है, ये लेखक और फिल्मकार के ऊपर निर्भर करता है और यदि आपको इस बात से आपत्ति है कि मुस्लिम कलाकारों को पहले की भांति नहीं दिखाया जा रहा है, तो ऐसे में तो अब नसीरुद्दीन मियां पर ही प्रश्न उठेंगे- कहीं ये भी रवि शास्त्री के साथ गुफ्तगू तो नहीं करते? ऐसा किसलिए? नसीरुद्दीन शाह यदि तनिक भी फिल्म उद्योग से परिचित होंगे, तो उन्हें इतना तो ज्ञान होना ही चाहिए कि न तो उर्दू का प्रयोग समाप्त हुआ है और न ही एजेंडावाद। विश्वास नहीं होता तो “पठान” देख लीजिए, जिसके कलेक्शन पर आप भले ही संदेह करें, परंतु एजेंडा पर- बिल्कुल नहीं।

इसके अतिरिक्त क्या इस बात पर ध्यान दिया है कि हिन्दी फिल्मों पर ज्ञान देने वाले ये वही नसीरुद्दीन शाह हैं, जो पिछले कुछ वर्षों में एक भी सफलता नहीं दे पाए। रोचक बात तो यह है कि उनकी अंतिम सफल फिल्म “द ताशकंद फाइल्स” है, जिसके निर्देशक एवं उसकी विचारधारा को यह महोदय कोसने में कोई प्रयास अधूरा नहीं छोड़ते। उनकी फिल्म “कुत्ते” के कलेक्शन एवं इनके रोल में जितना कम बोलें, उतना ही अच्छा।

“उर्दू केवल मुसलमान की भाषा नहीं”

परंतु आपको क्या लगता है, ये अभी से प्रारंभ हुआ है? बिलकुल नहीं। इससे पहले भी ये महोदय ऐसी बयानबाजी कर चुके हैं। जब बॉलीवुड बनाम साउथ का विवाद उत्पन्न हुआ था तो नसीरुद्दीन ने उस पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा था– “लोगों में बहुत बड़ी गलतफहमी है कि उर्दू केवल मुसलमानों की भाषा है। अजबी विडंबना है कि जो जुबान इसी मुल्क में पैदा हुआ, पली बढ़ी उसे विदेशी भाषा का दर्जा दिया जा रहा है।” उर्दू के भविष्य पर बात करते हुए महाशय आगे कहते हैं- “मैं दुआ करता हूं उर्दू सलामत रहें। आजकल मां-बाप बच्चों से अंग्रेंजी में बात करते हैं। यह अफसोस की बात है। उर्दू को हजार मिटाने की कोशिश की जाये, लेकिन ये मर नहीं सकती। नसीरुद्दीन ने आगे यह भी कहा- “हिंदुस्तान में ढेरों जुबानें हैं और सब की सब अपनी जगह महान हैं। किसी को भी रिप्लेस करना या फिर एक जुबान को हलक में ठूंसना कि तुम्हें यही बोलनी पड़ेगी, ये जरा डरावनी बात है।

और पढ़ें: प्रस्तुत करते हैं बॉलीवुड की 800 करोड़ी फ्लॉप, Pathaan के कलेक्शन में झोल ही झोल हैं

बेतुकी बातें करने नजर आते हैं नसीरुद्दीन

बेतुकी बातें करना, अपनी इच्छाअनुसार कार्य न होने पर पीएम मोदी से लेकर ब्रह्मांड के लगभग हर तत्व को कोसना नसीरुद्दीन मियां का फैशन बन चुका है। इनके कुछ विचार सुनकर ऐसा कभी कभी लगता है ये इसी लोक के हैं न?

उदाहरण के लिए दिसंबर 2021 में द वायर से जुड़े पत्रकार करण थापर को दिए साक्षात्कार में नसीरुद्दीन शाह ने कहा, “मुगल यहां पर बसने के लिए आए थे। उन्होंने भारत की संस्कृति और संगीत को अपना अप्रतिम योगदान दिया था। उन्हें आप शरणार्थी भी कह सकते हैं, बड़े धनाढ्य शरणार्थी थे वे!”

अब कल्पना कीजिए कि आप घर बार छोड़कर अफगानिस्तान में डेरा जमाते हो, अपना आशियाना बनाते हो और फिर भारत पर हमला करते हो, ताकि युगों-युगों तक एक अभेद्य, अकाट्य सल्तनत की नींव रखी जा सके और फिर सैकड़ों वर्ष बाद आपका कोई वंशज ये कह दें कि आप मात्र एक ‘शरणार्थी’ थे तो? कहीं न कहीं नसीरुद्दीन शाह का यह बयान सुनकर मुगलों के मन में भी ये विचार आया होगा, “गजब बेइज्जती है यार!”

