China New Map: संसार में परिवर्तन ही शाश्वत सत्य है. कुछ भी, कोई भी बदल सकता है. अमेरिका वास्तव में लोकतंत्र का पर्याय बन सकता है, एक बार को पाकिस्तान पंथनिरपेक्ष बन सकता है, परन्तु चीन अपने छिछोरपन से बाज़ आये, ऐसा शायद ही कभी होगा!
असल में चीन ने पुनः विवाद खड़ा किया है. इन्होने २८ अगस्त को को अपना नया नक्शा (China New Map) जारी किया। इस ‘काल्पनिक’ नक्शे में चीन ने भारत के अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख (अक्साई चिन) के कुछ हिस्सों समेत ताइवान और दक्षिण चीन सागर में स्थित विवादास्पद 9-डैश लाइन (दक्षिण चीन सागर पर चीन द्वारा खींची गई 9 आभासी रेखाएँ) पर भी अपना दावा जताया है।
यह नक्शा ऐसे समय में जारी किया गया जब भारत 9 और 10 सितंबर को आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन की तैयारी में जुटा हुआ है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भी जी-20 सम्मेलन में शामिल होने दिल्ली आ रहे हैं।
चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर यह ‘काल्पनिक’ नक्शा (China New Map) शेयर किया। इसके साथ ही इन्होने लिखा है कि प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय ने 28 अगस्त को अपनी वेबसाइट पर चीन का नया ‘स्टैंडर्ड नक्शा’ लॉन्च किया। इस नक्शे को बनाने के लिए चीन और दुनिया भर के अन्य देशों की राष्ट्रीय सीमाओं का उपयोग किया गया। इसे देश के स्टैंडर्स मानचित्र के नए संस्करण के रूप में दिखाया गया है।
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‘ग्लोबल टाइम्स’ द्वारा शेयर किए नक्शे (China New Map) में अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन जैसे भारतीय क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इन पर चीन ने अपना दावा किया था। उल्लेखनीय है कि भारत चीन से कई बार कह चुका है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा।
इसके अलावा, इस नक्शे में चीन ने ताइवान को भी अपना हिस्सा बताया है। इसके अलावा 9-डैश लाइन के जरिए दक्षिण चीन सागर के एक बड़े हिस्से पर भी अपना दावा किया। इसे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की विस्तारवादी नीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। गौरतलब है कि वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान जैसे अन्य देशों ने दक्षिण चीन सागर में पहले ही अपना दावा ठोंक रखा है और चीन के इस दावे का विरोध किया है।
इससे पूर्व में भी चीन ने कम नौटंकी नहीं की है। दिसंबर 2021 में विदेश मंत्रालय ने चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में 15 स्थानों को अपना नाम देने पर कड़ी आपत्ति जताई थी। विदेश मंत्रालय ने कहा था, “हमने इस तरह की खबरें देखी हैं। यह पहली बार नहीं है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश राज्य में स्थानों के नाम बदलने का प्रयास किया है। चीन ने अप्रैल 2017 में भी ऐसे नाम देने की कोशिश की थी। अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा। अरुणाचल प्रदेश में स्थानों को नए नाम देने से यह सच्चाई नहीं बदल जाती।” काश, जिनपिंग और उनके चमचों को ये छोटी सी बात समझ में आ जाती. पर जब गलवान की कुटाई से इन्हे अक्ल नहीं आई, तो अभी तो समझदारी की आशा करना ही हास्यास्पद है!
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