China real estate crisis: कल्पना कीजिए, आपको चोट लगी है, और आपके उंगली से रक्त बह रहा है। अगर त्वरित इलाज नहीं हुआ, तो स्थिति गंभीर हो सकती है। आप क्या करोगे? उस उंगली पर मलहम लगाएंगे, उसके लिए कुछ दवाई या उपचार की व्यवस्था करेंगे, यही न? या आप उस उंगली के लिए पूरा हाथ ही काट डालेंगे?
अब आप सोचेंगे कि ये क्या बकवास है, ये कौन सा उपाय है? पर शी जिनपिंग के चीन में यही होता है।
इस लेख में हम बताएँगे कि कैसे चीन में उत्पन्न रियल एस्टेट के संकट (China real estate crisis) के ‘निवारण’ हेतु शी जिनपिंग के उपाय चीन को बर्बाद करके ही दम लेंगे, तो अविलंब आरंभ करते हैं।
अब चीन में आवास एवं अन्य रियल एस्टेट को लेकर किस प्रकार का संकट उत्पन्न हो रहा है, इससे अधिकतम दर्शक अनभिज्ञ नहीं है। एक तो चीन से विकास मानो रूठ सा गया है, ऊपर से सब कुछ छोड़कर वह अपने साम्राज्यवादी आकांक्षाओं की पूर्ति हेतु सम्पूर्ण एशिया पर अपनी गिद्ध दृष्टि जमाया हुआ है।
परंतु इन सब में आड़े आ रहा है चीन का आर्थिक संकट, जिसकी पीड़ा रियल एस्टेट क्षेत्र में सर्वाधिक महसूस हो रही है। द ईकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, Tianjin जैसे शहर में ही कई “घोस्ट टावर्स” उत्पन्न हो गए हैं, यानि वो इमारत, जिनका ढांचा तो बन चुका है, परंतु उसे मूर्त रूप नहीं दिया गया।
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ये वो बिल्डिंग है, जिन्हे चीन की आर्थिक समृद्धि के प्रतीक के रूप में विकसित किया जाना था, जैसे ट्रेड सेंटर इत्यादि। परंतु हुआ कुछ नहीं, उलटे ऐसे “घोस्ट टावर्स” के कारण कई निवेशक चीन के ऐसे शहरों में निवेश करने से पूर्व भी सौ बार सोच रहे हैं। इसके कारण चीन पर ऋण का बोझ भी बढ़ रहा है।
2020 के आंकड़ों से ही अनुमान लगाएँ तो चीन के ऊपर ऐसे आधे अधूरे भवन के रूप में 50 ट्रिलियन युआन तक पहुँच गया, और कुछ स्थानीय सूत्रों की माने, तो केवल प्रांत स्तर पर ये कर्ज लगभग 14 ट्रिलियन युआन तक पहुँच चुका है, जो चीन के कॉर्पोरेट बॉन्ड मार्केट का 40 प्रतिशत से भी अधिक है।
China real estate crisis: चीन में विरोध प्रदर्शन भड़क उठे हैं
अभी तक तो केवल Tianjin के आँकड़े दिखाए गए हैं। अब आप कल्पना कीजिए कि बाकी चीनी नगरों की स्थिति क्या होंगी। इतना ही नहीं, दरअसल, पूरी दुनिया में कोरोना फैलाने वाले चीन के लिए ही अब यह महामारी जी का जंजाल बन चुकी है।
उसपर से जिस तरह चीनी प्रशासन ने जीरो कोविड नीति को लागू किया, उसने कोढ़ में खाज की भांति काम किया है। जिनपिंग सरकार की इसी नीति से चीन की जनता बेहद परेशान हैं।
यहां पर कई लोग घरों में कैद होने को विवश हैं। वह खाने का सामान के लिए भी घर से बाहर नहीं निकल सकते। वहीं जो लोग जिनपिंग सरकार के इन कड़े नियमों का पालन नहीं कर रहा है उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जा रही है।
कुछ माह पूर्व चीन में विरोध प्रदर्शन भड़क उठे, जिसके पीछे का एक कारण कुछ इमारत में आग लगने की वजह से हुई 10 लोगों की मौत भी बताया जा रहा है। दरअसल, शिंजियांग क्षेत्र की राजधानी उरुमकी में गुरुवार को एक ऊंची इमारत में आग लग गयी थीं, जिसकी वजह 10 लोगों की मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद से ही पूरे चीन में गुस्सा फैल गया है।
इसका कारण यह है कि लोगों का अनुमान है कि इमारत में आग लगने पर लोग इसलिए नहीं बच सके क्योंकि कोरोना के चीनी नियमों के तहत इमारत आंशिक रूप से बंद थी।
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परंतु ये सब हुआ कैसे? इसकी जड़ें Evergrande संकट में है। ज्यादा समय की बात नहीं है, जुलाई 2022 तक स्थिति ऐसी हो गई कि चीन फ्लैट के बदले तरबूज तक स्वीकारने लगा, ताकि किसी भी भांति उसका रियल एस्टेट का व्यापार बना रहे।
