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राहुल गाँधी के निष्कासन के पीछे का वास्तविक सत्य

कहीं स्वयं कांग्रेसी ही तो...

Yogesh Sharma द्वारा Yogesh Sharma
27 March 2023
in राजनीति
Rahul Gandhi Disqualification
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Rahul Gandhi Disqualification: कहा जाता है कि हर व्यक्ति के जीवन में उतार चढ़ाव आना स्वाभाविक है। यही बात राजनीति पर भी सटीक बैठती है और सत्ता का परिवर्तन इसका प्रत्यक्ष उदाहारण है। क्षेत्र कोई भी हो किसी भी व्यक्ति के जीवन में अप्स एंड डाउन आ सकते हैं। लेकिन हमारे देश के एक बड़े राजनीतिक घराने के युवराज राहुल गाँधी हैं जो देश की राजनीति में वर्षों से सक्रिय हैं परतूं उनके करियर में चढ़ाव की बात तो छोड़ ही दीजिए जो कुछ जमा खाते में था  उसे भी वो नही संभाल पा रहे हैं।

इस लेख में पढिये  कि कैसे गाँधी परिवार के राजकुमार और कांग्रेस के युवा नेता राहुल गाँधी की लुटिया उन्हीं के अपने साथियों ने डूबो दी है।

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पूरे देश को पता चल गया है कि राहुल गाँधी अब सासंद (Rahul Gandhi Disqualification) नही रहे हैं। कारण? बेतुके का बयान दिया। जिसके लिए वो जाने जाते हैं। ऐसा नही है कि राहुल गाँधी ने एक बार कोई विवादित बयान दिया और उसी में उनकी संसद की सदस्यीता चली गई। नही, वो ऐसा बार बार करते रहे। जिसके परिणाम ये हुए कि उन्हें कभी भी देश की जनता दिल खोल कर स्वीकार ही नही पाई। उनके बयानों  ने उन्हें कभी  एक गंभीर, सुलझा हुआ नेता बनने ही नही दिया। जिसकी सबसे बड़ी दोषी कांग्रेस पार्टी स्वयं ही है। अब आप ये सोच रहे होंगे कि भला कांग्रेस क्यों राहुल के करियर को चौपट करेगी?, चलिए आपको बताते हैं।

और पढ़ें: सूरत पहला मामला नहीं, पहले भी जेल जाते जाते रह गए राहुल

Rahul Gandhi Disqualification: कांग्रेसियों ने राहुल को ही निपटा दिया

राहुल गाँधी की राजनीतिक उपलब्धी खोजने का प्रयास करे तो  खोजे नही मिलेगी। क्योंकि उपलब्धी के लिए तो वो देश में कभी सुर्खियों मैं आए ही नही। हमेशा वो अपने बेतूके बयानों के लिए ही सोशल मीडिया अखबारों और समाचारों चैनलों की सुर्खियां बने। राहुल गाँधी के जिन बयानों को कांग्रेस पार्टी सरकार पर तंज समझती थी अब स्थिती ऐसी हो गई है कि वो बयान जनता मंनोजरन मैटीरियल के रुप में ग्रहण करने लगी है।

कांग्रेस पार्टी ने अतिरिक्त तथाकथित देश के बुद्धीजीवी और लिबरसल गैंग के सदस्य भी हैं जिन्होंने राहुल की लुटिया डूबोने मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये लोग राहुल गाँधी के बेतूके बयानों को सोशल मीडिया पर ट्रैंड कराते है जिसका जनता बीच प्रभाव विपरीत ही पड़ता है। जिसे भाजपा हाथों हाथ लेती है। जिससे उसे भरपूर राजनीतिक लाभ मिलता है।

गाँधी परिवार के राजकुमार राहुल गाँधी ने 20 सितंबर 2018 को बयान दिया कि गली-गली में शोर है, हिंदुस्तान का चौकीदार चोर है।’इस नारे का उपयोग उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव मैं जमकर किया। जिस नारे को वो कांग्रेस के लाभकारी या असरदार समझ रहे थे। वो नारा भाजपा के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ। कांग्रेसी राहुल गाँधी के इस बयान पर राहुल गाँधी की जमकर पीट थप थपा रहे थे। राहुल के इस बयान पर कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं और लिबरल लॉ़बी ने इस प्रकार प्रस्तुत किया किन मानों 2019 मैं राहुल ही कांग्रेस का उद्धार करेंगे। परंतू देश के कोने कोने मैं भी चौकीदार की मोहिम छिड़ गई। लोग गांडियों से लेकर अपने कार्यलयों में मैं भी “चौकीदार के पोस्टर लगाने लग गए” यानि राहुल का ये बयान फ्लॉप सिद्ध हुआ। उल्टे राहुल गाँधी ने यहां भी भाजपा का प्रचार ही किया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री राहुल गाँधी को भाजपा का स्टार प्रचारक कह ही चुकी हैं।

