Taarak Mehta ka Ooltah Chashmah controversy: ज्ञान ऐसी वस्तु है, जिसका स्त्रोत कभी भी पारंपरिक नहीं रहता, कि मिलना है तो यहीं से। कभी कभी, सिर्फ एक नॉर्मल बकैती में जीवन भर का ज्ञान मिल जाता है, और कभी तो जब तक खोपड़ी पर ओले न बरसे, तब तक ज्ञान ही नहीं मिलता। संक्षेप में कहे तो अपने को 700 रुपये फूंकने पड़े, ये समझने के लिए कि योगी डीजलनाथ, क्षमा करें, डोमिनिक टोरेटो असल में फिरंगी जेठालाल गड़ा है, और कुछ नहीं।
इस लेख में पढिये कैसे “The Fast and the Furious” और “Taarak Mehta ka Ooltah Chashmah” वास्तव में एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
समृद्धि के शिखर से
मनोरंजन के विशाल परिदृश्य में, कुछ फ्रेंचाइजी अथवा धारावाहिक जनता का ध्यान न केवल आकृष्ट करते हैं, अपितु अद्वितीय cultural phenomena बन जाते हैं। “द फास्ट एंड द फ्यूरियस” और “तारक मेहता का उल्टा चश्मा” इसी बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। कभी दोनों परियोजनाएं लोकप्रियता के शिखर तक पहुंच गईं, परंतु अब दोनों को घनघोर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, विशेष रूप से जब बात रचनात्मकता पर हो। दोनों ने प्रारंभ किया गरमागरम समोसे और चटनी के रूप में, और अब रूप ले चुके हैं आमरस डोसा का। आपकी भी जीभ लपलपाई?
“फास्ट एंड द फ्यूरियस फ्रैंचाइज़ी” ने 2001 में दर्शकों का फास्ट कार्स, रोमांच से परिपूर्ण एक्शन और एक ऐसे कलाकारों की टुकड़ी को सामने लाया, जिसने आने वाले वर्षों में अजब गदर मचा दी। परिपक्वता और एक्टिंग ए वन हो न हो, मनोरंजन में कोई कमी न थी। एक छोटे स्ट्रीट रेसिंग फिल्म के रूप में जो प्रारंभ हुआ वह एक phenomena में बदल गया जिसने अपने हाई स्पीड स्टंट, करिश्माई पात्रों और परिवार और वफादारी के विषयों के साथ प्रशंसकों को मोहित कर लिया। प्रत्येक किस्त के साथ, फ्रैंचाइज़ी ने गति और लोकप्रियता दोनों प्राप्त की, बड़ी संख्या में अपने फैनबेस को अगली किस्त का बेसब्री से इंतजार कराया।
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इसी तरह, तारक मेहता का उल्टा चश्मा शीघ्र ही भारत में एक घरेलू नाम बन गया। 2008 में प्रसारित, और गुजराती स्तंभकार तारक मेहता की “दुनिया ने ऊन्धा चश्मा” पर आधारित, इस धारावाहिक ने एकता कपूर के कूड़े से भी अधिक बदबूदार सास बहू ड्रामा से न केवल राहत दिलाई, अपितु जनता को हल्की-फुल्की कॉमेडी, और संपूर्ण पारिवारिक मनोरंजन का भरपूर मिश्रण प्रदान किया, मानो एक चटख, मसालेदार चाट एकाएक दर्शकों को परस दी गई हो। मुंबई हाउसिंग सोसाइटी में निवासियों के जीवन के चित्रण ने दर्शकों के साथ जुड़ाव किया, जिससे व्यापक लोकप्रियता मिली। शो के हास्यरस , मजबूत नैतिक मूल्यों, और जीवंत कलाकारों ने इसे प्रशंसकों का पसंदीदा बना दिया, एक दशक से अधिक समय तक इसकी लोकप्रियता सुनिश्चित की, चाहे क्लिप्स के रूप में हो, या फिर मीम्स के रूप में!
कब और कैसे यह फुस्स हुए?
तो दोनों को किसकी नज़र (Taarak Mehta ka Ooltah Chashmah controversy) लग गई? देखिए, वो बचपन में तो आपने सुना ही होगा, ज़्यादा तीखा या ज़्यादा मीठा सेहत के लिए अच्छा नहीं। यही बात इन दोनों पे लागू होती है।
द फास्ट एंड द फ्यूरियस फ़्रैंचाइज़ी, जो वर्तमान में नौ फिल्मों और विभिन्न स्पिन-ऑफ का मालिक है, इस समय अपने दसवें संस्करण के लिए कोपभाजन का केंद्र बना हुआ है। इतना तो राजश्री ने परिवार का महत्व नहीं समझाया होगा जितना इस फिल्म ने पिछले कुछ संस्करणों में “फैमिली” का रट्टा लगाया है। इसके अतिरिक्त हर किस्त के साथ, यथार्थ की सीमाओं को लतिया दिया जाता है, जिससे प्रशंसकों के धैर्य की भी परीक्षा ली जाती है। नवीनतम कड़ी, फास्ट एक्स, ने इसे और भी बदतर बना दिया है, और “किसी का भाई किसी का जान” जैसी परियोजनाओं को भी स्वर्ग जैसा बना देता है। आई एम रियली सॉरी सेलमोन भोई, आज से आपके लिए इज्जत बढ़ गई, वैसे टाइगर 3 कब आ रही है?
तो गुरु, “तारक मेहता” (Taarak Mehta ka Ooltah Chashmah controversy) का इन सब से क्या कनेक्शन है? देखो जी, दाल मखनी या उतप्पम किसे नहीं पसंद होगा, परंतु अगर रोज़ रोज़ आपको यही मिले, तो? अरे बंधु रबड़ बैंड भी आवश्यकता से अधिक खींचे जाने पर टूट जाती है, ये तो फिर भी सीरियल है। कई दर्शकों का मानना है कि शो सीमित character development और नए आख्यानों की कमी के साथ पकाऊ हो गया है।
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चुटकुलों को रीसायकल करने और रूढ़िवादी हास्य पर भरोसा करने की सिटकॉम की प्रवृत्ति ने घटते रचनात्मक मूल्य और इसके एक बार समर्पित प्रशंसक आधार पर प्रभाव के बारे में समस्याओं को जन्म दिया है। शायद इसीलिए कभी इस शो की शोभा बढ़ाने वाले और अपने सिंपल वन लाइनर्स से लोगों को हंसाने वाले कलाकार अब एक-एक करके इस शो को छोड़ रहे हैं, और यही हाल “फास्ट एंड द फ्यूरियस” का भी हो चुका है, लेकिन दोनों के रचनाकार तो अब फरहाद सामजी को टक्कर देने चले हैं, कि कौन अधिक मानसिक शोषण करने में समर्थ होगा!
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