आपको ये खबर सुनने में जितना अचंभा लग रहा है वास्तविकता उससे भी अधिक विचित्र है। चीन के अर्थव्यवस्था की हालत कितनी खराब है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि स्वयं ग्लोबल टाइम्स को इस बात को स्वीकारना पड़ रहा है कि स्थिति ठीक नहीं है।
चीन के आधिकारिक मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, “चीनी तीसरे और चौथे स्तर (टियर) के शहरों में रियल एस्टेट (China real estate crisis) डेवलपर्स ने हाल में कई प्रमोशनल कैंपेन शुरू किए हैं, जिसमें घर खरीदारों को अपने डाउन पेमेंट का हिस्सा भुगतान करने के लिए तरबूज, गेहूं और लहसुन भी देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
डेवलपर्स को उम्मीद है कि किसानों को अतिरिक्त कृषि उत्पाद बेचने के बदले इस तरह नए बने-बनाए घरों को खरीदने के लिए आकर्षित किया जा सकेगा।”
कमाल की बात है न ये वही चीन है जिसने कुछ वर्ष पहले ‘Boycott China’ पर भारत का खूब उपहास उड़ाया और अब वही अपना अस्तित्व बचाने हेतु एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहा है। कल तक यही चीन अमेरिकी कार कंपनी फोर्ड के भारत से निकलने के बाद भारत को तरह तरह की बातें सुना रहा था।
ग्लोबल टाइम्स के लेख के अनुसार, “फोर्ड के निकासी से मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ के स्वप्नों को झटका लगा था।” अब ये तो मात्र प्रारंभ है क्योंकि इस लेख में ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा, “अपने घाटे को कम करने हेतु फोर्ड ने अपनी भारतीय फैक्ट्री पर ताला लगा दिया था परंतु चीन में उसके लिए बहुत बढ़िया अवसर हैं क्योंकि चीन पैसेंजर कार एसोसिएशन के अध्यक्ष Cui Dongshu ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि चीन का कार मार्केट बहुत बड़ा है।”
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परंतु डिमांड तो छोड़िए चीन अपनी ही अर्थव्यवस्था को संभाल पाने में असफल रहा है जो अभी रियल एस्टेट में दिख रहा है। हालांकि, China real estate crisis तो झलक मात्र है, असल बीमारी तो Evergrande है। वो कैसे? असल में चीन का हाउसिंग बबल अब फटने वाला है।
आपूर्तिकर्ताओं के 305 बिलियन डॉलर वापस नहीं कर पा रहा है
बीजिंग ने हाउसिंग सेक्टर का अपनी क्षमता से कहीं अधिक फायदा उठाया है और अब इसी का नतीजा है कि चीन की सबसे बड़ी रियल स्टेट कंपनी में से एक एवरग्रांडे ग्रुप का कर्ज संकट इतना बढ़ चुका है कि चीनी हाउसिंग सेक्टर गहरे संकट में है।
एवरग्रांडे (Evergrande) कंपनी निवेशकों, ऋणदाताओं और आपूर्तिकर्ताओं के 305 बिलियन डॉलर वापस नहीं कर पा रही है। खबरों की मानें तो 70,000 निवेशकों ने पूरे देश में फैले हुए कंपनी के कई कार्यालयों पर प्रदर्शन किया है।
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अब ऐसे में चीन क्या करेगा? कुछ सूत्रों की माने तो चीनी प्रशासन इस समस्या को निपटाने हेतु व्यापक कदम उठा सकता है? परंतु वो कदम क्या है? कुछ की माने तो वह औने पौने दामों पर अनेकों बिल्डिंग के विभिन्न फ्लोर की बोली लगा सकता है। परंतु इससे समस्या का सम्पूर्ण निवारण तो नहीं हो सकता? तो क्या चीन पूरे के पूरे शहर उड़ा देगी?
आप माने न माने, परंतु ऐसा भी संभव है। जो चीन ज़ीरो कोविड नीति के पीछे लाखों लोगों को कंटेनर में केवल इसलिए बंद कर सकती है, ताकि बीजिंग के शीतकालीन ओलंपिक सफल हों, उस देश से आप व्यवहारिकता की आशा भला कैसे कर सकते हैं, जिस प्रकार से चीन का रियल एस्टेट संकट बढ़ रहा है, यदि कुछ समय बाद चीन के शहर के शहर ज़मींदोज़ हो, तो आश्चर्यचकित मत होइएगा!
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