जब जब सृष्टि पर अधर्म, क्षमा करें, गलत स्क्रिप्ट पकड़ ली!
Rahul Gandhi latest speech: जब जब राजनीति में सेक्युलरवाद का विष त्राहिमाम मचाने लगता है, जब जब लगता है कि भाजपा को अब कोई नहीं बचा सकता, एक व्यक्ति इसे निजी चुनौती के रूप में ले लेता है। पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा से पूर्व भाजपा के स्टार प्रचारक श्री राहुल गांधी ने उनके लिए ऐसा माहौल तैयार किया कि अगर 2024 में भाजपा ने पुनः 300 से अधिक सीटें नहीं प्राप्त की तो परम आश्चर्य होगा।
इस लेख में पढिये अमेरिका की यात्रा में राहुल गांधी के सम्बोधन (Rahul Gandhi latest speech) के बरे में, और क्यों इसका संदेश स्पष्ट है : भाजपा का “स्टार प्रचारक” इज बैक!
Rahul Gandhi latest speech: राहुल के क्रांतिकारी विचार!
राहुल के हाल के अमेरिका यात्रा में एक सम्बोधन (Rahul Gandhi latest speech) के दौरान वो सब देखने को मिला, जो कर्नाटक में कहीं न कहीं मिसिंग था। उदाहरण के लिए इनके सम्बोधन के समय ही अति उत्साही खालिस्तानी चरमपंथी “खालिस्तान ज़िन्दाबाद” के नारे लगाने लगे।
उदाहरण के लिए अल्पसंख्यकों पर कथित अत्याचार को अपने ही पार्टी के शासन में पिछड़े समुदायों के अत्याचार से तुलना करवाना हो, या फिर गुरु नानक देव के प्रचार यात्रा की तुलना को भारत जोड़ो यात्रा से जोड़ना हो, राहुल बाबा ने जनता का मनोरंजन करने और भाजपा का वोटर बेस बढ़वाने में कोई प्रयास अधूरा नहीं छोड़ा। धन्य है भाजपा जो बैठे बिठाए ऐसा अतुलनीय प्रचारक मिल गया।
लेकिन इतना ही नहीं- उपहास के लिए उनकी प्रतिभा पूरे प्रदर्शन पर थी क्योंकि उन्होंने पारंपरिक “साष्टांग प्रणाम” अनुष्ठान का उपहास उड़ाया था। देखो भाई, क्रेडिट ह्वैर क्रेडिट इज ड्यू : महत्वपूर्ण परंपराओं और रीति-रिवाजों को तुच्छ बनाने की कला में राहुल गांधी को सही मायने में महारत हासिल है।
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यह उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी कैसे सबसे विवादास्पद (Rahul Gandhi latest speech) नारों को भी मनोरंजन के स्रोत में बदल देते हैं। “खालिस्तान जिंदाबाद” जैसे नारों से उनका स्वागत किया गया, वे ऐसे मुस्कराए जैसे वे क्रांति के नारे हों। शायद वह अनुचित और विभाजनकारी नारों में हास्य पाते हैं, जबकि अनजाने में ऐसी विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ भाजपा समर्थकों की एकता को बढ़ावा दे रहे हैं। “नफरत के बाजार में मुहब्बत की दुकान” यूं ही इनके कंठ से प्रस्फुटित नहीं हुआ था।
राहुल का दिव्य ऐतिहासिक ज्ञान
ये देश का घोर दुर्भाग्य है कि राहुल बाबा के टैलॉन्ट को कोई समझने के लिए है ही नहीं! राहुल गांधी ने भारत में मुसलमानों की वर्तमान स्थिति की तुलना 80 के दशक की शुरुआत में पिछड़े वर्गों की स्थिति से की, ये जानते हुए भी कि 80 में कांग्रेस का शासन लगभग समस्त देश पर था। यहां तक कि सैम पित्रोदा जैसे उनके संयोजक भी इस चौंकाने वाले बयान से हैरान नजर आए। राहुल गांधी के ऐतिहासिक संदर्भ उनके राजनीतिक कौशल के समान ही विश्वसनीय हैं।
ये तो कुछ भी नहीं है : महोदय ने गुरु नानक देव की लोकप्रियता की तुलना अपनी भारत जोड़ी यात्रा से की थी। उन्होंने उल्लेख किया कि गुरु नानक देव ने सऊदी अरब, थाईलैंड, कोरिया आदि विभिन्न देशों में अपने उपदेशों का प्रचार किया था, विशेष रूप से अपने संबोधन में थाईलैंड पर जोर दिया। आशा करते है कि सिख धर्म के स्वयंभू संरक्षक इस ‘बेअदबी’ पर ध्यान देंगे।
राहुल गांधी के अनुसार, भारत में वास्तविक मुद्दे बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि, क्रोध, घृणा, एक चरमराती शिक्षा प्रणाली और शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल की लागत हैं। उन्हें लगता है कि ये समस्याएं विशेष रूप से भाजपा के क्षेत्र में हैं, आसानी से इस तथ्य की अनदेखी करते हुए कि इन मुद्दों ने दशकों तक देश को त्रस्त किया है, तब भी जब उनकी अपनी पार्टी सत्ता में थी। यह जानकर सुकून मिलता है कि राहुल गांधी ने अकेले ही भारत के सामने प्रमुख चुनौतियों की खोज की है और जनता को प्रबुद्ध करने का निर्णय लिया है।
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भाजपा का “सबसे अंडररेटेड एसेट”
भाजपा के अभियान में राहुल गांधी के अभूतपूर्व योगदान को अनदेखा नहीं जाने दिया गया है। कई राजनीतिक पंडितों ने उन्हें “बीजेपी की सबसे अच्छी संपत्ति” करार दिया है। लोगों को एक साथ लाने और भाजपा के समर्थन के आधार को मजबूत करने की उनकी अनजाने क्षमता वास्तव में उल्लेखनीय है। भाजपा को नकारात्मक रूप से चित्रित करने के उनके प्रयासों ने अनजाने में पार्टी की स्थिति को मजबूत किया है।
राजनीति की अप्रत्याशित दुनिया में राहुल गांधी ने खुद को बीजेपी का तुरुप का पत्ता साबित किया है. तुलना करने की अपनी आदत, उपहास करने की प्रवृत्ति और अनायास ही अपनी ही पार्टी की विफलताओं को उजागर करने की क्षमता के साथ, वह अनजाने में भाजपा के लिए एक मूल्यवान संपत्ति बन गए हैं। जैसा कि वह विपक्षी दल को अनजाने में समर्थन प्रदान करना जारी रखता है, यह देखा जाना बाकी है कि क्या वह कभी भी वह पहचान प्राप्त कर पाएगा जो वह चाहता है। तब तक, भाजपा निश्चिंत हो सकती है कि उनके बीच एक गुप्त हथियार है, जो उनकी सफलता में योगदान दे रहा है जबकि आनंदित रूप से अनजान है।
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