और पढ़ें: पुनः चालू हुआ राहुल गाँधी को बहाल करने हेतु “लोकतंत्र खतरे में” अभियान

इसके बाद 13 अप्रैल को 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के बेंगलुरु के पास कोलार में राहुल गांधी ने एक चुनावी सभा में कहा  कि ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?’ इस बयान ने तो राहुल गाँधी को कहीं का नही छोड़ा। इस बयान पर कांग्रेस पार्टी राहुल गाँधी की पीठ थपथपा रही थी।

06 फरवरी 2020 को राहुल गांधी ने एक चुनावी रैली में पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि, ‘छह महीने में लोग उन्हें डंडे मारने लगेंगे।’ जिसका पीएम मोदी ने संसद में खड़े होकर ऐसा पलटवार किया कि सदन मैं बैठे सभी लोग हंसने लगे और पीएम मोदी के इस बयान के भाजपा और पीएम मोदी को लेकर साकात्मक प्रभाव की छाप छोड़ी प्रधानमंत्री ने कहा कि- ‘कांग्रेस के एक नेता का कल घोषणा पत्र सुना। उन्होंने घोषणा की है कि 6 महीने में मोदी को डंडे मारेंगे। बात सही है कि काम जरा कठिन है तो तैयारी के लिए 6 महीने तो लगते ही हैं। ठीक है- लेकिन मैं भी तय किया हूं कि इन 6 महीने में सूर्य नमस्कार की संख्या बढ़ा दूंगा।’

6 अक्टूबर, 2016 को  जंतर-मंतर पर किसानों को संबोधित करते हुए राहुल ने पीएम मोदी पर जवानों के खून की दलाली करने का आरोप लगाया। जिसे शहींदों का अपमान बताकर भाजपा ने उनपर जमकर तंज कसे। जिसका प्रभाव भी जनता के बीच मैं भी दिखा।

ऐसे ही अक्टूबर 2017 में राहुल गांधी ने आरएसएस और महिलाओं को लेकर कहा था कि, ‘उन्होंने आरएसएस की शाखाओं में कभी महिलाओं को शॉर्ट्स पहने नहीं देखा। आरएसएस महिलाओं के साथ भेदभाव करता है।’ जिसे बीजेपी ने गंदी सोच और महिलाओं का अपमान बताकर राहुल गाँधी पर जमकर घेरा था।

और पढ़ें: राहुल गांधी हैं “मोदी की सबसे बड़ी टीआरपी” : ममता बनर्जी

अभी भी बाज नही आ रही लिबरल लॉबी

हमने चंद बयानों के बारे में आपको बताया है इससे कहीं अधिक बार राहुल गाँधी ने ऐसे बेतूके बयान दिए जिसके बाद वो सवालों के घेरे में घिरे । कई बार उन पर केस भी ठोके गए। उन्हें कोर्ट मैं अपने बयान के लिए माफी भी मांगनी पड़ी। लेकिन कांग्रेस पार्टी के कुपढ़ नेता और कार्यकर्ता उनके इन बेतूके बयानों के लिए कभी उन्हें बब्बर शेर कहते तो कभी उनकी तुलना वीर सावरकर से कर देते। जिससे राहुल को प्रोत्साहन मिलता गया और वो हर अवसर पर, सड़क से लेकर संसद तक बेतूके बयानों की झड़ी लगाते गए और उनके पीछे- पीछे कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता राहुल का जय जयकारा करते रहे। जिसके परिणामस्वरुप कांग्रेसियों ने कांग्रेस के राजकुमार राहुल (Rahul Gandhi Disqualification) को ही निपटा दिया। हद ये हो गई है कि अब राहुल की संसद सदस्यीता जाने के पश्चात भी लिबरल लॉबी और कांग्रेसी अपनी हरकतों से बाज नही आ रहे हैं।

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