परंतु ये तो कुछ भी नहीं है। जब इन्होंने तालिबान ने अफगानिस्तान में पुनः सत्ता स्थापित की, तो तालिबान के बढ़ते प्रभाव को लेकर पंथनिरपेक्षता के दावे करने का प्रयास किया था और कहा था, “अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है, लेकिन भारतीय मुसलमानों के कुछ वर्गों द्वारा बर्बर लोगों का जश्न कम खतरनाक नहीं है। जो लोग तालिबान के पुनरुत्थान का जश्न मना रहे हैं, उन्हें खुद से सवाल करना चाहिए, क्या वे एक आधुनिक इस्लाम चाहते हैं या पिछली कुछ शताब्दियों के पुराने बर्बरता (वहशीपन) के साथ रहना चाहते हैं?”

जी हां, आपने ठीक सुना। नसीरुद्दीन शाह हिन्दुस्तानी इस्लाम और रेगिस्तानी इस्लाम के बीच में अंतर रेखांकित कर रहे थे। इसी वीडियो में जनाब आगे कहते हैं, “अल्लाह ऐसा समय न लाए जब यह इतना बदल जाए कि हम इसे पहचान भी न सकें। मैं एक भारतीय मुसलमान हूं और जैसा कि मिर्जा गालिब ने सालों पहले कहा था, ईश्वर के साथ मेरा रिश्ता अनौपचारिक है। मुझे राजनीतिक धर्म की जरूरत नहीं है।” अभी तो रत्ना पाठक शाह के सुविचारों पर हमने प्रकाश भी नहीं डाला है, जहां वे RRR के विरोध के नाम पर ऐसे राग अलापती है कि स्वरा भास्कर और राणा अयूब भी एक समय को इनसे सयाने लगने लगे।

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि नसीरुद्दीन शाह अब मोहल्ले के वो दद्दू हो चुके हैं, जो अपने विचार सबको साझा करना चाहते हैं, परंतु उनकी सुनता कोई भी नहीं है। जिस प्रकार से वे अनर्गल प्रलाप करते हैं, एक समय ऐसा भी आएगा जब श्रोताओं के नाम पर इनके विचार सुनने के लिए केवल एक ही व्यक्ति बचेगा- स्वयं नसीरुद्दीन शाह।

और पढ़ें: “दृश्यम में अजय देवगन महिला विरोधी हैं”, वामपंथियों की अपनी अलग ही ‘दृश्यम’ चल रही है

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Tags: Naseeruddin Shahउर्दूबॉलीवुडहिंदी फिल्म उद्योग
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

Emotional Father Daughter Quotes in Hindi : इमोशनल फादर डॉटर कोट्स हिंदी में

अगली पोस्ट

अशोक गहलोत सिंड्रोम: कांग्रेस पार्टी विश्व की सबसे महान पार्टी है, और राहुल गांधी पूरे ब्रह्मांड के सबसे बड़े नेता

संबंधित पोस्ट

“सैलून का मायाजाल” हिमाचल के लिए खतरे की घंटी
मत

“सैलून का मायाजाल” हिमाचल के लिए खतरे की घंटी

16 September 2025

भारत में आदिकाल से ही नारी को शक्ति या नारायणी कहा गया है। आने वाले नवरात्रि पर्व में नौ दिनों तक शक्ति की उपासना की...

कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर मासूमियत पर बरसा लाल आतंक
क्राइम

कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर

16 September 2025

केरल में जन्माष्टमी कोई साधारण पर्व नहीं है। बालगोपाल और बालगोपालिनी के वेश में हजारों बच्चे हर साल शोभा यात्राओं में भाग लेते हैं। 14...

जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत
इतिहास

जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

16 September 2025

बिहार, जिसे भारतीय इतिहास और संस्कृति का धनी राज्य कहा जाता है, जहां चाणक्य की राजनीति जन्मी, जहां बुद्ध ने ज्ञान का प्रकाश फैलाया और...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Where Is Kerala Heading? | The Shocking Truth of CPM’s Hate Towards Hindus

Where Is Kerala Heading? | The Shocking Truth of CPM’s Hate Towards Hindus

00:05:16

How China’s Military Reach Rises on the Backs of Its Silenced Citizens?

00:08:27

Why Congress Wants to Erase Chhatrapati Shivaji Maharaj from Public Memory?

00:06:37

Epic Battle of Saragarhi : A Tale of Unmatched Bravery That Every Indian Should Know

00:07:14

Why PM Modi Is Compared to The Indus Valley Priest King! Amid uncertainty in India’s Neighbourhood!

00:06:42
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited